ऊर्जा मंत्री अरविंद शर्मा का 'सिंघम' अवतार: अफसरों के साथ हुई बैठक में फूटा गुस्सा, जमकर लगायी लताड़
लखनऊ, जुलाई 24 (TNA) उत्तर प्रदेश के ऊर्जा मंत्री अरविंद कुमार शर्मा बुधवार को अपने पुराने तेवर में नजर आए। राज्य के विद्युत विभाग की उच्चस्तरीय बैठक में, मंत्री ने अधिकारियों की बातें सुनने के बाद विभाग की कार्यशैली पर तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने दो टूक कहा कि वह अफसरों की “बकवास” सुनने नहीं बैठे हैं, और यह स्पष्ट कर दिया कि जमीनी हकीकत अधिकारियों की दी गई जानकारी से बिलकुल अलग है।
मंत्री ने आरोप लगाया कि अफसर आँख, कान और विवेक सब बंद करके बैठे हैं और जनता की परेशानियों की कोई झलक इन बैठकों में नहीं दिखती। उन्होंने अधिकारियों की तुलना पुलिस से भी बुरी करते हुए कहा कि नीचे से झूठी रिपोर्ट बनाकर ऊपर तक भेजी जाती है, और विभाग अब ‘जनसेवा’ के स्थान पर ‘बनिया की दुकान’ जैसा बर्ताव करने लगा है।
उन्होंने पूरी गाँव या फीडर की लाइन काटने की नीति को अनुचित बताते हुए पूछा कि उन उपभोक्ताओं का क्या दोष है, जो समय पर बिल जमा करते हैं लेकिन ट्रांसफार्मर बदलवाने या उच्चीकरण की मांग को नजरअंदाज किया जाता है। मंत्री ने यह भी कहा कि लगता है विभाग ने उनके खिलाफ साजिश रचने का ठेका ले लिया है।
उन्होंने कंप्यूटर की गड़बड़ियों का ज़िक्र करते हुए बताया कि आम जनता को 72 करोड़ रुपए जैसे असामान्य बिल थमा दिए जाते हैं और बाद में उसे ठीक करने के नाम पर पैसा वसूला जाता है। विभाग की विजिलेंस टीम पर आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि असली बिजली चोरी जहाँ हो रही है वहाँ छापेमारी नहीं होती, बल्कि बेगुनाह लोगों को परेशान किया जाता है, और एफआईआर के नाम पर वसूली की जाती है।
उन्होंने साफ किया कि अब सिर्फ मौखिक निर्देश नहीं चलेंगे, हर निर्णय को लिखित रूप में दर्ज किया जाएगा। मंत्री ने अधिकारियों को मनमानी बंद करने की चेतावनी देते हुए कहा कि वे जनता और विधानसभा के प्रति जवाबदेह हैं।
उनका कहना था कि विभाग के ग़लत और असमयिक निर्णयों का खामियाजा आम जनता को भुगतना पड़ रहा है। संविदा कर्मियों की छंटनी, फोन न उठाना और विद्युत दुर्घटनाओं पर ध्यान न देने जैसी समस्याएं भी उन्होंने विशेष रूप से उठाईं। मंत्री के इस तल्ख रुख के बाद विभाग में खलबली मच गई है और अब उम्मीद की जा रही है कि विभाग अपने रवैये में बदलाव लाएगा।