उग्रवादी हमले में शहीद हुए वीरेंद्र सिंह यादव को गार्ड ऑफ ऑनर के साथ मैनपुरी में नम आँखों से मिली विदाई
मैनपुरी।। अरुणाचल प्रदेश में उग्रवादी हमले में रविवार को शहीद हुए नायब सूबेदार वीरेंद्र सिंह यादव का पार्थिव शरीर मंगलवार देर रात मैनपुरी के पैतृक गांव नानामऊ पहुंचा। वीर सपूत का पार्थिव शरीर देखकर पूरा गांव शोक की लहर में डूब गया। नम आंखों से ग्रामीणों ने अपने वीर सपूत को श्रद्धा सुमन अर्पित किए व आज पूरे सम्मान के साथ शहीद का अंतिम संस्कार किया गया।
बताया जाता है कि रविवार को सुबह जब वीरेंद्र सिंह यादव ने अपनी पत्नी से बात की थी तो कहा था कि उनकी ड्यूटी अरुणाचल प्रदेश में पानी के टैंकर पर लगी हुई है. उस पर जा रहा हूं और फोन काट दिया. उसके कुछ देर बाद यूनिट से फोन आता है और बताया जाता है कि उनके पति उग्रवादी हमले में शहीद हो गए. सूचना लगते ही पत्नी और बेटा बिलखने लगे।
शहीद के पार्थिव शरीर का पोस्टमार्टम करने के बाद असम राइफल के हेड क्वार्टर लाया गया व उसके बाद शहीद का पार्थिव शरीर मंगलवार को 3 बजे दिल्ली एयरपोर्ट पर पहुंचा। एयरपोर्ट से सड़क के रास्ते एंबुलेंस के जरिए शहीद के पैतृक गांव नानामऊ में देर रात पार्थिव शरीर लाया गया।
गाँव वालों ने बताया कि शहीद वीरेंद्र सिंह यादव बाल्यावस्था से ही सरल स्वभाव के थे। बचपन में ही पिता का साया सिर से उठ गया था। पिता की मौत के बाद सभी दायित्वों की पूर्ति उनके ताऊ ने की। वीरेंद्र पढ़ने में ठीक थे। गांव से 10 किलोमीटर दूरी पर कस्बा कुरावली के देवनागरी इंटर कॉलेज से इंटर तक की शिक्षा ग्रहण की। साथ ही परिवार के जो लोग सेना में सर्विस कर रहे थे, उनके पास अपनी आजमाइश के लिए मिजोरम चले गए। वहीं 1985 के दौरान असम राइफल यूनिट में राइफलमैन पद पर तैनाती मिली।
शहीद वीरेंद्र सिंह यादव को 20 अक्टूबर 2020 को घर आने के लिए छुट्टी मिली थी. इस पर वह रोजाना सुबह और शाम अपनी पत्नी से बात करते थे. लेकिन इससे पहले ही 4 अक्टूबर को हुए उग्रवादी हमले में नायब सूबेदार वीरेंद्र सिंह यादव शहीद हो गए। शहीद अपने पीछे पत्नी और तीन बेटे छोड़ गए हैं. शहीद के बड़े बेटे बबलू एनडीआरएफ में तैनात हैं। वहीं दूसरा बेटा किसान व तीसरा बेटा छात्र है।
-- मनीष मिश्रा