ऊर्जा मंत्री ए.के. शर्मा के कड़े तेवर : बोले जनसेवा के लिए समर्पित हूँ, विद्युत कर्मचारी नेताओं पर लगाएं गंभीर आरोप
लखनऊ, जुलाई 28 (TNA) उत्तर प्रदेश में ऊर्जा मंत्री ए.के. शर्मा और कुछ विद्युत कर्मचारी नेताओं के बीच तनातनी लगातार बढ़ती जा रही है। सूत्रों के अनुसार, कुछ प्रमुख कर्मचारी नेता पिछले कुछ समय से मंत्री के रवैये से असंतुष्ट हैं क्योंकि वह “झुकने को तैयार नहीं” हैं।
इन नेताओं पर आरोप है कि वे विभाग की छवि को नुकसान पहुँचा रहे हैं और अधिकारियों व कर्मियों की मेहनत पर पानी फेर रहे हैं। ए.के. शर्मा के तीन वर्षों के कार्यकाल में विद्युत कर्मचारियों ने चार बार हड़ताल की, जिनमें पहली हड़ताल उनके मंत्री बनने के महज तीन दिन बाद तय की गई थी। स्थिति इतनी बिगड़ गई थी कि हाईकोर्ट को हस्तक्षेप करना पड़ा।
विवादास्पद घटनाएँ
कथित रूप से इन नेताओं के इशारे पर कुछ उपद्रवी तत्व हाल ही में ऊर्जा मंत्री के सरकारी आवास पर पहुंचे और निजीकरण के विरोध के नाम पर छह घंटे तक अभद्र व्यवहार किया। इसके बावजूद मंत्री शर्मा ने संयम बरतते हुए प्रदर्शनकारियों से मुलाकात की और उन्हें पानी-मिठाई तक दी।
निजीकरण पर जवाब
समर्थक पक्ष का कहना है कि निजीकरण का निर्णय न तो एकतरफा है और न ही मंत्री का व्यक्तिगत एजेंडा।
2010 में जब आगरा को टोरेंट कंपनी को दिया गया, तब भी यही यूनियन लीडर सक्रिय थे।
राज्य सरकार की उच्चस्तरीय समिति एवं चीफ सेक्रेटरी की अध्यक्षता में गठित टास्क फोर्स के आधार पर निर्णय लिया गया है।
यह निर्णय औपचारिक शासनादेश के बाद ही आगे बढ़ा है, और इसमें ऊर्जा मंत्री अकेले कोई भूमिका नहीं निभा सकते।