नीब करौरी बाबा की अनंत कथाएँ: चलो चलते हैं, ऐसे ही मन चलता है!
1940 के दशक में एक मुस्लिम आईसीएस (भारतीय सिविल सेवा) अधिकारी के बेटे को जो इंग्लैंड में पढ़ रहा था, उसे दिल का दौरा पड़ा था, और उसकी माँ वहाँ अपने बेटे को देखने गई थी। महाराज जी एक भक्त के घर जा रहे थे जिसने महाराज जी से कभी कुछ नहीं पूछा; लेकिन इस मामले में उन्होंने महाराज जी से लड़के के बारे में पूछा, क्योंकि वे पारिवारिक मित्र थे।
इससे पहले कि वह महाराज जी से प्रश्न कर पाता, महाराज जी ने कहा, "क्या? वह उस लड़के के बारे में पूछ रहा है जो इंग्लैंड में पढ़ रहा है। आप क्या पूछना चाहते हैं? माँ वहाँ गई है। आपने उसे हवाई अड्डे पर विदा करते देखा है। जैसे जैसे ही वह पहुंची तो बेटे की हालत में सुधार होने लगा।" तब महाराज जी उठे और बोले, "चलो चलते हैं। ऐसे ही मन चलता है।" (बाद में यह पुष्टि हुई कि मां के आने के बाद लड़के ने सुधार करना शुरू कर दिया था।)