हर सत्संग के अंदर परमात्मा हैं...

हर सत्संग के अंदर परमात्मा हैं...

जिस प्रकार एक फूल में ख़ुशबू हैं,

तिल में "तेल" हैं, लकड़ी में "आग" हैं,

दूध में "घी" हैं, गन्ने में "गुड" हैं, उसी तरह हर "सत्संग" के अंदर परमात्मा हैं...

बस देखने वाली "नज़र" चाहिए, नजर परमात्मा से प्राप्त होती है,

जिन लोगो को पार उतारना होता है, सबसे पहले परमात्मा उन्हें अपने सत्संग में बुलाना शुरू करते है, क्यूंकि मुक्ति के सारे दरवाजे सत्संग मे ही खुलते हैं,

खूबसूरत जवान चेहरा एक दिन बूढ़ा हो जाता है

मजबूत शरीर एक दिन थक जाता है,

प्रतिष्ठा, पद एक दिन हाथ से निकल जाता है।

परंतु ............

एक अच्छा इंसान मरते दम तक अच्छा होता है,

आप अपने "स्वभाव" विचार, और "व्यवहार" को बनाए रखें, तब लोग आपको अच्छी तरह से बोलेंगे,

चाहे आप कितने भी अच्छे क्यों न हो.

आप कितना भी अच्छा काम करो. …

कितना भी ईमानदार क्यों न हो,

कितना भी पुण्य का काम करो.

ये दुनिया सिर्फ तुम्हारी एक

गलती का इंतजार करेगी, इसलिये......

थक जाओ कभी दुनिया की भीड़ में तो सत्संग में आ जाना, सच में बहुत सकून मिलता हैं,

Related Stories

No stories found.
logo
The News Agency
www.thenewsagency.in