विश्व में सबसे बड़ी सुरंग बनकर तैयार, पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी ने तैयार किया था रोड्मैप
यातायात की दृष्टि से भारत के नाम एक और बड़ी उपलब्धि जुड़ने के लिए तैयार है । केंद्र की मोदी सरकार की महत्वपूर्ण परियोजना में शामिल रही अब यह बनकर तैयार हो चुकी है । पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने इसका रोडमैप तैयार किया था । वर्ष 2014 में केंद्र में मोदी सरकार के आने के बाद इस प्रोजेक्ट को तेजी के साथ गति मिली ।
अब भाजपा सरकार की मेहनत रंग लाई है । हम बात कर रहे हैं विश्व की सबसे बड़ी सुरंग (टनल) की, जो रफ्तार के लिए तैयार है । अगले माह से उसकी शुरू होने की संभावना है । इस सुरंग के बन जाने से यातायात का साधन और सरल हो जाएगा । साथ ही इसके शुरू होने से जम्मू-कश्मीर और हिमाचल प्रदेश के लोगों के बीच दूरी भी कम हो जाएगी ।
अभी तक हिमाचल प्रदेश के लोगों को आने जाने में बहुत ही कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था । बता दें कि इसका नाम पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी के नाम पर रखा गया है । 10 हजार फीट पर स्थित दुनिया की सबसे लंबी रोड टनल देश में बनकर तैयार हो गई है । इसे बनाने में दस साल लग गए । लेकिन अब इससे लद्दाख साल भर पूरी तरह से जुड़ा रहेगा । साथ ही इसकी वजह से मनाली से लेह के बीच करीब 46 किलोमीटर की दूरी कम हो गई है । 10,171 फीट की ऊंचाई पर बनी इस अटल रोहतांग टनल को रोहतांग पास से जोड़कर बनाया गया है ।
यह दुनिया की सबसे ऊंची और सबसे लंबी रोड टनल है । यह करीब 8.8 किलोमीटर लंबी है । साथ ही यह 10 मीटर चौड़ी है । अब मनाली से लेह जाने में 46 किलोमीटर की दूरी कम हो गई । अब आप ये दूरी मात्र 10 मिनट में पूरी कर सकते हैं । नाली-लेह रोड पर चार और टनल प्रस्तावित हैं, फिलहाल ये टनल बनकर पूरी हो चुकी है । इसके आरंभ होने से पहले ही सैकड़ों लोग हर रोज इस टनल की खूबसूरती को देखने आ रहे हैं । जम्मू-कश्मीर और हिमाचल प्रदेश के लोग इस सुरंग को लेकर उत्साहित है ।
अगले माह पीएम मोदी करेंगे इसका उद्घाटन
सितंबर के अंत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस टनल का उद्घाटन कर सकते हैं । यह टनल सिर्फ मनाली को लेह से नहीं जोड़ेगी बल्कि हिमाचल प्रदेश के लाहौल-स्पिति में भी यातायात को आसान कर देगी, यह कुल्लू जिले के मनाली से लाहौल-स्पिति जिले को भी जोड़ेगी । आपको बता दें कि रोहतांग दर्रे के नीचे रणनीतिक महत्व की सुरंग बनाए जाने का ऐतिहासिक फैसला तीन जून 2000 को लिया गया था, जब अटल बिहारी वाजपेयी देश के प्रधानमंत्री थे।
सुंरग के दक्षिणी हिस्से को जोड़ने वाली सड़क की आधारशिला 26 मई 2002 को रखी गई थी। कुल 8.8 किलोमीटर लंबी यह सुरंग 3000 मीटर की ऊंचाई पर बनायी गई दुनिया की सबसे लंबी सुरंग है। 15 अक्टूबर 2017 को सुरंग के दोनों छोर तक सड़क निर्माण पूरा हो गया था। बॉर्डर रोड आर्गेनाइजेशन की देखरेख में ऑस्ट्रिया और भारत की जाइंट वेंचर स्ट्रॉबेग-एफकॉन कंपनी इसका निर्माण कर रही है । टनल के खुलने पर बर्फबारी के कारण साल के 6 महीने तक दुनिया से कट जाने वाला जनजातीय जिला लाहौल स्पीति देश-प्रदेश से पूरा साल जुड़ा रहेगा ।
सामरिक दृष्टि से भी महत्त्वपूर्ण है ये सुरंग
सामरिक दृष्टि से रोहतांग टनल काफी अहम है । क्योंकि लेह-लद्दाख के लिए मनाली-लेह हाईवे से यह जोड़ती है । रोहतांग पास पर बर्फ अधिक गिरने पर यह हाईवे बंद हो जाता है । इससे वाहनों की आवाजाही बंद हो जाती है । लेकिन रोहतांग टनल से अब लेह हाईवे खुला रहेगा और भारतीय सैना की आवाजाही सुगम होगी, साथ ही सैन्य सामान पहुंचाने में भी मुश्किल नहीं आएगी ।
मोदी सरकार ने इस टनल को पिछले कुछ वर्षों में निर्माण कार्य तेजी करने के निर्देश दिए थे । रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह लगातार इस योजना पर सैन्य अधिकारियों के साथ बैठक करते रहे हैं । राजनाथ सिंह के निर्देश के बाद इसके निर्माण की प्रगति देखने के लिए लेफ्टिनेंट जनरल हरपाल सिंह ने कई बार यहां दौरे किए थे ।
सबसे महत्वपूर्ण बात यह रही कि देश में जब कोरोना महामारी के दौरान भी इस टनल वह बनाने का काम नहीं रोका गया था । जब से लेफ्टिनेंट जनरल हरपाल सिंह ने कार्यभार संभाला है तब से सुरंग के काम में बहुत तेजी आ गई थी । वह इसमें व्यक्तिगत रुचि ले रहे हैं और अक्सर साइट पर आकर काम को देखते रहते हैं। उन्हीं के प्रयासों की वजह से कोरोना महामारी के बीच भी सुरंग बनाने का काम चलता रहा।
-- शंभू नाथ गौतम