The Fauji Corner
मेरी देहरी से तेरी चौखट
Poem by Sqn Ldr Vibhuti Mangal, a serving chopper pilot with the Indian Air Force who writes under a pen name The Nasty Nib
बूंद बूंद जो गिरी है मुझ पर
मैं छलनी हो गई अंदर तक
तेरे प्रेम रस में डूबी तो
मैं हिरणी हो गई जाने कब ।
तू कस्तूरी बना है जब से
मुझे खुद का ही होश नहीं
मैं यहाँ फिरूँ, मैं वहाँ फिरूँ
मैं तुझको ढूँढू इधर-उधर ।
मेरी देहरी से तेरी चौखट
ना पीछा छूटे, ना मिले कभी
तेरी तड़प का क्यूँ कोई तोड़ नहीं
ना फीका हो, ना रंग पड़े
तू स्यामल, तुझसा कौन जँचे ।
संगीत के धागों से डोरी
तू कहाँ से ऐसी बुन लाया
ये प्रीत रीत में भीगी सी
तुझ सी नटखट है थोड़ी सी ।
कभी कच्ची सी, कभी पक्की सी
इसकी अदा है कुछ कुछ कोरी सी
कभी ढीली पड़े, कभी खींचे है
ये मुझमें तुझको बींधे है ।
मगन रहूँ, तेरे संग रहूँ
एक चाह उठी ये मन में है
मेरी देहरी से तेरी चौखट
एक जश्न चले, ये मन में है ।