Vernacular
उजाले दिलों को सब रोशन करें , दीप तुम ही मेरी आस हो...
मुश्किलें राह में हों चाहे जितनी, अल्प जीवन में प्रकाश हो।
घरों में दिये गर मिलकर जलें, बनकर हसीं आकाश हों।
तिमिर यूं ढलेगा ही उनसे, अधंरे से हमें ये आभास हो।
उजाले दिलों को सब रोशन करें , दीप तुम ही मेरी आस हो।
खुदा की रहे रहम हरदम, दुआ तुम्हारे साथ हो।
बन कर काजल रहो आंखों में, अंतर की ये आवाज हो।
इश्क मैं करूं जिगर से, धड़कनों की साज हो।
फैली रहें खुशियां, मुस्कुरा, होंठों पे उनके राज़ हो।
तरंग हों उमंग की, मधुर संगीत का एहसास हो।
भव पार करें हम यादों के पुल से, पल में अपार इस हो।
मिटा दिए दिल की दूरी दिये से, दीपावली में लक्ष्मीजी पास हों।
रंगों से सजे रंगोली मन की, आज वो किताब हो।
जगमगाती रहे दुनिया तुम्हारी, आशाओं का साथ हो।
ये सजग, सहज और सादर सप्रेम संपर्क मेरा , समर्पित हो।
-- प्रदीप 'अग्निदीप'