यूपी में नहीं थम रहे जर, जोरू और जमीन के झगड़े, पुलिस महकमें के आंकड़ों से आपराधिक मामलों का खुलासा

यूपी में नहीं थम रहे जर, जोरू और जमीन के झगड़े, पुलिस महकमें के आंकड़ों से आपराधिक मामलों का खुलासा

लखनऊ, नवंबर 30 (TNA) उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था सुधारने के लेकर सूबे की सरकार गर्व करती है. बड़े माफिया और अपराधियों की अवैध संपत्ति को बुलडोजर के जरिए ध्वस्त करने का जो माडल यूपी सरकार ने बनाया उसे मध्य प्रदेश और हरियाणा की सरकार ने भी अपनाया है. यही वजह है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बड़े बड़े माफियाओं को ठिकाने लगाने का दावा देश भर में करते हैं.

तो सूबे की पुलिस भी अपराधिक घटनाओं की संख्या में कमी होने और बेहतर कानून व्यवस्था के चलते राज्य में औद्योगिक निवेश बढ़ने का दावा करने लगी है. वही दूसरी तरफ एक हकीकत यह भी है कि पुलिस की तमाम चौकसी के बाद भी कानून हाथ में लेने की प्रवृति लोगों में कम नहीं हो रही है. जिसके चलते जमीन के विवाद, प्रेम प्रकरण और छिटपुट विवाद में होने वाली हत्याओं की घटनाओं पर सख्ती के साथ अंकुश नहीं लग पा रहा है.

आपराधिक घटनाओं के आंकड़े

28 नवंबर से सूबे में शुरू हो रहे विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान कानून व्यवस्था को लेकर तैयार किए गए आंकड़ों से यह पता चला है. पुलिस महकमें के इन आंकड़ों के अनुसार, यूपी में 2017 से लेकर 2021 के बीच हत्या के 19,644 मामले दर्ज हुए. इनमें से 11,515 मामलों में हत्या की वजह जमीन, पारिवारिक, आपसी विवाद, छिटपुट झगड़े, अवैध संबंध और लव अफेयर से जुड़े थे.

सबसे ज्यादा 3,021 हत्याएं जमीनों के लिए हुई. जमीन से जुड़ी अपराध की सबसे प्रमुख घटना 17 जुलाई 2019 में सोनभद्र के उम्भा गांव में में हुई थी. जंगल महकमें की जमीन पर अवैध कब्जे के विवाद को लेकर हुए नरसंहार में 11 लोगों को जान गंवानी पड़ी थी.

जमीन कब्जे को लेकर हुए विवाद के बाद आदिवासियों पर हुई फायरिंग की यह घटना देशभर में चर्चित हुई थी. इसके बाद इस वर्ष देवरिया में भी जमीन के विवाद में पांच लोगों की जान गंवानी पड़ी. जमीन विवाद के बाद यूपी में आपसी रंजिश की वजह से लोगों को जान से हाथ धोना पड़ रहा है. पुलिस के आंकड़ों के अनुसार, बीते पांच वर्षों के दौरान यूपी में आपसी रंजिश को लेकर 2,165 लोगों की हत्या हो चुकी है. प्रेम प्रकरण को लेकर होने भी बीते पांच वर्षों में 1,743 हत्याएं हुई हैं.

जबकि अवैध संबंधों को लेकर यूपी में पांच वर्षों के दौरान 602 हत्याएं हुई हैं. छिटपुट विवाद में हुई हत्याओं की संख्या भी काफी ज्यादा है. पुलिस के आंकड़ों के अनुसार मामूली विवाद में पांच वर्षों में 1659 हत्याएं हुई हैं. पारिवारिक विवाद को लेकर 1564 और पैसों के विवाद में यूपी में 597 हत्याएं बीते पांच वर्षों में हुई हैं.

राजस्व प्रकरणों का निस्तारण पर ज़ोर

हत्या के यह मामले यूपी पुलिस के लिए बड़ी चुनौती बने हुए हैं. पुलिस अफसरों का कहना है कि सूबे में जमीन संबंधी विवादों का त्वरित निस्तारण कर जमीन संबंधित प्रकरणों में होने वाली हिंसा पर रोक लगाई जा सकती है. अधिकारियों का कहना है कि एक लंबी प्रक्रिया के बाद जब राजस्व के स्तर से निपटारा नहीं होता है तो खूनी संघर्ष की नौबत आती है.

अक्सर कब्जे और नापजोख को लेकर विवाद होते हैं. राजस्व, तहसील के अधिकारी विवादों को लटकाए रहते हैं. जिसके चलते अब डीएम और एसपी सहित वरिष्ठ प्रशासनिक एवं पुलिस अधिकारियों के आदेशों दिया जा रहा है कि वह जमीन (राजस्व ) तथा प्रेम प्रकरणों और संपत्ति संबंधी मामलों के निस्तारण में तेजी दिखाएं ताकि किसी अप्रिय घटना से बचा जा सके.

— राजेंद्र कुमार

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