खास बनेगा, खत्म हो रहा गोरखपुर का फल पनियाला

खास बनेगा, खत्म हो रहा गोरखपुर का फल पनियाला

लखनऊ, अगस्त 22 (TNA) मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का क्रम क्षेत्र गोरखपुर किसी पहचान को मोहताज नहीं हैं. वर्षों से यह शहर गोरखनाथ मंदिर और गीता प्रेस के चलते दुनिया जहान में जाना जाता रहा है. मुख्यमंत्री योगी ने यूपी की सत्ता संभालने के बाद गोरखपुर शहर एक नई पहचान बनाने की दिशा में बढ़ चला है. छह साल पहले यहाँ बड़े पैमाने पर विकास योजनाओं की शुरुआत हुई और देखते ही देखते 30 हजार करोड़ रुपए से अधिक लागत वाली तमाम नई योजनाओं ने यहाँ आकार लिया.

इस दरमियान सीएम योगी ने देश और दुनिया को गोरखपुर के टेराकोटा से परचित कराने की ठानी. तो देखते ही देखते वर्ष 2019 में गोरखपुर टेराकोटा को जीआई (जियोग्राफिकल इंडिकेशन) टैग मिल गया. उसके बाद अब दुनिया भर में गोरखपुर टेराकोटा के उत्पाद मंगवाये जा रहे हैं. अब इसी क्रम में सीएम योगी ने गोरखपुर के लुप्तप्राय हो गए फल "पनियाला" को खास बनाने की ठान ली है. ऐसे में अब पनियाला को (जीआई) टैग दिलवाने के लिए जाने माने हार्टिकल्चर विशेषज्ञ पद्मश्री डॉक्टर रजनीकांत मिश्रा को जिम्मा सौपा गया है.

मुख्यमंत्री के नजदीकी अधिकारियों के अनुसार जल्दी ही गोरखपुर का शानदार फल पनियाला इस शहर की पहचान में इजाफा करेगा. थी वैसे ही जैसे मलीहाबाद का दशहरी और वाराणसी का लंगड़ा आम इन शहरों की पहचान बन गया है. गोरखपुर का फल पनियाला, कुछ खट्टा, कुछ मीठा और थोड़ा सा कसैले स्वाद वाला होता है. यह फल काफी हद तक जामुनी रंग का होता है, लेकिन जामुन से कुछ बड़ा और आकार में लगभग गोल होता है.

कभी पनियाला गोरखपुर का खास फल हुआ करता था. पनियाला के पेड़ 4-5 दशक पहले तक गोरखपुर में बहुतायत में मिलते थे, पर अब यह लगभग लुप्तप्राय हैं. इसकी जानकारी होने पर अब सीएम योगी सरकार ने खत्म हो रहे पनियाला को और खास बनाने की गंभीर पहल की है. और जाने माने हार्टिकल्चर विशेषज्ञ पद्मश्री डॉक्टर रजनीकांत मिश्रा को पनियाला को खास बनाने के लिए जीआई टैग दिलवाने की कार्रवाई करने को कहा है.

र्ष 2011 में एक हुए शोध के अनुसार पनियाला के पत्ते, छाल, जड़ों एवं फलों में एंटी बैक्टिरियल प्रापर्टी होती है. इस वजह से पेट के कई रोगों में इनसे लाभ होता है. स्थानीय स्तर पर पेट के कई रोगों, दांतों एवं मसूढ़ों में दर्द, इनसे खून आने, कफ, निमोनिया और खरास आदि में भी इसका प्रयोग किया जाता रहा है. पनियारा फल को लीवर के रोगों में भी उपयोगी पाया गया है.
डॉक्टर रजनीकांत मिश्रा

डॉक्टर रजनीकांत मिश्रा का कहना है कि उत्तर प्रदेश के जिन खास दस उत्पादों की जीआई टैग दिलाने की प्रक्रिया शुरू हुई है, उनमें गोरखपुर का पनियाला भी है. अब नाबार्ड के वित्तीय सहयोग से गोरखपुर के एक एफपीओ और ह्यूमन वेलफेयर एसोसिएशन के तकनीकी मार्गदर्शन में इन सभी उत्पादों का आवेदन जीआई पंजीकरण के लिए चेन्नई भेजा जा रहा है. जीआई मिलने पर यह गोरखपुर का दूसरा उत्पाद होगा. इससे पहले 2019 में गोरखपुर टेराकोटा को जीआई टैग मिल चुका है.

पनियाला के लिए संजीवनी साबित होगी जीआई

डॉक्टर रजनीकांत के अनुसार, औषधीय गुणों से भरपूर पनियाला के लिए जीआई टैगिंग संजीवनी साबित होगी. इससे लुप्तप्राय हो चले इस फल की पूछ बढ़ जाएगी. और सरकार द्वारा इसकी ब्रांडिंग करने से भविष्य में यह भी टेरोकोटा की तरह गोरखपुर का ब्रांड बन जाएगा. यही नहीं पूर्वांचल के दर्जन भर जिलों के लाखों किसान परिवार भी पनियाला के चलते अपनी आय में इजाफा का सकेंगे.

डॉक्टर रजनीकांत कहते हैं कि पनियाला का लाभ न केवल गोरखपुर के किसानों को बल्कि देवरिया, कुशीनगर, महराजगंज, सिद्धार्थनगर, बस्ती, संतकबीरनगर, बहराइच, गोंडा और श्रावस्ती के बागवानों को भी मिलेगा. इसकी वजह है इन सभी जिलो का एक समान एग्रोक्लाईमेटिक जोन (कृषि जलवायु क्षेत्र) में आना. जिसके चलते इन जिलों के कृषि उत्पादों की खूबियां भी एक जैसी होंगी. डॉक्टर रजनीकांत के मुताबिक वर्ष 2011 में एक हुए शोध के अनुसार पनियाला के पत्ते, छाल, जड़ों एवं फलों में एंटी बैक्टिरियल प्रापर्टी होती है.

इस वजह से पेट के कई रोगों में इनसे लाभ होता है. स्थानीय स्तर पर पेट के कई रोगों, दांतों एवं मसूढ़ों में दर्द, इनसे खून आने, कफ, निमोनिया और खरास आदि में भी इसका प्रयोग किया जाता रहा है. पनियारा फल को लीवर के रोगों में भी उपयोगी पाया गया है. इस फल को जैम, जेली और जूस के रूप में संरक्षित कर लंबे समय तक रखा जा सकता है. लकड़ी जलावन और कृषि कार्यो के लिए उपयोगी है.

यहीं नहीं पनियाला परंपरागत खेती से अधिक लाभ देता है. अक्टूबर में आने वाले पनियारा फल प्रति किग्रा 60-90 रुपए में बिकता है. प्रति पेड़ से करीब तीन से पाँच हजार रुपए की आय होती है. पनियारा के पेड़ों की ऊंचाई करीब नौ मीटर होती है. लिहाजा इसका रखरखाव भी आसान है. पनियाला को गोरखपुर का विशिष्ट फल कहा जाता है.

शारदीय नवरात्री के आस पास यह बाजार मे आता है. डॉक्टर रजनीकांत के अनुसार, पनियाला को जीआई टैग मिलना संजीवनी साबित होगा क्योंकि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में जीआई टैग को एक ट्रेडमार्क के रूप में देखा जाता है. इससे निर्यात को बढ़ावा मिलता है, साथ ही स्थानीय आमदनी भी बढ़ती है तथा विशिष्ट कृषि उत्पादों को पहचान कर उनका भारत के साथ ही अंतर्राष्ट्रीय बाजार में निर्यात और प्रचार प्रसार करने में आसानी होती है.

— राजेंद्र कुमार

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