सोमबारी महाराज की तपस्थली काकडी घाट जहां विवेकानंद जी ने शिकागो जाने से पूर्व की थी साधना

सोमबारी महाराज की तपस्थली काकडी घाट जहां विवेकानंद जी ने शिकागो जाने से पूर्व की थी साधना

त्रिकालदर्शी बाबा नीमकरोरी जी महाराज के आध्यात्मिक गुरु उत्तराखंड की अनन्य विभूति सोमबारी महाराज की तपस्थली काकडी घाट मुझे बाबा की कृपा से हाल ही में जाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ| काकडी घाट में ही 1890 में शिकागो जाने से पूर्व स्वामी विवेकानंद जी ने सोमवारी महाराज से भेंट कर उन्हीं के निर्देश पर पीपल वृक्ष के नीचे साधना की थी वहीं पर स्वामी विवेकानंद जी को ज्ञान प्राप्त हुआ था|

ज्ञानवृक्ष - काकड़ीघाट

स्वामी विवेकानन्दजी ने अपनी परिव्राजक यात्रा के दौरान २९ अगस्त १८९० ई० को काकड़ीघाट में रात्रिवास किया था। यहाँ इस पीपल वृक्ष के नीचे जो बाद में ज्ञानवृक्ष के नाम से जाना जाता है, ध्यान करते हुए उन्हें एक दुर्लभ आध्यात्मिक अनुभूति हुई थी। अपने साथी और गुरूभाई स्वामी अखण्डानन्दजी के सामने इस अनुभूति का वर्णन करतें हुए उन्होने कहा थाः

‘‘अभी अभी मैं अपने जीवन के एक महत्वपूर्ण क्षण से गुजरा हूँ। इस पीपल' वृक्ष के नीचे मेरे जीबन की एक महान समस्या का समाधान हो गया है। मैंने सूक्ष्म ब्रह्माण्ड और वृहत ब्रह्माण्ड के एकत्व का अनुभव किया है। जो कुछ ब्रह्माण्ड में है, वही इस शरीर रूपी पिण्ड में भी है। मैंने सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड को एक परमाणु के अंदर देखा है।''

ज्ञानवृक्ष के नाम से विख्यात वह मूल पीपल वृक्ष सन् २०१४ तक सूख गया था। परन्तु उसी वृक्ष के एक प्रतिरूप पौधे का रोपन १५ जुलाई २०१६ को यहाँ उसी मूल स्थान पर किया गया है। एक दुर्लभ फोटो सोमबारी महाराज की व पीपल वृक्ष की| कैंची धाम भी सोमबारी महाराज का ही स्थान था जिसे बाबा ने बाद में हनुमान मंदिर स्थापित कर साधना की|

-- मनीष मेहरोत्रा/बाराबंकी

(जानकारी साझा करने वाले गूढ़ रहस्यों व जानकारियों से भरपूर धार्मिक पुस्तकें लिखने के लिए जाने जाते हैं। इस लेख में प्रस्तुत की गयी जानकरियाँ उनके निजी जानकारियों पर आधारित हैं)

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