मैनपुरी में अस्पताल के बाहर कोविड वैक्सीन की पर्ची पर अवैध वसूली करने वालों का विरोध करने पर युवक की पिटाई

मैनपुरी में अस्पताल के बाहर कोविड वैक्सीन की पर्ची पर अवैध वसूली करने वालों का विरोध करने पर युवक की पिटाई

बेवर/मैनपुरी, अगस्त ११ (TNA) प्रशासनिक मिलीभगत से अस्पताल के बाहर कोविड वैक्सीन की पर्ची पर अवैध वसूली करने वालों का विरोध करना भारी पड़ा ठाकुर विवेक प्रताप को। रामपुर (सैदपुर) बेवर निवासी विवेक पर धारदार हथियार से जानलेवा हमला, मेडिकल रिपोर्ट के बावजूद पांच दिन बाद भी थाना- बेवर (मैनपुरी) पुलिस ने दर्ज नही किया मुकदमा।

मामला उत्तर प्रदेश के जनपद-मैनपुरी के ब्लॉक-बेवर के अन्तर्गत सरकारी अस्पताल "मानपुर-हरी" का है जहां कुछ युवक पिछले कई दिनों से कोविड वैक्सीन की पर्ची आवंटित करने के नाम पर अवैध वसूली कर रहे थे, प्राप्त सूचना के अनुसार जब तक ये पर्ची अस्पताल में नही जाती थी कोरोना वैक्सीन नही लगाई जाती थी।

रामपुर (सैदपुर) निवासी ठाकुर विवेक प्रताप द्वारा इसी बात का विरोध करने पर पर्ची आवंटित करने वाले युवकों से कहासुनी हो गई जिसपर चार युवकों ने मिलकर किसी धारदार हथियार एवं डंडो से उनपर हमला कर दिया।

घायल अवस्था में पीड़ित थाना-बेवर पहुंचा एवं उसके भतीजे शौर्य प्रताप सिंह द्वारा नाम दर्ज तहरीर थाना-बेवर में दी गई।थाना पुलिस द्वारा मेडिकल कराया गया एवं कार्यवाही का आश्वासन देकर घर भेज दिया।

इसी बीच दूसरे पक्ष से एक व्यक्ति अपने पक्ष की तरफ से मारपीट की तहरीर लेकर थाने पहुंचा जिसे थाना प्रभारी द्वारा थाने में बिठा लिया गया लेकिन रात में ही बेवर के कुछ लोग उसे थाने से छुड़ा ले गऐ हालांकि उस व्यक्ति का इस मामले से कोई सीधा लेनदेन था भी नही। पीड़ित विवेक की मेडिकल रिपोर्ट आने के बाद पुलिस समझौते का दबाव बनाने लगी एवं आज पांच दिन से ज्यादा समय व्यतीत होने के बावजूद कोई मुकदमा पंजीकृत नही किया गया।

इस मामले में जब उच्चाधिकारिओं को अवगत कराया गया तो थाना प्रभारी द्वारा कहा गया कि शिकायकर्ता को थाने बुलाया गया और वो थाने नही पहुंचा, पर मूल सवाल ये है कि जब तहरीर पुलिस के पास है, मेडिकल रिपोर्ट पुलिस के पास है और मुकदमा भी पुलिस को ही दर्ज करना है तो घायलावस्था में पुलिस पीड़ित को थाने बुलाना ही क्यों चाहती है।

प्राप्त लिखित नामदर्ज शिकायत एवं मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर उपयुक्त धाराओं में मुकदमा पंजीकृत कर जांच करने के बजाय पीड़ित को थाने में आने का जोर सिर्फ समझौते का दबाव बनाने के लिऐ किया जा रहा है जिसपर पीड़ित पक्ष तैयार नही है।

उसका कहना है उपयुक्त कार्यवाही होनी चाहिऐ जो उसका अधिकार भी है पर पुलिस मुकदमा पंजीकृत करने में सिर्फ टालमटोल एवं बहानेवाजी कर रही है और संभवता किसी राजनैतिक दबाव या अन्य किसी निजी उद्देश्य से पीड़ित पर अप्रत्यय दबाव बनाने का प्रयास कर रही है। सारे घटनाक्रम को देखकर लगता है कि जनपद में कानून की जगह एक स्वतंत्र संयुक्त सिंडिकेट चल रहा है जिसमें सभी अधिकारियों की अपनी अपनी मिलीजुली भूमिका निश्चित है।

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