यूपी रेरा में पहुंचे सीएम के चहेते अफसर संजय भूसरेड्डी और डिंपल वर्मा
लखनऊ, अगस्त 13 (TNA) उत्तर प्रदेश की विधानसभा का मानसून सत्र बीते 11 अगस्त को खत्म हो गया. इसके कुछ घंटे के भीतर ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के दो चहेते रिटायर आईएएस अफसरों की तैनाती का आदेश सरकार से जारी हो गया. ये दो अफसर हैं, संजय आर भूसरेड्डी और डिंपल वर्मा. 1989 बैच के आईएएस संजय भूसरेड्डी बीते जून में रिटायर हुए थे. जबकि 1989 बैच की ही आईएएस डिंपल वर्मा बीते साल अक्टूबर में सेवानिवृत्त हुई थी. अपने रिटायर होने के बाद से ये दोनों अफसर उप्र भू संपदा नियामक प्राधिकरण (यूपी रेरा) में तैनाती पाने की प्रतीक्षा कर रहे थे.
यूपी में रेरा एक बहुत महत्वपूर्ण विभाग है, जिसकी जिम्मेदारी मिलना एक बड़ी बात है. रिटायर होने के बाद तमाम आईएएस अफसर रेरा में तैनाती पाने को आतुर रहते हैं. इस संस्था का काम यूपी में घर खरीदने वालों के हितों की रक्षा करना. और यूपी के रियल एस्टेट बाजार में शामिल सभी लोगों के लिए एक नियामक तंत्र स्थापित करना है. हर तरह से संसाधनों के लैस इस संस्था में अध्यक्ष और सदस्य का एक पद रिक्त था. रेरा में अध्यक्ष का पद बीते 30 जून को आईएएस राजीव कुमार का कार्यकाल खत्म होने से रिक्त हुआ था. जबकि सदस्य का पद बीते छह माह से रिक्त था.
इन रिक्त पदों पर तैनाती पाने के लिए सूबे के एक दर्जन से अधिक रिटायर आईएएस और अन्य सेवाओं के सेवानिवृत्त अफसरों आवेदन किया था. इनमें से सूबे के मुख्य सचिव रह चुके आईएएस भी शामिल हैं, लेकिन यूपी रेरा में तैनाती संजय भूसरेड्डी और डिंपल वर्मा को ही मिली. तो इसकी वजह रही सीएम योगी आदित्यनाथ का इन दोनों अफसरों के प्रति अटूट विश्वास.
सीएम के नजदीकी लोगों के मुताबिक, सीएम योगी आईएएस डिंपल वर्मा को एक जुझारू अधिकारी मानते रहे हैं. डिंपल वर्मा जब गोरखपुर में तैनात थी, तब से सीएम योगी उन्हे जानते है. डिंपल वर्मा में किसी कार्य को पूरा करने का जो जुनून सीएम योगी ने देखा सुना, उसके चलते ही उन्होने हमेशा ही उनकी बात सुनी. कोरोना संकट के दौरान जब तमाम आईएएस फील्ड में निकालने से कतराए तब डिंपल वर्मा और उनके आईपीएस पति प्रशांत कुमार ने तमाम लोगों ही मदद की.
यही नहीं डिंपल वर्मा ने तब कोरोना की परवाह किए बिना महिलाओं को एकत्र कर उन्हे मास्क बनाने का कार्य कई दिनों तक किया था. डिंपल वर्मा के पति प्रशांत कुमार जो कि यूपी के विशेष डीजी कानून-व्यवस्था हैं को भी मुख्यमंत्री का प्रिय अधिकारी माना जाता है. यहीं वजह है कि जब रेरा में अध्यक्ष और सदस्य पद को भरने के लिए आवेदन मांगे गए तो यह कहा गया कि अगर डिंपल वर्मा ने इस पद के लिए आवेदन किया तो उन्हे सरकार रेरा में सदस्य बना देगी.
कुछ इसी तरह ही बात संजय भूसरेड्डी को लेकर भी कही गई. वास्तव में संजय भूसरेड्डी की पहचान एक काबिल अफसर के रूप में रही है. राजनाथ सिंह जब सूबे के मुख्यमंत्री थे, तब संजय भूसरेड्डी उन्हे सरकार की कमियों के बारे में बताते थे. इसके बाद मायावती सरकार में उनके कार्य करने का तरीका कुछ अफसरों को पसंद नहीं आया तो संजय भूसरेड्डी केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर चले गए. अपने तरीके और पसंद से काम करने के आदी संजय भूसरेड्डी का जन्म 1963 को हुआ था। वो मूलतः आंध्र प्रदेश में गोदावरी के रहने वाले है लेकिन परिजन नासिक महाराष्ट्र में बसे हुए हैं।
संजय भूसरेड्डी बीते जून में रिटायर हुए. ये वह अफसर हैं जिनको वर्ष 2017 में सूबे की योगी सरकार केंद्र को पत्र लिखकर मांगा था। और उन्हे चीनी उद्योग, गन्ना विकास तथा आबकारी के साथ ही गन्ना आयुक्त का प्रभार भी सौंपा गया। इन पदों को संभालते हुए ही संजय 30 जून को रिटायर हुए. संजय भूसरेड्डी के रिटायर होने के कुछ समय पहले ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उनकी तारीफ ही थी. उन्होने कहा था कि गन्ना विभाग में संजय भूसरेड्डी के कार्यकाल के दौरान शानदार काम हुआ है. जब संजय को गन्ना विभाग की जिम्मेदारी दी गई तो कुछ लोगों ने कहा की वह काम नहीं कर पाएंगे, क्योंकि यह व्यक्ति (संजय भूसरेड्डी) किसी की सुनता ही नहीं है.
मुख्यमंत्री योगी ने यह भी कहा था कि हमने तब बोला कि हमें इस विभाग में ऐसा ही व्यक्ति चाहिए. और संजय ने बेहतर संतुलन बनाकर गन्ना विभाग में काम किया है. संजय ने अपने कार्यकाल में किसानों की बात भी सुना और किसानों के साथ अगर कोई नाजायज काम करने का प्रयास किया तो उसके साथ शक्ति के साथ निपटने का भी काम किया है. सीएम के इस कथन के बाद यह मान लिया गया था कि संजय आर भूसरेड्डी ही यूपी रेरा के नए चेयरमैन होंगे. हुआ भी वही 11 अगस्त की रात बीते के पहले संजय भूसरेड्डी और डिंपल वर्मा की तैनाती का आदेश जारी हो गया. अब पाँच साल तक संजय भूसरेड्डी रेरा का दायित्व संभालेंगे. जबकि रेरा में तैनाती पाने से वंचित रह गए तमाम आईएएस अब नए बने शिक्षा आयोग में तैनाती पाने के प्रयास में जुटेंगे.
— राजेंद्र कुमार