बेल पत्र के हैं कुछ नियम…
1. बेलपत्र की तीन पत्तियों वाला गुच्छा भगवान शिव को चढ़ाया जाता है माना. जाता है कि इसके मूलभाग में सभी तीर्थों का वास होता है.
2. यदि महादेव को सोमवार के दिन बेलपत्र चढ़ाना है तो उसे रविवार के दिन ही तोड़ लेना चाहिए क्योंकि सोमवार को बेलपत्र नहीं तोड़ा जाता है. इसके अलावा चतुर्थी, अष्टमी, नवमी, चतुर्दशी और अमावस्या को संक्रांति के समय भी बेलपत्र तोड़ने की मनाही है.
3. बेलपत्र कभी अशुद्ध नहीं होता. पहले से चढ़ाया हुआ बेलपत्र भी फिर से धोकर चढ़ाया जा सकता है.
4. बेलपत्र की कटी-फटी पत्तियां कभी भी नहीं चढ़ानी चाहिए. इन्हें खंडित माना जाता है.
5. बेलपत्र भगवान शिव को हमेशा उल्टा चढ़ाया जाता है. यानी चिकनी सतह की तरफ वाला वाला भाग शिवजी की प्रतिमा से स्पर्श कराते हुए ही बेलपत्र चढ़ाएं. बेलपत्र को हमेशा अनामिका, अंगूठे और मध्यमा अंगुली की मदद से चढ़ाएं. इसके साथ शिव जी का जलाभिषेक भी जरूर करें!!
6. बेलपत्र को श्री वृक्ष भी कहा जाता है। बेलपत्र का पूजन पाप व दरिद्रता का अंत कर वैभवशाली बनाने वाला माना गया है। घर में बेलपत्र लगाने से देवी महालक्ष्मी बहुत प्रसन्न होती हैं। इन पत्तों को लक्ष्मी का रूप माना जाता है।
-- मनीष मेहरोत्रा/बाराबंकी