बाबा कहते हैं…जीवन में शंका और विश्वास दोनों एक साथ नहीं रह सकते

बाबा कहते हैं…जीवन में शंका और विश्वास दोनों एक साथ नहीं रह सकते

जीवन में शंका और विश्वास दोनों एक साथ रह ही नहीं सकते क्योंकि जहां शंका होती है वहां विश्वास ठहर ही नहीं सकता और जहां विश्वास है वहां शंका की कोई गुंजाइश नहीं होती। जरा सी भी यदि शंका है तो विश्वास बन ही नहीं पाएगा क्योंकि शंका और विश्वास दोनों एक साथ हो ही नहीं सकते ।

कहा भी गया है कि "दोऊ ना होए एक संग भुआलू। हंसब ठठाय फुलौब गालू।।" जैसे खिल खिला कर हंसना और गाल फुलाना दोनों एक साथ संभव ही नहीं है वैसे ही शंका और विश्वास एक साथ संभव ही नहीं है । जो शंका रहित होगा वही विश्वास कर सकता है । विश्वास में शंका का कोई स्थान नहीं होता.

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