विधान परिषद चुनाव में भी सपा को होगा लाभ, पा जाएगी फिर से नेता प्रतिपक्ष का पद

विधान परिषद चुनाव में भी सपा को होगा लाभ, पा जाएगी फिर से नेता प्रतिपक्ष का पद

लखनऊ, फरवरी 24 (TNA) उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी (सपा) को विधान परिषद की रिक्त होने वाली 13 सीटों पर होने वाले चुनाव में भी लाभ होगा. चुनाव आयोग ने यूपी विधान परिषद की रिक्त 13 सीटों के लिए शुक्रवार को अधिसूचना जारी कर दी है. इन सीटों पर 4 मार्च से नामांकन शुरू हो जाएगा, जबकि मतदान 21 मार्च को होगा. सपा- कांग्रेस गठबंधन चार सीटें जीतने की स्थिति में है. जिसके चलते विधान परिषद चुनावों में सपा फिर से नेता प्रतिपक्ष का पद पा जायेगी.

इस सदस्यों का कार्यकाल हो रहा पूरा

विधान परिषद की 13 सीटें आगामी 5 मई को खाली हो रही हैं. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के यशवंत सिंह, विजय बहादुर पाठक, विद्या सागर सोनकर, सरोजनी अग्रवाल, अशोक कटारिया, अशोक धवन, बुक्कल नवाब, महेंद्र कुमार सिंह, मोहसिन रजा, निर्मला पासवान का कार्यकाल 5 मई को पूरा हो रहा है. इसी प्रकार भाजपा के सहयोगी और अपना दल (एस) के आशीष पटेल का कार्यकाल भी 5 मई को खत्म होगा. इसके अलावा सपा के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम और सपा के सहयोग से विधान परिषद पहुंचने वाले बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के भीमराव आंबेडकर का कार्यकाल भी 5 मई को पूरा होगा.

भाजपा के जिन दस सदस्यों का कार्यकाल पूरा ही रहा है, उनमें से विजय बहादुर पाठक, महेंद्र कुमार सिंह, मोहसिन रजा और निर्मला पासवान को फिर से विधान परिषद भेजे जाने की चर्चा है. अपना दल (एस) के आशीष पटेल भी भाजपा के सहयोग से विधान परिषद फिर पहुंचेगे. आशीष पटेल योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं और उनकी पत्नी केंद्र सरकार में मंत्री हैं. इसी प्रकार सपा नरेश उत्तर को फिर से विधान परिषद भेजेगी. जबकि बसपा के पास अपने किसी सदस्य को विधान परिषद भेजने के लिए विधानसभा में पर्याप्त विधायक ही नहीं हैं. भाजपा और सपा अपने किस नेता को विधान परिषद में भेजेगी? इसका खुलासा राज्यसभा चुनाव के बाद हो जाएगा. राज्यसभा चुनाव इसी 27 फरवरी को है.  

बसपा शून्य, सपा पा सकती है नेता प्रतिपक्ष का पद!

विधान परिषद की 13 सीटों को भरे जाने को लेकर जो गणित सामने आ रहा है, उसके अनुसार पिछले साल जुलाई में विधान परिषद में शून्य पर पहुंच गई कांग्रेस का खाता इस बार भी खुलने की उम्मीद नहीं है. इसके अलावा अगर बसपा को कोई 'दोस्त' नहीं मिला तो वह भी विधान परिषद में शून्य हो जाएगी. विधानसभा में बसपा के पास एक विधायक है और इस आधार पर बसपा का उम्मीदवार पर्चा भी नहीं भर सकता, क्योंकि नामांकन के लिए भी 10 प्रस्तावक की जरूरत होती है. विधानसभा के मौजूदा गणित के हिसाब से विधान परिषद में एक प्रत्याशी जिताने के लिए 29 विधायक की जरूरत होगी.

अगर सत्ता और विपक्ष अपने मौजूदा सभी सहयोगियों को तब तक साथ रखने में सफल रहे तो भाजपा गठबंधन कम से कम 9 और सपा-कांग्रेस  गठबंधन 4 सीटें जीतने की स्थिति में होगा. इसका एक बड़ा फायदा सपा के लिए यह होगा कि एक बार फिर वह विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष की सीट की दावेदार हो जाएगी. विधान परिषद में अभी उसके 9 सदस्य हैं और नेता प्रतिपक्ष के लिए जरूरी 1/10 सदस्य के मानक से वह एक पीछे है.

5 मई को खाली हो रही सीटों के हिसाब से सपा की सदस्य संख्या घटकर 8 रह जाएगी. सपा के पास अपने 109 विधायक हैं. ऐसे में कम से कम 3 सीट वह अपने दम पर भी जीतने की स्थिति में है. लिहाजा, परिषद में उसका दहाई में जाना तय है और उसे नेता प्रतिपक्ष का पद वापस मिल जाएगा.

— राजेंद्र कुमार

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