नीब करौरी बाबा की अनंत कथाएँ: भक्त की जीभ का कैन्सर पल में छू मंतर!

नीब करौरी बाबा की अनंत कथाएँ: भक्त की जीभ का कैन्सर पल में छू मंतर!

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केहर सिंह की जीभ के नीचे माँस का एक बड़ा लोथड़ा उभर आया जो उन्हें खाने-पीने में कष्ट देता रहा । डाक्टरों ने के बाद निदान किया कि यह कैन्सरस ग्रोथ है । केहर सिंह जी बहुत दुखी हो - आदि गये कि - कैन्सर का कोई इलाज नहीं है, बच्चे छोटे हैं, मेरे बाद इनका क्या होगा, बाबा जी भी पता नहीं कहाँ हैं, उन्हीं से कुछ कहता

तभी कुछ ही अर्से बाद महाराज जी आ पहुँचे लखनऊ। और उस दिन जब शाहंशाह कोठी के पास (गोमती किनारे) मेहरोत्रा जी एवं प्रेमलाल जी के साथ बाबा जी मिले तो पहले तो उन्होंने सूरज बाबू से कहा कि, “मेरे लिए पानी ले आ ।” फिर प्रेमलाल जी से कहा—“दाँत खोदने को एक सींक ले आ ।” जब दोनों विदा हो गये तो केहर सिंह जी को पास खींचकर कहा, “अब बता, क्या कहना चाहता है ।"

विह्वल होकर चौधरी साहेब ने अपनी दशा कह अपना दुखड़ा रोया । तभी बाबा जी ने उन्हें अपने सीने से चिपटा लिया और अपनी दाहिनी हथेली से उनके सिर को कई बार जोर से मल दिया, फिर चेहरे पर भी हाथ फेर दिया और फिर छोड़ दिया, पर कहा कुछ नहीं । कुछ ही दिनों में वह कैन्सरस ग्रोथ कहाँ गई डाक्टरों के लिये भी यह एक अजूबा ही बना रहा । पता न चला !!

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