बदायूं में दो बच्चों की निर्मम हत्या पर चढ़ने लगा सियासी रंग

बदायूं में दो बच्चों की निर्मम हत्या पर चढ़ने लगा सियासी रंग

लखनऊ, मार्च २१ (TNA) बदायूं में दो नाबालिक बच्चों की हत्या पर सियासत गर्मा गई है। पूरी तरह इस आपराधिक वारदात पर सियासी रंग चढ़ाने को कोशिश शुरू है। उत्तर प्रदेश की मुख्य विपक्षी दल सपा और भाजपा राजनीतिक रुप से एक-दूसरे को घेरने में जुट गई है ताकी लोकसभा चुनाव में उसका लाभ मिल सके। हालांकि पुलिस-प्रशासन की तत्परता और कड़ी कार्रवाई के चलते मामले को कोई खास हवा नहीं मिल पायी है।

सपा, कानून-व्यवस्था के मसले पर भाजपा को कठघरे में खड़ा करते हुए उस पर साम्प्रदायिक माहौल देकर सियासी लाभ लेने का आरोप लगा रही है। एक्स पर जारी बयान में कहा है कि जनता के असल मुद्दों से हार चुकी भाजपा के पास धार्मिक विवाद ही आखिरी हथियार बचा है। वही भाजपा ने सपा पर घटिया राजनीति का आरोप लगाते हुए कहा है कि जब वह सत्ता में होती तो ऐसे अपराधियों का उस पर संरक्षण होता। उधर, बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की अध्यक्ष और उप्र की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने बृहस्पतिवार को एक बयान जारी कर दो बच्चों की नृशंस हत्या मामले में दुख व्यक्त करते हुए कहा कि दोषियों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई ज़रूरी है। ताकि चुनाव के समय इसकी आड़ में राजनीति न हो।

दरअसल, बदायूं कभी सपा का गढ़ माना जाता था जिसे 2019 के लोकसभा चुनाव में पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य की बेटी डॉ संघमित्रा मौर्य को आगे कर भाजपा ने कब्जा कर लिया। संघमित्रा ने सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव के भतीजे 2014 में बदायूं से जीते धर्मेंद्र यादव को पराजित किया था। इस बार इस सीट पर सपा महासचिव शिवपाल सिंह यादव के सपा उम्मीदवार होने से भी माहौल में कुछ ज्यादा ही हलचल है। ऐसे में भाजपा के सामने जहां तकरीबन 18 हजार के अंतर से जीतने वाली इस सीट पर ज्यादा अंतर से जीतने की चुनौती है। जाहिर है इस सीट पर अपना कब्जा बरकरार रखने भाजपा भी कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेगी-कोशिश हिन्दू मतों के ध्रुवीकरण की भी होगी। भाजपा के बड़े से छोटे नेता पीड़ित परिवार के साथ लगातार खड़े दिख रहे हैं।

वहीं दूसरी ओर सपा की पूरी कवायद हर हाल में इस सीट को जीतने की है। ऐसे में सपा अपने कोर वोट बैक मुस्लिम-यादव को पूरी तरह साधने में जुटी हैं, क्योकि यहां मुस्लिम और यादव वोटरों की संख्या सबसे ज्यादा है। यहां तकरीबन चार लाख यादव वोटर हैं, वहीं मुस्लिम वोटरों की संख्या तीन लाख से उपर बतायी जाती है। ऐसे में अगर यह एकमुश्त समाजवादी पार्टी को वोट कर दिया तो परिणाम बदल सकता है। इस वारदात के आरोपी के एनकाउंटर में मारे जाने पर सपा प्रत्याशी शिवपाल का बयान इसी समीकरण के परिपेक्ष्य में देखा जा रहा है। उन्होंने पत्रकारों से बातचीत में कहा था कि आरोपी को पकड़कर घटना का खुलासा करना चाहिए था।

— बागीश धर द्विवेदी

(लेखक एक वरिष्ठ पत्रकार हैं)

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