योगी सरकार में हुए भर्ती घोटाले की सीबीआई करेगी जांच, सपा ने कहा सरकारी नौकरी देने में हो रहा भाई भतीजा वाद

योगी सरकार में हुए भर्ती घोटाले की सीबीआई करेगी जांच, सपा ने कहा सरकारी नौकरी देने में हो रहा भाई भतीजा वाद

लखनऊ, सितंबर 22 (TNA) सरकारी नौकरियों में पारदर्शी भर्ती किए जाने वाली योगी आदित्यनाथ ही सरकार में भी भर्ती करने में घोटाला किया गया. यह भर्ती घोटाला विधान परिषद में वर्ष 2020-21 में हुई भर्तियों में किया गया है. अब हाईकोर्ट के आदेश पर सीबीआई इस भर्ती घोटाले की जांच करेगी. इसी नवंबर के प्रथम सप्ताह तक सीबीआई को अपनी प्रारंभिक जांच रिपोर्ट अदालत में प्रस्तुत करनी होगी. न्यायालय के इस आदेश पर चंद दिनों में ही सीबीआई इस मामले की रिपोर्ट दर्ज कर जांच शुरू कर देगी. लखनऊ के सीबीआई अधिकारियों के यह दावा किया हैं. इस जांच के शुरू होने पर कई बड़े चेहरे बेनकाब होंगे और यह भी पता चलेगा कि किसके इशारे पर रिक्त पदों से अधिक पदों पर भर्तियाँ की है.

नियमों की अनदेखे कर अपने चहेतों को दी नौकरी

गौरतलब है कि वर्ष 2020-21 में विधानसभा और विधान परिषद में रिक्त पदों पर भर्तियां की गई थी. जिसके चलते विधान सभा में 95 पदों पर भर्ती की गई. इनमें समीक्षा अधिकारी के 20 सहायक समीक्षा अधिकारी के 23, एपीएस के 22, अनुसेवक के 12, रिपोर्टर के 13 और सुरक्षा गार्ड के 5 पदों पर भर्ती हुई. जबकि विधान परिषद में विभिन्न श्रेणी के 100 पदों पर भर्तियां की गई. बताया जाता है कि विधान परिषद में हुई भर्तियों को लेकर अनियमित तरीके से भर्ती करने का आरोप लगाया गया.

यही नहीं इस मामले में उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर कर सरकारी नौकरी देने में भाई भतीजावाद और पक्षपात करने का आरोप लगाया गया. याचिकाकर्ताओं ने यह आरोप भी लगाया कि विधान परिषद प्रमुख सचिव राजेश सिंह के बेटे अरवेंदु शेखर प्रताप सिंह, विधानसभा के प्रमुख सचिव के भतीजे शलभ दुबे, पुनीत दुबे को समीक्षा अधिकारी के पद पर नियुक्ति दी गई. वहीं सरकार में विशेष कार्याधिकारी रहे एक सेवानिवृत्त अधिकारी के बेटे को भी समीक्षा अधिकारी के पद नियुक्त कर उपकृत किया गया.

Attachment
PDF
order_18_09_2023-1.pdf
Preview

इसके अलावा अलावा विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित के निजी सहायक रहे पंकज मिश्रा की ओएसडी के पद पर हुई नियुक्ति पर भी सवाल खड़े किए गए. याचिकाकर्ता का यह भी कहना था कि विधानसभा के एक ओएसडी के भाई को भी प्रतीक्षा सूची के जरिये समीक्षा अधिकारी बनाया गया. इसके अलावा शासन और विधानसभा सचिवालय में कार्यरत अधिकारियों के रिश्तेदारों को भी सहायक समीक्षा अधिकारी और समीक्षा अधिकारी बनाया गया है. विभिन्न पदों पर करीब 26 कर्मियों की नियुक्ति को याचिकाकर्ता ने नियमों की अनदेखी करते हुए भर्ती किया जाना बताया.

सीबीआई जांच का सामना करना होगा

याचिकाकर्ता ने न्यायालय को बताया कि सर्वोच्च न्यायालय के आदेश की अनदेखी कर यह भर्तियाँ की गई. सर्वोच्च न्यायालय ने कुछ दिन पूर्व के एक याचिका पर सुनवाई करते हुए उत्तर प्रदेश में विधान सभा और विधान परिषद में होने वाली भर्तियां अब उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग या अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के जरिये ही कराने के निर्देश दिए थे.  

और कोर्ट ने विधानसभा और विधान परिषद के स्तर से होने वाली भर्तियों पर रोक लगाई थी. इसके बाद भी नेता और अफसरों ने अपने-अपने चहेतों को सरकारी नौकरी दिलवा दी. विधान परिषद में हुई ऐसी भर्ती के दस्तावेजों को देख हाईकोर्ट ने विधान परिषद में हुई भर्तियों की सीबीआई से जांच कराए जाने का आदेश दे दिया.

न्यायालय के आदेश के बाद से विधानसभा और विधान परिषद के सचिवालय में हड़कप मचा हुआ है. कहा जा रहा है कि वर्ष 2020-21 के दौरान भर्ती हुए कार्मिकों की नौकरी पर तलवार लटक सकती है और इन लोगों को नौकरी देने वाले नेताओं तथा अधिकारियों को भी सीबीआई की जांच का सामना करना पड़ेगा. योगी सरकार में हुए इस भर्ती प्रकरण को लेकर अब  समाजवादी पार्टी (सपा) नेता बेहद आक्रामक रुख अपनाए हुए है. सपा प्रवक्ता आशुतोष वर्मा का कहना है कि योगी सरकार में किस तरह से सरकारी नौकरी देने में भाई-भतीजावाद किया जा रहा है, यह सब सूबे की जनता के सामने आ गया है.

- राजेंद्र कुमार

Related Stories

No stories found.
logo
The News Agency
www.thenewsagency.in