Viral
"दो हज़ार बीस": सरल छंद में किया गया एक लघु प्रयोग एवं प्रयास
दो हज़ार बीस
गुज़रा तेरा ज़माना
मुश्किल से जा रहे हो
तुम जाओ फिर न आना
तुम याद भी न आना
इक्कीस से कह ये जाना
भूले से भी न बढ़ाए
कोरोना से दोस्ताना
स्कूल भी खुलवाना
त्योहार भी मनवाना
खुली हवा में गूंजे
बच्चों का खिलखिलाना
मास्क भी हटवाना
दूरी को भी घटाना
बंद करवा देना
वो हाथों को धोते जाना
इक दूसरे के दुख में
मिलने अगर हो जाना
नहीं सोचना पड़े कुछ
फिर से नया बहाना
आसान सा कर देना
सबको गले लगाना
हाथ जोड़ कर ही
बस काम न चलवाना
फिर से सिखला देना
तुम सबको मुस्कुराना
थक चुके हैं हम सब
अब और न सताना
-- राजेश वर्मा