प्रयागराज की शहर पश्चिमी से शाइस्ता परवीन के हटने का मकसद आखिर क्या है?

प्रयागराज की शहर पश्चिमी से शाइस्ता परवीन के हटने का मकसद आखिर क्या है?

प्रयागराज में इन दिनों चुनावी सरगर्मी बहुत तेज नज़र आ रही है। 12 विधानसभा क्षेत्रों में हर पार्टी ने अपने उम्मीदवार को मैदान में उतार दिया है। 27 फरवरी को पांचवें चरण में प्रयागराज में मतदान होना है। इस चुनाव में छोटे दलों और निर्दलीय प्रत्याशियों ने भी प्रयागराज की हर सीट पर ताल ठोंकी है। प्रयागराज शहर की शहर पश्चिमी सीट को लेकर भी मुकाबला रोचक हो गया है। इस सीट पर अबतक बाहुबल हावी रहा है।

शहर पश्चिमी से बाहुबली अतीक अहमद ने पांच बार इस सीट से विधायकी का चुनाव जीता और अपना लोहा मनवाया। अतीक अहमद इनदिनों अहमदाबाद की जेल में बंद है। वहीं अब तक इस सीट से अतीक की पत्नी शाइस्ता के चुनाव लड़ने की बात सामने आ रही थी लेकिन मंगलवार शाइस्ता ने एआईएमआईएम के द्वारा दिए गए इलाहाबाद शहर पश्चिमी विधानसभा के टिकट को ठुकरा दिया। शाइस्ता के अब मैदान में न आने से तरह-तरह की चर्चाएं शुरू हो गई है।

दरअसल आल इंडिया मजलिस ए इत्तेहाद उल मुस्लमीन (एआईएमआईएम) ने पूर्व सांसद और शहर पश्चिमी से पांच बार विधायक रह चुके अतीक अहमद की पत्नी शाइस्ता परवीन को विधानसभा से उम्मीदवार घोषित किया था। बाकायदा शाइस्ता परवीन की ओर से एक बड़ी जनसभा भी की गई थी जिसमें पार्टी प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी बतौर मुख्य अतिथि प्रयागराज पहुंचे थे।

एआईएमआईएम ने शाइस्ता परवीन को अपना प्रत्याशी घोषित भी किया था और ये तय था कि शाइस्ता शहर पश्चिमी से इस चुनाव में ताल ठोकेंगी। लेकिन काफी दिनों से शाइस्ता सक्रिय नज़र नहीं आ रही थी जिसके चलते ये चर्चा भी थी कि शाइस्ता चुनाव नहीं लड़ना चाहती है। मंगलवार को नामांकन के आखिरी दिन में नामांकन ना करके शाइस्ता ने इस पर मुहर भी लगा दी।

पिछले वर्ष ही असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी को शाइस्ता परवीन ने जॉइन करके सूबे की सियासत में कई सवाल लोगों के जहन में ला दिए थे। पश्चिमी सीट से उम्मीदवार भी घोषित किया गया। हालांकि उनके चुनाव लड़ने पर अब विराम लग गया। अतीक जेल में हैं और उनके दोनों बेटे फरार है।

सियासी गलियारों में चर्चा बहुत दिनों से थी कि अतीक ने शाइस्ता को चुनाव लड़ने के लिए मना कर दिया है जिसके चलते शाइस्ता मैदान से हट गई। वैसे तो शहर पश्चिमी से बीजेपी से यूपी के मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह और सपा से ऋचा सिंह मैदान में अपना दमख़म दिखा रहे है।

सपा ने इस सीट से पहले अमरनाथ मौर्या को टिकट दिया था। हालांकि अमरनाथ मौर्या भी नामांकन कर चुके है लेकिन कल ऋचा सिंह ने नामांकन करके अपनी दावेदारी ठोंक दी है। ऋचा सिंह की अभी आधिकारिक पुष्टि सपा ने नहीं की है।

माना जा रहा था कि अपनी राजनीतिक विरासत को बचाने के लिए अतीक अपनी पत्नी को चुनाव लड़वा रहे है। नामांकन की आखिरी तारीख तक शाइस्ता द्वारा पर्चा न भरके एआईएमआईएम को एक बड़ा झटका भी दे दिया है। शाइस्ता की मंशा क्या है इस पर अभी तक कोई बयान सामने नहीं आया है। चर्चा ये भी है कि किसी बड़ी रणनीति के तहत ही अतीक ने अपनी पत्नी को मैदान से हटाया है।

बता दें कि साल 1989 में अतीक अहमद यहां से निर्दलीय चुनाव जीते थे। इसके बाद समाजवादी पार्टी और अपना दल के टिकट से भी अतीक ने चुनाव लड़ा और लगातार जीतते आए। जब अतीक फूलपुर से सांसद बन गए तो इस सीट से अपने भाई अशरफ को उतारा। साल 1989 से लेकर साल 2017 तक अतीक और फैमिली ने ही यहां से चुनाव जीता है। लेकिन अब अतीक की राजनीतिक विरासत पर भी कयास लगाए जा रहे है। शहर पश्चिमी अतीक का गढ़ माना जाता रहा है। 2017 के चुनाव में सिद्धार्थनाथ सिंह चुनाव जीते और ये सीट बीजेपी के नाम हो गई।

पिछले वर्ष ही असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी को शाइस्ता परवीन ने जॉइन करके सूबे की सियासत में कई सवाल लोगों के जहन में ला दिए थे। पश्चिमी सीट से उम्मीदवार भी घोषित किया गया। हालांकि उनके चुनाव लड़ने पर अब विराम लग गया। अतीक जेल में हैं और उनके दोनों बेटे फरार है।

लिहाजा शाइस्ता ने भी चुनावी मैदान छोड़ दिया। तमाम सवाल ऐसे है जिनका जवाब लोग भी जानने के लिए बेताब नज़र आ रहे है। क्या अतीक ने किसी ठोस कारण की वजह से शाइस्ता परवीन को चुनाव लड़ने से मना कर दिया या फिर इस चुनाव में अतीक किसी को वॉकओवर देने के मूड में है। ये भी एक बड़ा सवाल है।

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