लखनऊ सैन्य साहित्य सम्मेलन: आजादी की पहली लड़ाई, देश को एकता के सूत्र में पिरोने में साहित्य का बड़ा योगदान…
लखनऊ || सैन्य- साहित्य सम्मेलन के दूसरे चरण के आरंभिक सत्र में, अली खान महमूदाबाद की हाल में ही प्रकाशित पुस्तक "ब्रेक आफ डॉन" पर चर्चा के दौरान खान ने बल देते हुए कहा गंगा- जमुनी संस्कृति से अभिप्राय , अपनी धार्मिक एवं सामाजिक मान्यताओं को, बिना नजरअंदाज किए, सद्भाव के साथ राष्ट्र निर्माण में योगदान करना हैI
"ब्रेक आफ डॉन" पुस्तक, 1957 में श्री खान महबूब तरजी द्वारा उर्दू में लिखी पुस्तक "आगाज- ए-सहर" का अंग्रेजी अनुवाद हैI इस अनुवादित पुस्तक की प्रेरणा इस तथ्य से मिली की 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में किस प्रकार सर्व- समावेशी अवधारणा के साथ, राष्ट्रवाद को बल मिला I परिचर्चा के इस भाग का संचालन, प्रख्यात लेखिका और 'अवध' पर शोधकर्ता, सुश्री ईरा मुखोटी ने कियाI
सैन्य साहित्य सम्मेलन की इस परिचर्चा को आगे बढ़ाते हुए सिंगापुर स्थित, अवकाश प्राप्त सैन्य अधिकारी ,मेजर मुकुल देव ने अपनी सैनिक कार्रवाइयों की पृष्ठभूमि में लिखें रोमांचक उपन्यासों के पीछे की मूल अवधारणा पर प्रकाश डाला I
गहन शोध के पश्चात लिखे ये उपन्यास कालांतर में मुंबई में आतंकवादी हमला या अंतरराष्ट्रीय आतंकी, लादेन के खात्मे से जुड़ी घटनाओं के समरूप सिद्ध हुए हैं। मेजर मुकुल देव की प्रतिभा एक लेखक तक सीमित न होकर, एक मैनेजमेंट गुरु, परामर्शदाता और लीडर्स के प्रशिक्षण तक विस्तृत रूप में है ।
अपनी इस बहुआयामी प्रतिभा का श्रेय , मेजर मुकुल देव, अपने सैन्य प्रशिक्षण और देश के विभिन्न सीमावर्ती क्षेत्रों में दी गई सेवाओं के दौरान, प्राप्त अनुभव को देते हैं। कर्नल नीलेश कनवर (अवकाश प्राप्त) ने परिचर्चा के इस भाग का संचालन किया ।
धन्यवाद ज्ञापन मेजर जनरल हेमंत कुमार सिंह (रिटायर्ड) ने किया| लखनऊ सैन्य साहित्य सम्मेलन, नवंबर के अंत तक, प्रत्येक सप्ताहांत पर, एक नए कलेवर के साथ, कार्यक्रम के रूप में आभासी माध्यम से चलता रहेगा।
— Brig BN Singh