नीब करौरी बाबा की अनंत कथाएँ: द्वारिका में श्री कृष्ण कमल के चरण रूप दर्शन
१९७६ में माँ द्वारिका नगर में द्वारिकाधीश के मन्दिर गई थी । हिन्दू धर्म के चारों धामों में से द्वारिका को भी एक परम धाम माना जाता है ।
वारिका में मन्दिर में रहने के लिये माँ को ख़ुशामद करनी पड़ी । उन्हें केवल एक रात रहने के लिये कमरा दिया गया था और वे भी इस शर्त पर कि सुबह आपको ख़ाली करना पड़ेगा । माँ ने अपने कमरे मे बाबा जी की तस्वीर और उनका कम्बल आसन बना कर रख दिया ।
अगली सुबह प्रधान पुजारी उनसे कमरा ख़ाली कराने वहाँ आया । जैसे ही वे कमरे में घुसा उसकी नज़र बाबा के चरण कमलों की तस्वीर पर पड़ी । तब उन्होंने माँ से कहा कि '," आपको भगवान श्री कृष्ण के चरण कमलों की तस्वीर कहाँ से मिली ।"" सिद्धि माँ बोली ," यह बाबा के चरण कमलों की तस्वीर है ।"
पुजारी बोले," नहीं नहीं ये तो भगवान विष्णु के चरण है । आप देख सकती है कि उनके चारों दिव्य आयुध और प्रतीक चिन्ह शंख, चक्र, गदा और पद्म इसमें दिखाई पड़ रहे है ।" तब माँ ने पुनः ज़ोर दिया कि से बाबा के चरण कमल है तो पुजारी भी द्रवित हो गया और अन्य भक्तों को कमरे में लाने लगा और वे चारों दिव्य आयुध उन्हें दिखाने लगा और माँ से प्रार्थना की कि आप जितने दिन चाहे यहाँ रहे ।
बाबा ने अपना विष्णु रूप दिखा कर पुजारी और अन्य भक्तों को हतप्रभ कर दिया ।
"तुम ही विष्णु राम श्री कृष्णा, विचरत पूर्ण करत हित तृष्णा !!"
जय गुरूदेव
सोइ जानइ जेहि देहु जनाई