घोसी उपचुनाव हारे तो गुड गवर्नेंस में जुटे सीएम योगी, सूबे के 75 जिलों में तैनात अफसरों के कामकाज में पाई कमियाँ   

घोसी उपचुनाव हारे तो गुड गवर्नेंस में जुटे सीएम योगी, सूबे के 75 जिलों में तैनात अफसरों के कामकाज में पाई कमियाँ   

लखनऊ, सितंबर 18 (TNA) “उत्तर प्रदेश की नौकरशाही की जनता की समस्याओं का तत्काल समाधान करे, अन्यथा सुस्ती दिखाने वाले अधिकारी के खिलाफ एक्शन लिया जाएगा." मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सूबे की सत्ता संभालने के तत्काल बाद यह स्पष्ट संदेश सभी नौकरशाहों को दिया था, लेकिन राज्य के तमाम नौकरशाहों सीएम योगी के इस संदेश की अनदेखी कर जिलों में कार्य कर रहे थे. इसका नतीजा यह हुआ कि राज्य के कई जिलों में सरकारी योजनाओं का लाभ जनता को मिलने में दिक्कत आने लगी और जनता की समस्याओं का निदान भी समय लगाने लगा.

सूबे में नौकरशाहों के मनमाने तरीके से कार्य करने का खुलासा गत शनिवार की देर शाम मुख्यमंत्री योगी द्वारा प्रदेश के सभी मंडलायुक्त, जिलाधिकारी (डीएम), पुलिस कप्तान (एसपी) और एसडीएम के साथ की गई दो घंटे की वर्चुअल मीटिंग के दौरान हुआ. इस मीटिंग में सीएम योगी ने करीब 53 सरकारी योजनाओं को जिलों में लागू करने में सुस्ती दिखाए जाने के मामले में कई डीएम और एसपी को फटकार लगाई और प्रतापगढ़ में राजस्व मामले में पेंडिंग कार्य की फाइल देखकर जिले के डीएम प्रकाश चंद्र श्रीवास्तव की कार्यशैली पर नाराजगी जाहिर करते हुए उन्हे हटाए जाने के निर्देश दिया.

जिलों में तैनात आईएएस, आईपीएस और पीसीएस अफसरों के खिलाफ सीएम योगी की नाराजगी को भाजपा नेता गुड गवर्नेंस के लिए जरूरी बता रहे हैं. वही विपक्षी नेताओं का कहना है कि घोसी उप चुनावों में हुई हार से बौखलाई सरकार अब अधिकारियों पर दबाव बनाने के लिए यह दिखावा कर रही है. विपक्षी नेताओं के इस आरोप को सरकार के प्रवक्ता गलत बता रहे हैं.

उनका कहना है कि सरकार द्वारा गुड गवर्नेंस के लिए तैयार कराई गई जनसुनवाई समाधान प्रणाली, आईजीआरएस और सीएम हेल्पलाइन की अगस्त माह की टॉप और बॉटम 10 रैंकिंग के आधार पर ही सीएम योगी ने जिले में खराब प्रदर्शन करने वाले अधिकारियों को कड़ी हिदायत देते हुए अपनी कार्यप्रणाली में सुधार करने के लिए कहा है.

बॉटम 10 में क्रमश: बरेली, लखनऊ, गोरखपुर, फतेहपुर, झांसी, अयोध्या, एटा, हापुड़, आजमगढ़ और संत कबीर नगर के पुलिस अधिकारी हैं.

अब एक माह बाद दोबारा उन सभी के कार्यों की समीक्षा होगी, जिसमें खराब प्रदर्शन करने वाले जिलों के वरिष्ठ अधिकारियों की जवाबदेही तय की जाएगी. सरकार के प्रवक्ता का कहना है कि समीक्षा के दौरान सीएम ने सूबे के 75 जिलों में तैनात अफसरों के कामकाज में कई कमियां पाई हैं और खामियों को दूर करने का निर्देश जिले के अफसरों को दिया गया है. जो अफसर समय रहते खामियों को दूर नहीं करेगी उसे जिले से हटाया जाएगा, अब यह तय हो गया है.    

अच्छा और खराब प्रदर्शन करने वाले डीएम और एसपी

सरकारी प्रवक्ता के अनुसार, आईजीआरएस और सीएम हेल्पलाइन के कार्यों में सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाले टॉप 10 जिलाधिकारियों में क्रमश: अमेठी, कन्नौज, श्रावस्ती, शाहजहांपुर, सोनभद्र, गाजियाबाद, महोबा, मिर्जापुर, हापुड़ और भदोही हैं. वहीं लिस्ट में बॉटम 10 में बागपत, गोरखपुर, बरेली, वाराणसी, प्रयागराज, आगरा, सिद्धार्थनगर, सहारनपुर, रामपुर और मुरादाबाद के जिलाधिकारियों के प्रदर्शन को सबसे खराब बताया गया है.

इसी प्रकार प्रदेश में सबसे अच्छा कार्य करने वाले पुलिस आयुक्त, एसएसपी और एसपी में क्रमश: अलीगढ़, श्रावस्ती, सोनभद्र, हमीरपुर, कुशीनगर, फर्रुखाबाद, कासगंज, चित्रकूट, भदोही और हाथरस हैं.

जबकि बॉटम 10 में क्रमश: बरेली, लखनऊ, गोरखपुर, फतेहपुर, झांसी, अयोध्या, एटा, हापुड़, आजमगढ़ और संत कबीर नगर के पुलिस अधिकारी हैं.  इस आकलन के आधार पर सीएम योगी ने खराब प्रदर्शन वाले सभी जिलों के अधिकारियों को एक माह के अंदर सतत जन सुनवाई करते हुए समस्याओं के गुणवत्तापूर्ण ढंग से निपटारे के लिए निर्देशित किया है.

सीएम ने एसडीएम के इलाके में होने वाली लापरवाही को लेकर सख्त हिदायत दी और कहा है कि अगली बैठक में सभी एसडीएम अपनी जवाबदेही तय करेंगे. जिले में कौन सी तहसील में सबसे ज्यादा खराब परफॉर्मेंस है, उसकी रिपोर्ट तैयार की जाएगी. उस आधार पर लापरवाह एसडीएम के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी.

— राजेंद्र कुमार

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