घोसी सीट पर सपा-भाजपा में होगी सीधी जंग, सीएम योगी और ओपी राजभर के दमखम की भी होगी परीक्षा

घोसी सीट पर सपा-भाजपा में होगी सीधी जंग, सीएम योगी और ओपी राजभर के दमखम की भी होगी परीक्षा

लखनऊ, अगस्त 10 (TNA) पूर्व मंत्री दारा सिंह चौहान के इस्तीफे से रिक्त हुई घोसी विधानसभा सीट पर अगले माह पांच सितंबर को मतदान होगा. उपचुनाव के लिए 17 अगस्त तक नामांकन होना है. घोसी सीट पर हो रहा उप चुनाव उत्तर प्रदेश की सत्ता पर काबिज भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और प्रदेश के प्रमुख विपक्षी दल समाजवादी पार्टी (सपा) दोनों के लिए बेहद ही अहम है. बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस इस सीट पर अपना प्रत्याशी खड़ा नहीं करेगी. ऐसे में इस सीट पर भाजपा और सपा के प्रत्याशी के बीच ही सीधी चुनावी जंग होगी. यही नहीं लोकसभा चुनावों के पहले यह उपचुनाव यूपी में एनडीए और इंडिया की ताकत का भी टेस्ट माना जा रहा हैं.

इसकी कई वजह है. पहली वजह घोसी संसदीय सीट का भाजपा पर क्बजा का होना. बीते लोकसभा चुनाव में बसपा के अतुल सिंह चुनाव जीते थे. ऐसे में भाजपा यह चाहती है कि घोसी लोकसभा में आने वाली घोसी विधानसभा सीट पार भाजपा के प्रत्याशी की जीत हो. ताकि लोकसभा चुनाव के पहले घोसी लोकसभा सीट को भी अपने पाले में करने के लिए परसेप्शन बन सके.

वही दूसरी तरफ घोसी शहर का मिजाज भाजपा के खिलाफ है. इस सीट से बसपा से भाजपा में आए फागू चौहान कई चुनाव जीते हैं. उन्हे जब वर्ष 2017 में राज्यपाल बनाया गया तब इस विधानसभा सीट पर उपचुनाव हुआ था. अब फिर उपचुनाव हो रहा है. और सपा के मुखिया अखिलेश यादव ने गुरुवार को सदन में इस सीट पर मजबूती से चुनाव लड़कर जीतने के एलान भी कर दिया है. अब जल्दी ही अखिलेश यादव घोसी सीट से चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशी के नाम का खुलासा करेंगे.

करीब चार लाख तीस हजार मतदाताओं वाली घोसी सीट दलित और मुस्लिम समाज के मतदाताओं की संख्या अधिक है. इसके अलावा 55 हजार राजभर और 45 हजार चौहान समाज के मतदाता इस सीट पर हैं. इस जातीय समीकरण के आधार पर सपा का पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) दांव यहां मजबूत माना जा रहा है.

वही दूसरी तरफ यह कहा जा रहा है कि भाजपा दारा सिंह चौहान पर दांव ही लगाएगी. बीते विधानसभा चुनाव में भाजपा ने विजय राजभर को इस सीट से चुनाव मैदान में उतारा था. दारा सिंह चौहान तब योगी सरकार में मंत्री थे और उन्होने भाजपा से नाता तोड़कर सपा ज्वाइन कर ली थी. सपा ने उन्हे घोसी सीट से चुनाव लड़ाया था और दारा सिंह चौहान ने विजय राजभर को बीस हजार से अधिक वोटों से हरा दिया था. अब दारा सिंह चौहान को सपा से तोड़कर फिर भाजपा में ले आया गया है, ऐसे में अब इस सीट पर भाजपा की भी प्रतिष्ठा दांव पर लगी है. इसलिए अब कहा जा रहा है कि उपचुनाव में सपा और भाजपा के बीच सीधी चुनावी जंग होगी.

अपने -अपने दावे :

करीब चार लाख तीस हजार मतदाताओं वाली घोसी सीट दलित और मुस्लिम समाज के मतदाताओं की संख्या अधिक है. इसके अलावा 55 हजार राजभर और 45 हजार चौहान समाज के मतदाता इस सीट पर हैं. इस जातीय समीकरण के आधार पर सपा का पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) दांव यहां मजबूत माना जा रहा है.

जबकि दारा सिंह चौहान की इस सीट पर अपनी लोनिया चौहान बिरादरी पर मजजूत पकड होने तथा ओम प्रकाश राजभर के एनडीए के साथ आने की वजह से भाजपा भी घोसी सीट पर अपने को मज़बूत बता रही है. इस सीट के जातीय समीकरण को लेकर ही सपा और भाजपा नेता अभी से अपनी अपनी जीत के दावे करने लगे हैं. जबकि अभी तक इस सीट पर चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशी के नाम का ऐलान भी नहीं किया गया है.

इंडिया के साथ ही एनडीए गठबंधन का भी टेस्ट

घोसी उपचुनाव में भाजपा के खिलाफ सपा गठबंधन के लिए कितने दल एकजुट होते हैं, ये देखना काफी रोचक होगा. सूबे में अगर भाजपा के खिलाफ INDIA (इंडिया) का गठबंधन एकजुट होता है तो फिर रोचक जंग देखने को मिल सकती है. इस लिहाज से देखा जाए तो घोसी उपचुनाव न केवल सपा गठबंधन, बल्कि इंडिया गठबंधन के लिए भी अग्नि परीक्षा की तरह होगा.

इस सीट पर इंडिया के साथ ही एनडीए गठबंधन का टेस्ट होना भी तय है. भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए गठबंधन में ओम प्रकाश राजभर की सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) भी शामिल है. कहा जा रहा है कि सुभासपा के एनडीए में आने से पूर्वांचल में भाजपा का फायदा होगा. वही यह भी कहा जा रहा है कि अखिलेश यादव के नेतृत्व सपा इस सीट को जीतने में जान लगा देगी क्योकि यहां मिली जीत से विपक्ष का मनोबल ऊंचा होगा और लोकसभा चुनावों में भाजपा के गणित को ध्वस्त करने की शुरुआत हो जाएगी.

— राजेंद्र कुमार

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