मुजफ्फरनगर में स्कूली बच्चे को पड़े थप्पड़ों की गूंज मानवाधिकार आयोग पंहुची

मुजफ्फरनगर में स्कूली बच्चे को पड़े थप्पड़ों की गूंज मानवाधिकार आयोग पंहुची

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लखनऊ, अगस्त 27 (TNA) मुजफ्फरनगर में स्कूली बच्चे को पड़े थप्पड़ों की गूंज दुनिया में गूंजी तो हमारे उत्तर प्रदेश और देश की बदनामी का कलंक बन गई। इस कलंक को मिटाना होगा, हर नागरिक का दायित्व है कि वो अपने देश-प्रदेश की छवि, प्रतिष्ठता और आन-मान शान की रक्षा करें।‌ मुजफ्फरनगर के एक स्कूल की अध्यापिका तृप्ति त्यागी द्वारा एक धर्म विशेष के आठ वर्षीय बच्चे को उसके सहपाठियों से पिटवाने का वीडियो इंटरनेट के माध्यम से विश्वभर में फैल गया।

इस बात से फिक्रमंद सामाजिक कार्यकर्ता और विख्यात अधिवक्ता मोहम्मद हैदर रिज़वी चाहते हैं कि विकृत मानसिकता की अध्यापिका को इतनी सख्त सज़ा मिले कि ये एक नज़ीर बने और आईंदा दिल को दहलाने वाली ऐसी कोई तस्वीर सामने ना आए। पीड़ित बच्चे को अच्छे बोर्डिंग स्कूल में दाखिला दिलाया जाए, जिसका खर्च सरकार वहन करे।

मोहम्मद हैदर का मानना है कि दुनिया के इंसानियत पसंद लोगों की निगाहें इस घटना पर अभी भी बनी होगी, सख्त कार्रवाई हुई तो हमारे देश-प्रदेश की धूमिल छवि के दाग मिट जाएंगे।‌ यही कारण है कि अभिवक्ता हैदर ने राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग को भेजे नोटिस में गुजारिश की है कि जांच कर आरोपी शिक्षिका पर सख्त धाराओं के मुकदमे दर्ज किए जाएं।‌

पीड़ित बच्चे के मन-मस्तिष्क पर स्कूल में उसके ही सहपाठियों से पिटवाने के नफरती कृत्य का जो असर हुआ है उसे भुलाने के लिए किसी दूसरे अच्छे स्कूल में उस बच्चे को दाखिला दिखाकर राज्य सरकार उसका खर्च वहन करे। आयोग से की गई इन मांगों के साथ मोहम्मद हैदर ने चिंता व्यक्त की है कि इस बड़े अपराध में मामूली धाराओं में मुकदमा दर्ज होना नाकाफी है।

हैदर रिजवी कहते हैं कि उन्हें पूरा विश्वास है कि उनके आग्रह पर मानवधिकार आयोग गंभीरता से एक्शन में आएगा। वो कहते हैं कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यूपी को माफियाओं और दंगों से मुक्ति दिलाकर शांति-सौहार्द और सुकून का वातावरण पैदा किया है। योगी राज में निवेशकों का सूबे पर विश्वास बढ़ा है। इसलिए मुख्यमंत्री से भी आशा है कि वो आठ साल के मासूम छात्र की पिटाई जैसी प्रताड़ना मामले पर सख्त कार्रवाई का आदेश देंगे।

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को भेजे नोटिस में इस मामले को ना केवल एक बच्चे की प्रताड़ना बताया गया है बल्कि साम्प्रदायिक नफरत फैलाने, मानव अधिकार एवं बाल संरक्षण के खिलाफ संज्ञेय अपराध बताया गया है। ये अपराध उत्तर प्रदेश और देश की छवि को धूमिल करने की साजिश जैसा भी लगता है। इसलिए जिले के जिलाधिकारी और एस एस पी को मामले का संज्ञान लेकर इतनी सख्त कार्रवाई करना चाहिए थी कि ऐसी नजीर पेश होती कि आइंदा किसी अबोध असहाय बालक के साथ ऐसा व्यवहार करने के बारे में किसी दुष्ट के मन में भी ऐसा विचार भी ना आता।

गरीब-कमजोर अभिभावक अकसर दबाव में आकर बच्चों के साथ पेश होने वाले ऐसे कृत्य पर समझौता कर मामला रफा-दफा कर देते हैं। सरकार और प्रशासन दोषी के खिलाफ सख्त कदम नहीं उठाता। मुजफ्फरनगर के थप्पड़ कांड में भी ऐसा ही हो रहा है। लेकिन मानवधिकार आयोग चाहे तो सरकार, प्रशासन और अभिभावकों की उदासीनता के बाद भी मानवधिकार के तहत पुलिस-प्रशासन और सरकार को दोषी को सख्त सजा दिलवाने को मजबूर कर सकता है।

हमारे देश की सामाजिक समरसता, अनेकता में एकता, गंगा जमुनी तहजीब को दुनिया सलाम करती है। विभिन्न धर्म-जातियों, संस्कृतियों, परंपराओं की विविधता हमारी ताकत है। ऐसे में धर्म के आधार पर एक बच्चे को शिक्षा के मंदिर में पिटवाने की घटना सामाजिक सौहार्द को बिगाड़ने और देश-प्रदेश की छवि खराब करने की साजिश भी हो सकती है इसलिए थप्पड़ कांड के वीडियो को सोशल मीडिया का एक दिन का सनसनी आइटम समझ कर भुलाया जाना नादानी और ना समझी होगा।

हैदर रिजवी कहते हैं कि उन्हें पूरा विश्वास है कि उनके आग्रह पर मानवधिकार आयोग गंभीरता से एक्शन में आएगा। वो कहते हैं कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यूपी को माफियाओं और दंगों से मुक्ति दिलाकर शांति-सौहार्द और सुकून का वातावरण पैदा किया है। योगी राज में निवेशकों का सूबे पर विश्वास बढ़ा है। इसलिए मुख्यमंत्री से भी आशा है कि वो आठ साल के मासूम छात्र की पिटाई जैसी प्रताड़ना मामले पर सख्त कार्रवाई का आदेश देंगे।

आशा के विपरीत यदि इस मामले शासन-प्रशासन और मानवाधिकार आयोग ने भी गंभीरता नहीं दिखाई तो वो सुप्रीमकोर्ट में गुहार लगाएंगे और पीड़ित अबोध बालक को न्याय दिलाएंगे।

- नवेद शिकोह

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