लोधी राजपूत को अपने खेमे में लाने में जुटी भाजपा, महाराष्ट्र और तमिलनाडु की तरह यूपी में लाभ दिलाने की कवायद
लखनऊ, नवंबर 21 (TNA) उत्तर प्रदेश में योगी सरकार लोकसभा चुनावों के पहले लोधी राजपूत समुदाय को अपने खेमे में लाने की कवायद में जुट गई है. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ओबीसी वर्ग में करीब 4.9 प्रतिशत की हिस्सेदारी रखने वाले लोधी राजपूत समुदाय को विमुक्त जाति (डिनोटिफाइट ट्राइब्स) में शामिल करने की मंशा रखती है. पार्टी के इस मिशन को पूरा करने के लिए ही योगी सरकार लोधी राजपूत समुदाय को विमुक्त जाति में शामिल करने के लिए सूबे में अध्ययन करा रही है.
अभी यूपी के तीन जिलों फ़तेहपुर, मैनपुरी और फिरोजाबाद में ही लोधी राजपूत विमुक्त जाति में शामिल है. भारतीय ओबीसी महासभा की मांग है कि पूरे प्रदेश में लोधी राजपूत को विमुक्त जाति में शामिल स्थानीय निर्वाचन में आरक्षण का कोटा दिया जाए. इस मांग को आधार बनाकर यूपी में लोधी राजपूत को विमुक्त जाति में शामिल किए जाने के दावों का अध्ययन कराया जा रहा है. राज्य के समाज कल्याण मंत्री असीम अरुण का कहना है, अध्ययन रिपोर्ट मिलने के बाद ही लोधी राजपूत को विमुक्त जाति में शामिल किए जाने का फैसला किया जाएगा.
ताकि लोधी राजपूत को भी मिले लाभ
उत्तर प्रदेश में ओबीसी वर्ग से सिर्फ यादव और कुर्मी समाज के भी नेताओं ने नाम नहीं कमाया है. लोधी राजपूत समाज के भी कई बड़े नेता यूपी की राजनीति को दिशा देने वाले रहे हैं. राज्य के 29 जिलों में लोधी राजपूत जाति की आबादी है. समाज कल्याण विभाग के आंकड़ों के अनुसार, सूबे में झांसी, हमीरपुर, महोबा, जालौन, बांदा, फ़तेहपुर, रायबरेली, अमेठी, बाराबंकी, उन्नाव, औरैया, कन्नौज, फिरोज़बाद, बरेली, फरुर्खबाद, मैनपुरी, इटावा, एटा, आगरा, अलीगढ़, हाथरस, बदायूं, बुलंदशहर, अमरोहा, शाहजहांपुर, पीलीभीत, रामपुर और लखीमपुर में लोधी राजपूत की अच्छी खांसी आबादी है. एक अनुमान के अनुसार यूपी में लोधी राजपूत समुदाय की आबादी करीब 4.9 फीसदी है.
अब योगी सरकार का ध्यान इस ओर गया है और लोधी राजपूत को विमुक्त जाति में शामिल करने की मांग का अध्ययन करने की ज़िम्मेदारी उप्र अनुसूचित जाति एवं जनजाति शोध और प्रशिक्षण संस्थान सौंपी गई है.
वर्तमान में फ़तेहपुर, मैनपुरी और फिरोजाबाद में ही लोधी राजपूत विमुक्त जाति में शामिल है. भारतीय ओबीसी महासभा के राष्ट्रीय प्रवक्ता राम लोटन निषाद के अनुसार, यूपी में कुल 29 विमुक्त जातियां हैं, जिन्हे ओबीसी या एससी आरक्षण का लाभ मिलता है. विमुक्त जातियों को शिक्षण संस्थाओं और प्रशिक्षण योजनाओं में विशेष प्रोत्साहन भी दिया जाता है. महाराष्ट्र और तमिलनाडु में विमुक्त जातियों का शिक्षा, नौकरियों और विभिन्न योजनाओं के बजट आवंटन में भी कोटा है. इसका संज्ञान लेते हुए ही यूपी में भी अन्य राज्यों की तरह ही लोधी राजपूत को विमुक्त जाति में शामिल करने की मांग जा रही है. ताकि इन्हे भी शिक्षा, प्रशिक्षण और सेवायोजन का लाभ मिल सके.
इस तरह शुरू हुई यह मांग
विमुक्त वे समुदाय हैं, जिन्हे ब्रिटिश शासन के दौरान वर्ष 1871 में आपराधिक जनजाति अधिनियम के तहत 'जन्मजात अपराधी' के रूप में अधिसूचित किया गया था. ब्रिटिश शासन के खत्म होने के बाद इन प्रावधानों को वर्ष 1952 में निरस्त कर दिया गया और इन्हे विमुक्त जातियों के अंतर्गत रखा गया. प्रदेश और केंद्र सरकार को इस संबंध में आवेदन देने वाले लोध राजपूत जाति के प्रतिनिधियों का कहना है कि उनके समुदाय के लोगों ने सूबे में अंग्रेज़ो के जुल्म का लगातार विरोध किया था.
जिसके चलते ही अंग्रेजों ने उन्हे गुलाम भारत में आपराधिक जनजातियों के तहत रखा. ऐसी जातियों को आजाद भारत में विमुक्त का दर्जा दिया गया. यूपी में लोधी राजपूत को तीन जिलों में विमुक्त जाति का दर्जा मिला हुआ है, लेकिन अन्य जिलों में नहीं. इस कारण लोधी राजपूत को पूरे प्रदेश में विमुक्त जाति में शामिल किए जाने की मांग लंबे समय से की जा रही है. अब योगी सरकार का ध्यान इस ओर गया है और लोधी राजपूत को विमुक्त जाति में शामिल करने की मांग का अध्ययन करने की ज़िम्मेदारी उप्र अनुसूचित जाति एवं जनजाति शोध और प्रशिक्षण संस्थान सौंपी गई है.
यह संस्थान लोधी राजपूत समुदाय की सामाजिक स्थिति का अध्ययन करेगा और यह देखेगा कि विमुक्त जातियों से उनकी प्रकृति कितनी समान है. इस अध्ययन के निष्कर्ष के आधार पर सरकार को रिपोर्ट सौंपी जाएगी, जिसके आधार पर योगी सरकार लोधी राजपूत समुदाय को विमुक्त जाति में शामिल करने का फैसला लेगी.
— राजेंद्र कुमार