रामलला के बुलेटप्रूफ अस्थायी मंदिर पर जल्द होगा फैसला, धरोहर के रूप में संजोया जा सकता है रामलला का अस्थायी मंदिर   

रामलला के बुलेटप्रूफ अस्थायी मंदिर पर जल्द होगा फैसला, धरोहर के रूप में संजोया जा सकता है रामलला का अस्थायी मंदिर   

लखनऊ, जनवरी 12 (TNA) अयोध्या में भगवान रामलला का नया और भव्य मंदिर बनकर तैयार होने को है. इसी 22 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों नए मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा होगी. ऐसे में लखनऊ से अयोध्या तक यह चर्चा है कि वर्तमान में रामलला जिस बुलेटप्रूफ अस्थायी मंदिर में अभी विराजमान हैं, उस मंदिर का भविष्य क्या होगा? इस मंदिर के अस्तित्व को कैसे बनाए रखना, इसके लेकर श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने अभी तक कोई फैसला नहीं लिया है. कहा जा रहा है कि इसकी हफ्ते में उक्त मंदिर के अस्तित्व को कैसे बनाए रखना है, इस पर फैसला लिया जाएगा.

तीन साल पहले बना था अस्थायी मंदिर

अयोध्या में 25 मार्च 2020 को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भगवान राम की मूर्ति को टेंट से अपनी गोद में रखकर इसी जर्मन और एस्टोनियाई पाइन से बने अस्थायी मंदिर में विराजित किया था. 27 साल टेंट में रहने के बाद इस अस्थायी मंदिर में विराजमान भगवान राम के दर्शन, पूजा करने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी नए मंदिर निर्माण का भूमि पूजन के बाद आए थे. फिलहाल 25 मार्च 2020 से इस अस्थायी मंदिर में 9.5 किलो के रजत सिंहासन पर अपने तीनों भाइयों के साथ विराजित हैं.

जर्मन और एस्टोनियाई पाइन से बने इस अस्थायी मंदिर की लंबाई 24 फुट, चौड़ाई 17 फुट और ऊंचाई 19 फुट है. इसके ऊपर 35 इंच का शिखर है. गर्भगृह से करीब ढाई सौ मीटर बने इस अस्थायी मंदिर के पक्के चबूतरे पर स्टील का फाउंडेशन है. इसमें पैनल और फ्रेम कसे गए हैं. अस्थायी मंदिर में पीछे की ओर फाइबर की सीट लगाकर चारों ओर से बुलेटप्रूफ शीशे का एक घेरा बनाया गया है, जहां सिर्फ पुजारियों के बैठने की जगह है. इस मंदिर में विराजमान रामलला का भक्तगढ़ करीब 20 फुट की दूरी से दर्शन करते हैं.

रोजाना हजारों लोग उनके दर्शन करने पहुंचते हैं.  इसी 22 जनवरी को नए मंदिर में रामलला के नवीन विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा के साथ ही विराजमान रामलला भी वहां पर शिफ्ट हो जाएंगे. जिसके चलते यह सवाल हो रहा है कि 22 जनवरी के बाद मौजूदा अस्थायी मंदिर का क्या होगा? यह सवाल भी इस लिए हो रहा है क्योंकि बीते तीन वर्षों से लाखों लोगों ने इस मंदिर में विराजमान अपने आराध्य के दर्शन किए हैं इसलिए इस मंदिर का लोगों के मन में विशेष स्थान हैं.

फैसला जल्द लिया जाएगा

ऐसे में राम भक्तों की आस्था का केंद्र बने इस मंदिर को नष्ट तो नहीं किया जाएगा, लेकिन इसके अस्तित्व को कैसे बनाए रखा जाएगा? इस लेकर ट्रस्ट में विचार विमर्श किया जा रहा है. अभी तक इस मामले में ट्रस्ट ने कुछ तय नहीं किया है. ट्रस्ट के पदाधिकारियों का कहना है कि रामलला वर्तमान में जिस अस्थायी मंदिर में विराजमान हैं उसे धरोहर के रूप में भी संजोया जा सकता है. ट्रस्ट के पदाधिकारियों का कहना है कि ऐसे में इस मंदिर के प्रति लोगों की आस्था और जुड़ाव को देखते हुए जल्द ही भावनाओं के अनुरूप ट्रस्ट के सदस्यों की सहमति से निर्णय किया जाएगा.  

— राजेंद्र कुमार

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