संसद में दिए गए जवाब से आश्चर्यचकित और आहत हैं आक्सीजन की कमी से अपनों को खोने वाले परिवार

संसद में दिए गए जवाब से आश्चर्यचकित और आहत हैं आक्सीजन की कमी से अपनों को खोने वाले परिवार

सियासत का स्तर और नैतिकता दोनों में इतनी गिरावट आ गयी है कि देश के 125 करोड़ जनता लोकसभा में दिए गए बयान से शर्मसार हो गयी है। संसद में यह कहना कि आक्सीजन की कमी से देश में एक भी मौत नहीं हुई। एकदम झूठ और नैतिकता को तार तार कर देने वाला बहुत ही दुखदपूर्ण बयान है।

संसद में दिए गए इस बयान से ऑक्सीजन की कमी से मरने वाले के परिवार और रिश्तेदार आश्चर्यचकित, दुखी और आक्रोशित भी है। मैं स्वयं कई ऐसे परिवार से रूबरू हुआ हूँ जिनके घर में आक्सीजन की कमी से मौत हुई हो। आखिर बयान देते समय मंत्री के जहन में जो शायद उन्होंने स्वयं देखा भी होगा। थोड़ा सा भी कष्ट नहीं हुआ कि आखिर इतना बड़ा झूठ संसद के पवित्र परिसर में कैसे बोल रहे हैं।

सबसे बड़ी चिंता और चकित करने वाली स्थिति प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को लेकर है। 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद संसद में प्रवेश करते समय संसद की चौखट पर लेटकर दंडवत किया था तो एक बार ऐसा महसूस हुआ था कि संसद भवन जो पूर्व सरकारों में तमाम घटनाक्रम और सदस्यों के आचरण से कलंकित हो चूका है शायद नरेन्द्र मोदी संसद के उस गरिमा को बहाल करेंगे लेकिन गत 7 वर्षों में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में संसद में कोई ऐसा आदर्श नहीं बन सका जो यादगार हो सके।

उनके हर निर्णयों पर समर्थन कर रही है। ऐसे जनता के प्रति प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ज़िम्मेदारी नहीं बनती कि वह सदन में आगे आकर सियासत से ऊपर उठकर इस सत्य को स्वीकार करें कि आक्सीजन से मौतें हुई है।

सबसे दुखद और चिंता का विषय कोरोना संकट में जिस त्रासदी को देश के 125 करोड़ जनता ने सीधे भोगा, अपनी आखों से देखा और प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित हुए, उस पर इतना बड़ा सफ़ेद झूठ देश की जनता के लिए नहीं बल्कि संसद के नुमाईंदगी करने वाले सदस्यों को भी शर्मसार करने वाली है। कोरोना काल में गोवा से लेकर मुंबई, दिल्ली, लखनऊ, कर्नाटक सहित देशभर में हज़ारों मौते आक्सीजन की कमी से हुई है इसे झुठलाया नहीं जा सकता।

नकारा नहीं जा सकता। सदन के पटल पर दिए इस बयान से संसद को शर्मसार करने से बचाया नहीं जा सकता। कितना दुखद और कल्पना से परे है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में जिसे देश के करोड़ों जनता ने अपार बहुमत से चुना है आज भी उन्हें सम्मान और प्यार दे रही है।

प्रधानमंत्री के इस स्वीकृति से मरने वालों की आत्मा को शांति मिले और उनके परिवार को सांत्वना का सन्देश मोदी की तरफ से पहुंचे। लेकिन ऐसा नहीं होगा क्योकि आक्सीजन से कोई मौत नहीं हुई, इस बयान के बाद सत्ता पक्ष और विपक्ष में सियासत तेज हो गयी है और अब सरकार किसी भी तरह से अपने सफ़ेद झूठ को वापस लेने की स्थिति में नहीं है और आक्सीजन की कमी से मौतें नहीं हुई है इस पर नियंतर दृढ़ता से खड़ी हो गयी है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में ऐसा बयान उनके समर्थक को भी कचोट रहा है क्योकि आक्सीजन की कमी से मरने वाले परिवारों में मोदी के भक्त भी हैं।

कल्पना से परे है कि कितना बड़ा झूठ आखिर मोदी के नेतृत्व में चल रही सरकार ने कैसे बोला ? इस बयान पर विपक्ष भी सियासत तक सिमित है।

आखिर मोदी ने नहीं स्वीकार किया तो विपक्ष की गैर भाजपा सरकार को स्वीकार करना चाहिए कि उनके राज्य में आक्सीजन की कमी से मौतें हुई है लेकिन विपक्ष का आचरण मोदी की तरह सियासत तक ही सिमित है।

इस समय सदन में बयान के बाद विपक्ष का यह नैतिक दायित्व था कि हल्ला गुल्ला मचाने के बजाय देश भर से आक्सीजन से मरे लोगो का नाम पते सहित आकड़ा सदन में प्रस्तुत करते और यह तर्कों एवं तथ्यों के साथ सरकार के सफ़ेद झूठ को भी बेनाब करते।

(लेखक उत्तर प्रदेश के नामचीन राजनैतिक विश्लेषक हैं और पूर्व में सहारा समय उत्तर प्रदेश के स्टेट हेड रहे हैं, विचार उनके निजी हैं)

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