योगी की क़िस्मत के बुल्डोजर से टूटा विपक्ष !

योगी की क़िस्मत के बुल्डोजर से टूटा विपक्ष !

राम मंदिर आंदोलन से लेकर राममंदिर निर्माण को भाजपा की सफलता का माइलस्टोन बनाने वाला उत्तर प्रदेश अब विपक्षी बिखराव का केंद्र बनता दिख रहा है। बसपा सुप्रीमो मायावती की इंडिया गठबंधन से दूरी के बाद सपा और कांग्रेस का टकराव यहां अस्सी की अस्सी सीटें जीतने का भाजपा का लक्ष्य पूरा कर दे तो आश्चर्य नही होगा !

कहा जाता है कि सियासत की सफलता के लिए भी कर्म के साथ क़िस्मत का साथ देना जरूरी होता है। सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की क़िस्मत भी उनका साथ दे रही है। योगी के काम और राम के नाम भरोसे भाजपा तीसरी बार नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाने के लिए उत्तर प्रदेश की अस्सी सीटो को लेकर निश्चिंत थी ही कि इंडिया गंठबंधन में सपा-रालोद और कांग्रेस के साथ बसपा के आने की अटकलें भाजपा की घबराहट का सबब बन गई।

लेकिन कुछ दिनों में ही विपक्षी एकता ताश के पत्ते की तरह बिखर जाने के संकेत देने लगी। बसपा सुप्रीमो मायावती ने सख्ती से अटकलों पर विराम लगाया और विपक्षियों के खेमें में आने से इंकार कर दिया। और अब कांग्रेस और सपा के बीच भी कलह मच गई। राजनीति पंडितों की मानें तो आगामी लोकसभा चुनाव में यूपी में सपा, बसपा और कांग्रेस अलग-अलग चुनाव लड़ेंगी तो योगी आदित्यनाथ की सफलता का दूसरा रिकार्ड कायम हो सकता है।

37 वर्ष बाद सूबे में दोबारा मुख्यमंत्री बनने का रिकार्ड बनाने वाले योगी यदि यूपी की सभी अस्सी सीटें जीत कर दूसरा सबसे बड़ा सियासी रिकार्ड क़ायम कर लें तो ताजुब नहीं होगा। योगी का बुल्डोजर मॉडल जनता ने पसंद किया और विधानसभा चुनाव जिताकर दोबारा मुख्यमंत्री बनाया, अब इनकी किस्मत के बुल्डोजर से विपक्षी एकता टूट रही है और उत्तर प्रदेश इंडिया गठबंधन के टूटने का केंद्र बनता दिख रहा है।

यूपी कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय सपा के खिलाफ कड़वे बयान देकर थके नहीं रहे थे कि मध्यप्रदेश के विधानसभा चुनाव में सपा को एक सीट भी ना देकर कांग्रेस हाईकमान ने सपा प्रमुख अखिलेश यादव को आगबबूला कर दिया है। उधर बसपा लगातार कांग्रेस और सपा पर हमलावर है। बिखरे विपक्ष का अंधकारमय भविष्य देखकर आगे रालोद प्रमुख जयंत चौधरी भाजपा के प्रस्ताव को स्वीकार कर लेंगे कयास पुनः लगने लगे हैं।

सपा और कांग्रेस के बीच डैमेज कंट्रोल के लिए अभी तक इंडिया गठबंधन के शीर्ष नेता सामने नहीं आए हैं। कांग्रेस के राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा जैसे शीर्ष नेता मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और तेलंगाना में चुनाव प्रचार में लगे हैं। आगे पांच राज्यों के चुनावी नतीजे कांग्रेस के पक्ष में रहे तो कांग्रेस तब तो सपा के आगे बिल्कुल भी नहीं झुकेगी। नतीजे संतोषजनक नहीं रहे तो अखिलेश यादव यूपी में कांग्रेस को घास नहीं डालेंगे। दोनों ही स्थितियों में आगे कांग्रेस और सपा के बीच समझौते के आसार थोड़े कठिन हैं।

राजनीति के जानकारों का कहना है कि कांग्रेस भाजपा को चुनौती देने की कीमत पर राज्यों में क्षेत्रीय क्षत्रपों को स्थापित होने का मौका नहीं देना चाहती। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस राज्यों में अपनी शक्ति बढ़ाना चाहती है। और खासकर यूपी जैसे सूबे में अपने खोए हुए अल्पसंख्यक वोट बैंक और एंटी-इनकम्बेंसी का अकेला लाभ उठाना कांग्रेस का मुख्य लक्ष्य है। भले ही उसे पांच वर्ष और इंतेज़ार करना पड़े, इसके लिए उसे भाजपा के साथ ही नहीं उन क्षत्रपों से भी लड़ना होगा जिन्होंने कांग्रेस को पछाड़ कर अपना वजूद हासिल किया था।

कांग्रेस पर आगबबूला अखिलेश यादव के तेवरों को देखकर एक सपा प्रवक्ता ने नाम ना छापने की शर्त पर कहा कि अब हमें सिर्फ भाजपा से ही नहीं लड़ना है बल्कि कांग्रेस के घमंड के नव अंकुर को भी तोड़ना है। कांग्रेस का यही रुख रहा तो इस बार रायबरेली और अमेठी में सपा सीट नहीं छोड़ेगी।‌ दोनों सीटों पर मजबूत समाजवादी उम्मीदवार उतारा जाएगा।

ये बात गौरतलब है कि अल्पसंख्यक समाज के भरोसे भले ही यूपी में कांग्रेस का वोट प्रतिशत बढ़ जाए किंतु यहां भाजपा के मजबूत जनाधार के आगे तीन हिस्सों में बंटे सत्ता विरोधी वोटों के भरोसे कांग्रेस के लिए दो सीटें भी जीतना मुश्किल है। कारण ये है कि यहां इसके पास ना मजबूत संगठन है और ना कार्यकर्ताओं की बढ़ी फौज। पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस करीब दो फीसदी वोट और दो सीटें ही जीत सकी। कहा जाता है कि कांग्रेस के ये दोनों विधायक अपने खुद के जनाधार की बदौलत चुनाव जीते थे।

लेकिन इधर कुछ महीनों से कांग्रेस राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के बाद आगे बढ़ी। हिमाचल और कर्नाटक में विधानसभा चुनाव जीती। यूपी में मुस्लिम समाज का रुझान कांग्रेस की तरफ बढ़ता दिख रहा है। ऐसे में आगामी लोकसभा चुनाव में यदि मुसलमान समाज कांग्रेस के समर्थन में आया तो सूबे का बीस फीसद अल्पसंख्यक वोट सपा और कांग्रेस में बिखर जाएगा। जिससे सपा को भरपूर नुकसान तो होगा ही अकेले बूते चुनाव लड़ने का दुस्साहस कांग्रेस और बसपा के लिए भी प्राणघातक जैसा होगा।

क्योंकि इस वर्ष ही निकाल चुनाव यूपी में भाजपा का प्रचंड जनाधार बर्करार होने का प्रमाण दे चुके हैं। योगी की बढ़ती लोकप्रियता और मोदी की वाराणसी सीट वाले यूपी के अयोध्या में भव्य राम मंदिर का शुभारंभ एक बार फिर भाजपा को नई ऊर्जा देगा। लोकसभा चुनाव के चंद माह पहले जनवरी में राममंदिर के उद्घाटन के बाद की भाजपाई राजनीति एक बार फिर राम मय हो जाएगी। मोदी का फ्री राशन, योगी की कानून व्यवस्था,अपराधियों के हौसलों पर चले बुल्डोजर मॉडल का जादू और राममंदिर के वैभव के आगे बिखरा हुआ विपक्ष यूपी में भाजपा के मजबूत किले को कैसे भेद पाएगा ?

फिलहाल तो यहां सत्तारूढ़ भाजपा के आगे बिखराव और टकराव ने यूपी में विपक्ष को और भी कमजोर बना दिया है। आगे माहौल पलट जाए वो बात अलग है, क्योंकि सियासत और ऊंट एक जैसी करवट में नहीं बैठते। पलभर में करवट बदल भी जाती हैं।

— नवेद शिकोह

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