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भेष बदल कर आया रावण, सांस सांस को तरसे जन जन
भेष बदल कर आया रावण
सांस सांस को तरसे जन जन
कोरोना ने किया है तांडव
है भयभीत धरा पे मानव
मर क्यों नंही रहा है दानव
सकल विश्व पर विपदा छाई
लाखों ने है बलि चढ़ाई
चंहु ओर है त्राहि-त्राहि
रस्ता देता नहीं दिखाई
चुप्पी तोड़ो अब रघुराई
अपनी सृष्टि तुम्ही संभालो
जैसी थी फिर वही बना लो
तुम ने जन्म दिया तुम पालो
तरकश से अब बाण निकालो
सर्व नाश से हमें बचा लो
छट जाए ये गहन अंधेरा
मन से दूर हो हो डर का पहरा
जीवन फिर से बने सुनहरा
फिर से दमके हर इक चेहरा
लाए संदेसा यही दशहरा
-- ब्रिगेडियर राजेश वर्मा