नीब करौरी बाबा की अनंत कथाएँ: रात को कम्बल में बाबा का स्वप्न और इधर मुँह का कैन्सर छू मंतर!

नीब करौरी बाबा की अनंत कथाएँ: रात को कम्बल में बाबा का स्वप्न और इधर मुँह का कैन्सर छू मंतर!

श्री माँ से गणेश प्रसाद झल्डियाल जी के माध्यम से सम्पर्क में आये शिव प्रसाद घिल्डियाल जी भी आठवें दशक में बाबा महाराज के भक्त हो चले थे। कुछ काल बाद उन्हें मुँह में कैन्सर हो गया था । रेडियम थेरापी से यद्यपि उनका रोग ६०% खत्म हो गया था पर इस इलाज के कारण उनकी जुबान अस्पष्ट हो गई 1 और साथ में न तो जीभ में कुछ स्वाद शेष रह गया और न वे कुछ खा सकते थे - केवल रसों का ही सेवन बिना स्वाद करते रहे अन्त में डाक्टरों ने निर्णय लिया कि बचे १०% कैन्सर से उन्हें मुक्त करने के लिये जीभ को ही काटना पड़ेगा । ये और इनके परिवारी तथा इनकी बहिन, श्रीमती देवी झल्डियाल अत्यन्त दुःखी हो चले ।

तब एक रात देवी जी ने स्वप्न देखा कि एक तरफ तो बाबा जी एक पलंग पर पड़े हैं और दूसरी तरफ शिव प्रसाद जी एक चारपाई पर कम्बल ओढ़े पड़े हैं । तभी बाबा जी एकाएक पलंग से कूद गये और शिब्बू भाई के कम्बल के भीतर समा गये !! और पुनः थोड़ी ही देर में केवल धोती पहिने वहाँ से निकल दौड़ते हुये अन्तर्ध्यान हो गये !!

परन्तु इस स्वप्न के माध्यम में इंगित बाबा जी महाराज की दया-कृपा तो शिब्बू भाई पर होनी ही थी । सो कुछ काल बाद वे सपत्नीक वृन्दावन श्री माँ के पास पहुँचे जहाँ माँ ने उन्हें बाबा महाराज का चरणोदक पान करते रहने तथा बाबा महाराज के समय की विभूति जुबान में लगाने हेतु दी । अब की शिब्बू भाई ने श्री माँ के इस आश्वासन पर विश्वास के साथ चरणोदक का पान तथा विभूति का सेवन करना प्रारम्भ कर दिया ।

और कुछ ही काल बाद इस अलौकिक उपचार के उपरान्त शिब्बू भाई का पुनः टेस्ट हुआ तो पता चला कि कैन्सर विलीन हो गया है वे न केवल बोलने लगे खुलकर वरन सब कुछ स्वाद के साथ खाने भी लगे !!

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