सीएसआईआर-सीमैप ने बाराबंकी के गांव भगौली सरायफूटी में एरोमा सस्टनेबल कलस्टर स्थापना की शरूआत की

सीएसआईआर-सीमैप ने बाराबंकी के गांव भगौली सरायफूटी में एरोमा सस्टनेबल कलस्टर स्थापना की शरूआत की

नई तकनीकी, कृषि मशीनीकरण, रासायनिक उपयोग में वृद्धि कारण फसल उत्पादकता में वृद्धि के साथ कृषि में शानदार प्रगति हुई है, जो खाद्य कीमतों को कम करने में सहायक हुआ है। लेकिन इसके दुष्प्रभाव से मिट्टी की उर्वरता में कमी, खेती की लागत में वृद्धि भूजल का अधिक दोहन, वायु प्रदूषण, ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन, खेतीहर मजदूर की स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां प्रमुख हैं।

एरोमा सस्टनेबल कलस्टर से मेंन्थाल मिंट की खेती में टिकाऊ नवीन कृषि पद्धितियों को गति प्रदान करेगा, जो पर्यावरणीय स्वास्थ्य, आर्थिक लाभप्रदता और सामाजिक इक्विटी को एकीकृत करता है। संत सांगानेरिया फाउंडेशन और अल्ट्रा इंटरनेशनल लिमिटेड के सहयोग से सीएसआईआर-सीमैप द्वारा नवाचार टिकाऊ सुगंध कलस्टर और नवीन प्रसंस्करण प्रौद्योगिकियों, जो मिट्टी के स्वास्थ्य, जैव विविधता, पर्यावरण और जीवन की गुणवत्ता को नुकसान पहुंचाए बिना स्थिर और आर्थिक उत्पादकता का स्तर बनाए रखेगा।

इस स्थायी कलस्टर में अपनाई जाने वाली कृषि पद्धतियों से पानी और ऊर्जा की बचत, गैसों के उत्सर्जन को कम करने और मेंथा के उत्पादन के लिए रसायनों और उर्वरकों के न्यूनतम उपयोग को सुनिश्चित किया जा सकेगा। मेंथा के इस सस्टनेबल कलस्टर में नवीन किस्म (सिम-उन्नति) जो परिपक्वता के समय बेमौसम बारिश से फसल की रक्षा करने, व अन्य जैविक और अजैविक विपरीत प्रभवों के लिए प्रतिरोधी है। आसवन और अन्य कृषि अपशिष्टों का उपयोग करके प्रक्षेत्र पर पर्याप्त मात्रा में जैविक खाद का उत्पादन किया जायेगा और नियोजित कृषि-तकनीक (अगेती मेंथा तकनीकी) सिंचाई और निराई में शामिल लागतों में कमी आयेगी।

इसके अलावा, यूएवी (ड्रोन) के माध्यम से पोषक तत्वों एवं पादप सुरक्षा रसायनों का छिड़काव, फसल की उचित देख भाल तथा सही दिशा निर्देशों को अवगत कराएगा। आसवन इकाइयों से उत्सर्जित हानिकारक तत्वों को कम करने का प्रयास, सौर ऊर्जा आधारित आसवन इकाइयों को स्थापित किया जाएगा और इससे उत्सर्जित आसवन अपशिष्ट का उपयोग मशरूम उगाने और वर्मी खाद बनाने के लिए किया जाएगा, जो अपशिष्ट को कम करने और इसके मूल्यवर्धन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा।

सीएसआईआर-सीमैप के निदेशक, डॉ. प्रबोध कुमार त्रिवेदी ने इस बात पर जोर दिया कि इस तरह के सुगंधित सस्टेनेबल समूह और उन्नत कृषि क्रियाए, हमारे पर्यावरण की रक्षा करते हुए हमारे प्राकृतिक संसाधनों को बचाने में सहयोग करेंगी। ऐसी कृषि प्रणालियाँ, जिसमें मृदा स्वास्थ के निर्माण, पानी प्रबंधन वायु और जल प्रदूषण को कम करने और जैव विविधता को बढ़ावा देने में कारगर होंगी जो कि बदलते मौसम के साथ लचीलापन स्थापित करेगा।

यह प्राकृतिक संसाधनों के दोहन से बचाएगा और जिससे खेती पर निर्भरता किसानों की अगली पीढी के लिए बचा रहेगा। आज किसानों के मेंथाल मिंन्ट फसल पर ड्रोन के माध्यम से पोषक तत्वों का छिड़काव, खेतों के मृदा स्वास्थ्य रिपोर्ट का वितरण तथा सौर ऊर्जा द्वारा मेंथा तेल आवसन का सजीव प्रदर्शन किया गया।

सस्टेनेबल क्लस्टर के उद्घाटन के दौरान डॉ. आलोक कालरा, डॉ. राजेश कुमार वर्मा, डॉ. संजय कुमार, डॉ. मनोज सेमवाल, इंजी. अश्विन नन्नावरे, डॉ रितु त्रिवेदी और डॉ रक्षपाल सिंह उपस्थित थे जिन्होने किसानों के साथ बातचीत भी की।

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