भाजपा और कांग्रेस को चाहिए दलित समाज का साथ, बसपा के वोटबैंक को हड़पने की फिराक में दोनों दल

भाजपा और कांग्रेस को चाहिए दलित समाज का साथ, बसपा के वोटबैंक को हड़पने की फिराक में दोनों दल

लखनऊ, अक्टूबर 6 (TNA) उत्तर प्रदेश में यूपी में दलित समाज की आबादी करीब 22 प्रतिशत है. और सूबे की प्रदेश की 80 लोकसभा क्षेत्र में 17 सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं. बीते लोकसभा चुनाव में इन 17 आरक्षित सीटों में से 15 सीटें भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को जीत हासिल हुई थी. जबकि इन सीटों पर भाजपा का सीधा मुक़ाबला समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) गठबंधन के उम्मीदवार से हुआ था.

सुरक्षित सीटों में हुए जीत हार के इस रिजल्ट के आधार पर अब यूपी में भाजपा और कांग्रेस दोनों ने ही दलित समाज का वोट हासिल करने के प्लान तैयार किया है. दोनों ही दलों ने तय किया है कि दलित समाज की बस्तियों में जाकर दलित समाज के लोगों को पार्टी से जोड़ने का प्रयास किया जाएगा. भाजपा की इस मुहिम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के पदाधिकारी भी शामिल रहेंगे. दलित समाज को जोड़ने की इस मुहिम को लेकर भाजपा और कांग्रेस के नेताओं का दावा हैं कि इस चुनाव में यूपी का दलित समाज बसपा की अपेक्षा उनका साथ देगा.

संघ के साथ मिलकर दलित समाज को साधेंगे

फिलहाल सूबे की 22 फीसदी दलित आबादी को भाजपा से जोड़ने के लिए भाजपा ने पार्टी के सभी कार्यालयों और कार्यक्रमों में पंडित दीनदयाल उपाध्याय और श्यामा प्रसाद मुखर्जी के साथ बाबा साहब डा. भीमराव आंबेडकर की एक समान तस्वीर लगाया जाना अनिवार्य किया है. इसके साथ ही पार्टी ने प्रदेश भर में डा. भीमराव आंबेडकर के प्रतिमा स्थलों और मूर्तियों की सफाई और जीर्णोद्धार कराने का जिम्मा पार्टी नेताओं को सौंपा है.

चार फीसदी पासी, तीन फीसदी कोरी, 1.5 फीसदी धानुक व खटीक और 1.5 फीसदी अन्य हैं. प्रदेश में 80 के दशक तक यह दलित वोट बैंक कांग्रेस के पाले में रहा था. बसपा के उभार होते ही वह कांग्रेस से छिटक गया. जिसके चलते ही कांग्रेस सत्ता से बेदखल हुई. अब दलित समाज को जोड़ने के लिए कांग्रेस आगामी नौ अक्तूबर को बसपा संस्थापक कांशीराम की पुण्यतिथि पर प्रदेश भर में समारोह आयोजित करेगी.

इसी क्रम में पार्टी के विधायकों से कहा गया है कि वह अपने क्षेत्र में अनुसूचित वर्ग के बच्चों के खस्ताहाल छात्रावासों को सुधारने के लिए सक्रिय हो. और हर ब्लॉक और गाँव में मौजूद दलित बस्तियों में जाकर दलित समाज के लोगों के साथ संपर्क एवं संवाद का अभियान शुरू करें. इस अभियान के तहत पार्टी के नेता तथा कार्यकर्ता संघ के पदाधिकारियों के साथ दलित समाज के साथ सहभोज का आयोजन कर भोजन करने और दलित समाज के लोगों की हर छोटी बड़ी दिक्कतों की जानकारी कर उसका निदान कराएं.

इसके साथ ही पार्टी नेता दलित समाज को बताएं कि प्रदेश की मोदी-योगी सरकारें गरीबों सहित समाज के हर वर्ग के लिए काम कर रही हैं, इसके बावजूद विपक्षी दल भाजपा से संविधान और आरक्षण को खतरा होने का दुष्प्रचार करते हैं. इस षडयंत्र का प्रभावी ढंग से जवाब देना होगा.

कांग्रेस का दलित गौरव संवाद कार्यक्रम

भाजपा की तरह ही कांग्रेस भी यूपी में दलित समाज को साधने के लिए कांशीराम की पुण्यतिथि पर नौ अक्टूबर से दलित गौरव संवाद कार्यक्रम शुरू कर रही.  इसके जरिए कांग्रेस के नेता और कार्यकर्ता दलितों के बीच जनजागरण करेंगे. उनकी बातों को सुनने के साथ ही एक लाख दलित अधिकार पत्र भी भरवाए जाएंगे. कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय के अनुसार, यूपी में करीब 22 फीसदी दलित आबादी है. इनमें करीब 12 फीसदी जाटव हैं.  

इसमें कांशीराम को श्रद्धांजलि देने के साथ ही उनके संदेशों का प्रचार किया जाएगा. नौ अक्तूबर से ही प्रदेश में दलित गौरव संवाद कार्यक्रम भी शुरू होगा, यह अभियान संविधान दिवस यानी 26 नवंबर तक चलेगा. इस अभियान में पार्टी के नेताओं के साथ ही डॉक्टरों, इंजीनियरों, शिक्षकों समेत अन्य प्रबुद्ध वर्ग के लोगों की भागीदारी होगी. दलित गौरव संवाद के जरिये दलित वर्ग के  लोगों को समझाया जाएगा कि कांग्रेस उनका पुराना घर है.

इस अभियान के जरिए हर विधानसभा क्षेत्र में दलित बस्तियों में रात 10 बजे रात्रि चौपाल का आयोजन कर 500 दलित अधिकार पत्र भराए जाएंगे और 250 लोगों के मोबाइल नंबर जुटाए जाएंगे. इसके अलावा हर लोकसभा क्षेत्र में दलित समाज के 80 लोगों का चयन कर एक दलित कंट्रोल रूम का गठन किया जाएगा. और प्रदेश की सियासत में दलित समुदाय किस तरह का बदलाव चाहता है, यह भी जानने की कोशिश की जाएगी.

— राजेंद्र कुमार

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