BNS लागू होने के बाद यूपी में पहली फांसी की सजा, मासूम की हत्या के दोषी को कोर्ट ने सुनाया मृत्युदंड

BNS लागू होने के बाद यूपी में पहली फांसी की सजा, मासूम की हत्या के दोषी को कोर्ट ने सुनाया मृत्युदंड

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कानपुर देहात, जून 6 (TNA) उत्तर प्रदेश में भारतीय न्याय संहिता (BNS) लागू होने के बाद पहली बार किसी अभियुक्त को फांसी की सजा सुनाई गई है। कानपुर देहात के भोगनीपुर क्षेत्र की पिपरी गांव में 11 महीने पहले हुए जघन्य हत्याकांड में अपर जिला सत्र न्यायाधीश, कोर्ट संख्या-6 दुर्गेश की अदालत ने गुरुवार को आरोपी दीपू को मृत्युदंड की सजा सुनाई है।

मामले के अनुसार औरैया जिले के मुरलीपुरवा निवासी दीपू ने 22 जुलाई 2024 की रात अपनी पत्नी पूजा, उसके बच्चों और ससुराल पक्ष के अन्य सदस्यों पर सोते समय बांका से ताबड़तोड़ हमला किया था। इस हमले में छह वर्षीय मासूम काव्या की मौके पर ही मौत हो गई थी, जबकि पूजा, उसके दोनों बेटे और अन्य परिजन गंभीर रूप से घायल हो गए थे। पीड़ितों के सिर और चेहरे पर 70 से 90 टांके आए थे।

सुनवाई के दौरान सहायक शासकीय अधिवक्ता विवेक त्रिपाठी ने घटना को पूर्व नियोजित, क्रूरतापूर्ण और ‘विरलतम से विरल’ की श्रेणी में रखते हुए अदालत से कठोरतम सजा की मांग की। अदालत ने अभियुक्त दीपू को दोषी करार देते हुए फांसी की सजा सुनाई और ₹15 लाख 30 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया। इसमें से 90 प्रतिशत राशि पीड़ित पूजा और उसके परिजनों को दी जाएगी।

पुलिस ने घटना के चार महीने के भीतर चार्जशीट दाखिल कर दी थी। सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष ने पुख्ता साक्ष्य और गवाह पेश किए, जबकि बचाव पक्ष की दलीलों को अदालत ने अस्वीकार कर दिया। यह फैसला कानपुर देहात में किसी मामले में सुनाई गई पहली फांसी की सजा है। साथ ही, भारतीय न्याय संहिता लागू होने के बाद उत्तर प्रदेश में फांसी की पहली सजा का भी यह मामला बन गया है। अदालत ने इस घटना को पूरी तरह शैतानी, निंदनीय और अमानवीय बताया।

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