हाथरस के एक गाँव में मगरमच्छ दिखने से फैली दहशत, वाइल्डलाइफ एसओएस और वन विभाग ने किया रेस्क्यू

हाथरस के एक गाँव में मगरमच्छ दिखने से फैली दहशत, वाइल्डलाइफ एसओएस और वन विभाग ने किया रेस्क्यू

हाथरस, दिसम्बर ९ (TNA) देर रात चले बचाव अभियान में वाइल्डलाइफ एसओएस और उत्तर प्रदेश वन विभाग ने हाथरस जिले के सिकंदराराव में स्थित नगला तारा सिंह गाँव से 5 फुट लंबे मगरमच्छ को पकड़ा। मगरमच्छ को सफलतापूर्वक बचाया गया और बाद में वन विभाग के अधिकारियों की मौजूदगी में हज़ारा नहर, एटा में छोड़ दिया गया।

सोमवार शाम को नगला तारा सिंह गांव के निवासियों के बीच अफरा-तफरी मच गई जब स्थानीय किसानों ने एक मगरमच्छ को बाजरा के खेत में आराम करते देखा। वन विभाग को घटना की जानकारी दी गई, जिन्होंने तुरंत आपातकालीन हेल्पलाइन नंबर (+ 91-9917109666) पर वाइल्डलाइफ एसओएस टीम से संपर्क साधा और बचाव अभियान चलाने में उनकी विशेषज्ञ सहायता मांगी।

मगर क्रोकोडाइल जिसे मार्श क्रोकोडाइल भी कहा जाता है, भारतीय उपमहाद्वीप, श्रीलंका, बर्मा, पाकिस्तान और ईरान के कुछ हिस्सों में पाए जाते हैं। यह आमतौर पर मीठे पानी के वातावरण जैसे नदियों, झीलों, पहाड़ी नदियों, गाँव के तालाबों और मानव निर्मित जलाशयों में निवास करते हैं। यह प्रजाति आई.यू.सी.एन रेड लिस्ट और वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत संरक्षित है।

वन्यजीव संरक्षण संस्था की तीन सदस्यीय टीम करीब 100 किलोमीटर का सफ़र तय कर स्थान पर पहुची। इस बीच, मगरमच्छ को देखने के लिए खेत के चारों ओर भीड़ जमा हो गई। यह सुनिश्चित करने के बाद कि वहाँ मौजूद भीड़ मगरमच्छ से सुरक्षित दूरी पर हैं, वन विभाग के अधिकारियों और वाइल्डलाइफ एसओएस टीम ने आवश्यक बचाव उपकरणों की सहायता से मगरमच्छ को पकड़ा जिसे बाद में पिलुआ, एटा स्थित हज़ारा नहर में छोड़ दिया गया।

वाइल्डलाइफ एसओएस के सह-संस्थापक और सीईओ कार्तिक सत्यनारायण ने कहा, “मगरमच्छ जैसे बड़े, शक्तिशाली जानवरों को पकड़ने और किसी भी दुर्घटना से बचने के लिए हमारी टीम को अत्यधिक सावधानी बरतनी पड़ती है। यह जरूरी है कि हम जंगली जानवरों की मौजूदगी के प्रति संवेदनशील रहें और उनके साथ रहना सीखें। ऐसे बचाव अभियान में वन विभाग और राज्य सरकार की सहायता करने में हमें ख़ुशी हैं। ”

वाइल्डलाइफ एसओएस के डायरेक्टर कंज़रवेशन प्रोजेक्ट्स, बैजूराज एम.वी, ने कहा, “तालाब, नदियाँ, झील और दलदल सहित मीठे पानी के आवासों में मगरमच्छ पाए जाते हैं और वे अधिक उपयुक्त आवास की तलाश में ज़मीन पर भी काफी दूरी तय कर सकते हैं। भारत तीन मगरमच्छ प्रजातियों- मगर क्रोकोडाइल, घड़ियाल और साल्ट वॉटर क्रोकोडाइल का घर है। ”

सिकंदराराव के रेंज फॉरेस्ट ऑफिसर, संजीव कुमार ने कहा, “बचाव अभियान सफल रहा और मगरमच्छ को वापस उसके प्राकृतिक निवास में देखकर हम खुश हैं। इस तरह के संवेदनशील बचाव अभियान के संचालन में विशेषज्ञ सहायता के लिए हम वाइल्डलाइफ एसओएस टीम के आभारी हैं। ”

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