जाने कहां गए वो लोग…फरजंद अहमद

जाने कहां गए वो लोग…फरजंद अहमद

आज से 35-40 साल पहले फरजंद अहमद भाई से मुलाकात हुई थी लखनऊ में जब वे इंडिया टुडे के लिए पटना से विशेष तौर से न्यूज कवरेज के लिए आए थे। एक दौर था लखनऊ में इंडिया टुडे का कोई प्रतिनिधि लखनऊ में नहीं था तो फरजंद भाई पटना से आते थे। लेकिन आने से पहले वे फोन करते और घटनाक्रम की जानकारी लेते थे और तब निर्णय लेते की आना है की नहीं।

फरजंद भाई के लखनऊ आने पर जहां वे ठहरते वहां मुलाकात होती और फिर साथ कहीं खाना खाया जाता और वे न्यूज कवरेज के बाद पटना लौट जाते थे। फिर एक वक्त ऐसा आया की फरजंद भाई की पोस्टिंग लखनऊ में हो गई। वे निराला नगर में रहते थे ।हजरतगंज से थोड़ा दूर था लेकिन हमारा उनके घर जाना लगा रहता था। अक्सर प्रेस कांफ्रेंस और न्यूज कवरेज और सचिवालय या राजनैतिक दलों के दफ्तर भी हमलोग साथ साथ जाते थे।

जब फरजंद भाई कसमंडा हजरतगंज में रहने लगे तो रोज शाम को उनके निवास पर चाय पर चर्चा होती थी ।प्रदेश के अलावा देश और विदेश पर भी खूब चर्चा होती थी। फरजंद भाई बहुत अच्छे मेजबान थे इसलिए चाय के साथ पकौड़ी, चना मुरमुरा भी रहता था। इस बैठकी मैं खासतौर से पत्रकार मित्र सुभाष मिश्र, जिनको हमने कोरोना में खो दिया, कांग्रेस प्रवक्ता सुरेंद्र राजपूत, वरिष्ठ पत्रकार उत्कर्ष सिन्हा भी रहते थे।

फरजंद भाई के पास अनुभव और न्यूज पकड़ने के अदभुत दृष्टि थी। घटना को किस नजर से देखना है यह समझने में फरजंद भाई की सोहबत में बहुत कुछ सीखने का मौका मिला। फरजंद भाई को किताबें पढ़ने का बहुत शौक था इसलिए हम उनके साथ शाम को अक्सर गैंजिंग करके यूनिवर्सल बुक सेलर्स और मॉडर्न बुक स्टॉल खूब जाते थे।

ईद और बकरीद पर फरजंद भाई के घर खाने का विशेष इंतजाम रहता था। तरह तरह के व्यंजन बनवाते थे। और रमजान के मौके पर शाम को इफ्तारी के वक्त हमारा इंतजार करते थे। होली और दीपावली पर वे हमेशा हमारे घर सपरिवार आते थे। फरजंद भाई ने हमेशा एक बड़े भाई का फर्ज निभाया और हमें उनके साथ बहुत कुछ सीखने, जानने और समझने का मौका मिला।

इंडिया टुडे से रिटायर होने के बाद बिहार सरकार ने उनको सूचना आयुक्त बनाया और वहां से अपना कार्यकाल समाप्त करने के बाद लखनऊ आए तो अखिलेश यादव सरकार ने उनको सलाहकार बनाकर मंत्री का दर्जा दिया। मेरे लिए बहुत कष्टकारी दिन था जब फरजंद भाई के निधन की सूचना मिली तो लगा सर के उपर से साया उठ गया। शाम की महफिल उजड़ गई ।

आज भी जब फरजंद भाई के बारे में सोचते हैं उनके साथ बिताए वो पल याद आते है जब देश दुनिया के बारे में खूब चर्चा होती थी। लखनऊ की गलियों में घूम घूम कर खाना खाया जाता था। फरजंद भाई अपनी खास मुस्कराहट के साथ हमेशा हमारी यादों में रहेंगे और उनके पाठक उनकी खबरों को हमेशा याद करेंगे।

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