योगी के विकास मॉडल के बाद भी भाजपा का जाति पर ज़ोर, भाजपा ने दलित समाज को साधने में शुरू की मुहिम!

योगी के विकास मॉडल के बाद भी भाजपा का जाति पर ज़ोर, भाजपा ने दलित समाज को साधने में शुरू की मुहिम!

3 min read

लखनऊ, अक्टूबर 21 (TNA) उत्तर प्रदेश में डबल इंजन की सरकार बीते छह वर्षों से सूबे के विकास के लिए करोड़ों रुपए खर्च कर रही हैं. शिक्षा, चिकित्सा, सड़क, घर-घर पानी और बिजली पहुंचाने के साथ ही महिलाओं को रोजगार मुहैया करने के साथ ही लड़कियों की शादी कराने की योजनाओं पर धन खर्च किया जा रहा है.

इसके बाद भी सूबे की योगी सरकार और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने आगामी लोकसभा चुनावों में सूबे की सभी 80 संसदीय सीटों को जीतने के लिए जातिगत गुणा-गणित दुरुस्त करना शुरू कर दिया है. इसके तहत अब विभिन्न जातियों के बीच पैठ बढ़ाने के लिए उनके बीच काम करने वाले सामाजिक संगठनों को ही कमान सौंपी जा रही है. इसी क्रम में पार्टी ने राज्य के हर जिले में दलित सम्मेलन कर बसपा से जुड़े दलितों को अपने साथ जोड़ने की मुहिम शुरू की है.

बीते दिनों हापुड़ में हुए दलित सम्मेलन में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित बहुजन समाज पार्टी (बसपा) से भाजपा में आए दलित नेताओं ने शिरकत कर दलित समाज को यह संदेश दिया कि भाजपा ही उनके हित का ध्यान रखती है. भाजपा नेताओं के अनुसार वर्ष 2017 तथा वर्ष 2019 में पार्टी ने इसी तरह से जातीय सम्मेलन किए थे. जबकि वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में इन्हें सामाजिक सम्मेलन का नाम दिया गया था.

अब फिर दलित समाज सामाजिक सम्मेलन के नाम से दलित समाज को साधने की कवायद प्रदेश सरकार और भाजपा ने शुरू की है. ताकि सूबे के करीब 22 प्रतिशत दलित समाज को अपने साथ जोड़ा जा सके. भाजपा नेताओं के अनुसार, यूपी की की 80 लोकसभा क्षेत्र में 17 सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं. बीते लोकसभा चुनाव में इन 17 आरक्षित सीटों में से 15 सीटें भाजपा ने जीती थी. जबकि इन सीटों पर भाजपा का सीधा मुक़ाबला समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) गठबंधन के उम्मीदवार से हुआ था.

कुर्मी, कुशवाहा, निषाद आदि पर नजर जमी

ऐसे में आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर बीते दिनों लखनऊ में आरएसएस (संघ) और भाजपा की समन्वय बैठक में विभिन्न जातियों में पैठ बढ़ाने के लिए सामाजिक संगठनों को आगे रखने पर सहमति बनी. इसी के बाद अब भाजपा और योगी सरकार वर्ष 2024 लोकसभा चुनावों के लिए जाति के समीकरण ठीक करने में जुट गई है. भाजपा नेताओं का कहना है कि विपक्ष द्वारा उठाए जा रहे जातीय जनगणना की काट के लिए पार्टी ने जाति जोड़ो सम्मेलन दुधारी तलवार साबित होंगे. ऐसे सम्मेलनों में भाजपा एक ओर जहां महिलाओं और दलितों पर फोकस कर रही है, वहीं ओबीसी सहित अन्य वर्गों पर भी पार्टी ने निगाह जमाई हुई है.

भाजपा नेताओं के अनुसार, राज्य के हर जिले में दलितों के सम्मेलन तो पार्टी अपने अनुसूचित मोर्चे के बैनर तले ही कर रही है, मगर अनुसूचित वर्ग के साथ ही अन्य जातियों के बीच भी कुछ सामाजिक संगठनों को सक्रिय किया जा रहा है. इन संगठनों को सूबे में हर समाज को पार्टी से जोड़ने की जिम्मेदारी सौंपी गई है. पार्टी ने तय किया है कि इन संगठनों के द्वारा आयोजित कार्यक्रमों में भाजपा के मंत्री, सांसद, विधायक जाएंगे.

उन्हें मोदी-योगी सरकार द्वारा उनके समाज के लिए किए जाने वाले काम गिनाएंगे. अपनी बात रखेंगे और केंद्र तथा राज्य की योजनाओं का लाभ पाने वाले लाभार्थी वर्ग के लोगों से संपर्क करेंगे. भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी का कहना है कि जाति जोड़ों अभियान के तहत कुर्मियों के बीच कार्यक्रम का जिम्मा सरदार पटेल बौद्धिक विचार मंच को दिया गया है.

इसी तरह से कुशवाहा, निषाद, सुनार, लोध, पंजाबी, जाटव, धोबी, पासी सहित अन्य जातियों में भी सामाजिक संगठनों के जरिए पैठ बढ़ाने की रणनीति तय की गई है. पार्टी में इलाकेवार पकड़ रखने वाले जातीय क्षत्रपों को भी सूचीबद्ध किया जा रहा है और सभी लोग मिलकर कार्य करने इसले लिए संगठन के स्तर से उन्हे दिशा निर्देश भी दिए जाने की व्यवस्था की गई है.

— राजेंद्र कुमार

Related Stories

No stories found.
logo
The News Agency
www.thenewsagency.in