भाजपा सांसद रमेश बिधूड़ी के अमर्यादित शब्दों से दुनिया में हुई भाजपा की फजीहत

भाजपा सांसद रमेश बिधूड़ी के अमर्यादित शब्दों से दुनिया में हुई भाजपा की फजीहत

लखनऊ, सितंबर 23 (TNA) लोकसभा के विशेष सत्र में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद रमेश बिधूड़ी ने बेहद ही अमर्यादित बयान दिया है. उन्होने अमरोहा से बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के सांसद दानिश अली के खिलाफ बेहद अमर्यादित शब्दों का प्रयोग किया. देश के संसदीय इतिहास ने किसी सांसद के खिलाफ पहली बार ऐसे अमर्यादित शब्दों का प्रयोग किया गया. इस लेकर देश और दुनिया भर में भाजपा सांसद रमेश बिधूड़ी और भाजपा की आलोचना की जा रही है. विपक्षी दलों के नेताओं ने भी इसकी निंदा की है.

इस मामले में चौतरफा हो रही आलोचना के बाद लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने भाजपा सांसद रमेश बिधूड़ी के अमर्यादित बयान को सदन की कार्यवाही से हटाने का निर्देश दिया है. भाजपा ने भी बसपा सांसद दानिश अली के खिलाफ असंसदीय भाषा के इस्तेमाल के लिए पार्टी सांसद रमेश बिधूड़ी को कारण बताओ नोटिस जारी किया है. वहीं बसपा सांसद दानिश अली ने लोकसभा स्पीकर को चिट्ठी लिखकर भाजपा सांसद रमेश बिधूड़ी की सदस्यता रद्द करने की मांग की.

संसद में रमेश बिधूड़ी के अमर्यादित शब्दो का प्रयोग किए जाने पर देश भर में मचे बवाल के बाद अब यह सवाल अब आम है कि कानूनी संरक्षण की आड़ में आखिर कब तक सांसद, विधायक संसद और विधानसभा में अपशब्दों की बौछार करते रहेंगे और क्यों? क्या कोई सांसद संसद में मौजूद किसी सांसद को धमकी दे सकता है? या किसी सांसद के धर्म और जाति पर संसद में सवाल उठाकर उसे टार्गेट किया जाना चाहिए. करोड़ों रुपए खर्च कर तैयार हुई देश की नई संसद के विशेष सत्र के दौरान यह सब हुआ.

वह भी भाजपा के सांसद रमेश बिधूड़ी की तरफ से. इस प्रकरण में सबसे दुखद एक यह भी है कि जब भाजपा सांसद रमेश बिधूड़ी बसपा के सांसद दानिश अली के खिलाफ अमर्यादित शब्दों का प्रयोग कर रहे थे रमेश बिधूड़ी के समीप बैठे मोदी सरकार की कैबिनेट में मंत्री रह चुके रवि शंकर प्रसाद और हर्षवर्धन हंस रहे थे. इन दोनों ने रमेश बिधूड़ी को समझाने का प्रयास तक नहीं किया. अगर रवि शंकर प्रसाद और हर्षवर्धन प्रयास करते तो शायद रमेश बिधूड़ी को गलती का अहसास होता.

पहले भी संसद में बोले गए अमर्यादित शब्द

ऐसा नहीं है कि देश की संसद में अमर्यादित शब्दों का प्रयोग पहली बार रमेश बिधूड़ी की तरफ से किया गया. इसके पहले भी कई बार विपक्ष और सत्ता पक्ष के नेता एक-दूसरे पर कीचड़ उछालने को अमर्यादित, असंसदीय भाषा का इस्तेमाल किया है. हाल के वर्षों में यह सिलसिला काफी तेज हुआ है. हाँ  नई संसद में पहली बार अमर्यादित शब्दों का प्रयोग करना रमेश बिधूड़ी के नाम से दर्ज हुआ है. और अब पहली बार देशभर में जनता यह सवाल पूछ रही है कि आखिर अमर्यादित शब्दों का प्रयोग करने वाले सांसद और विधायक पर कार्रवाई क्यों नहीं की जाती? क्या ये माननीय नियम-कानून से ऊपर हैं?

इस मामले में सीनियर जर्नलिस्ट कुमार भावेश का कहना है कि इस मामले में देश के सभी सांसद-विधायक को कानूनी संरक्षण प्राप्त हैं. संसद या विधान सभा में उनके किसी भी कृत्य पर सजा देने का काम केवल पीठासीन अधिकारी ही कर सकते हैं क्योंकि सामान्य भारतीय कानून सदन के अंदर लागू नहीं होता है. शायद यही कारण है कि सदन में आते ही माननीय कुछ भी बोल जाते हैं. रमेश बिधूड़ी ने भी कुछ ऐसा ही किया है. उनके अमर्यादित व्यवहार को पूरी दुनिया देखा है और कोई भी समझदार व्यक्ति रमेश बिधूड़ी के बेहद खराब आचरण का समर्थन नहीं करेगा.

पीठासीन अधिकारी की सख्ती से बदलेगा माहौल

कुमार भावेश कहते हैं कि देश की संसद में पहले जब कोई बड़ा नेता बोलता था तो क्या सत्ता पक्ष, क्या प्रतिपक्ष, दोनों ध्यान से सुनते थे. और फिर अपनी बारी आने पर बोलते थे. हमने देखा है कि अनेक असहमतियों के बावजूद अटल बिहारी वाजपेई, चंद्रशेखर, इंदिरा गांधी जैसे नेताओं को संसद में हर सदस्य ध्यान से सुनता था. देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने वैचारिक असहमति के बावजूद अपनी पहली कैबिनेट में कई लोगों को मंत्री बनाया था. प्रधानमंत्री रहते हुए राजीव गांधी ने हमेशा ही अटल बिहारी बाजपेयी का सम्मान किया. पीएम नरसिंह राव ने अटल जी को देश का प्रतिनिधि बनाकर संयुक्त राष्ट्र भेजा था.

परंतु अब माहौल बदला है और सत्ता पक्ष के सांसद विपक्ष के नेताओं पर संसद के बाहर और अब तो संसद में ही अमर्यादित शब्द बोलने लगे हैं. भावेश कहते है, इस प्रथा पर रोक लग सकती है, लेकिन इसके लिए पीठासीन अधिकारी को सख्ती करनी होगी. उन्हे संसद में अमर्यादित शब्द का प्रयोग करने और अमर्यादित आचरण करने वाले सत्ता पक्ष और विपक्ष के सांसद के खिलाफ एक समान कार्रवाई करनी होगी तब ही इस पर अंकुश लगेगा. वह कहते हैं कि सदन के अंदर पीठासीन अधिकारी के पास बहुत अधिकार हैं. वे चाहें तो अमर्यादित व्यवहार पर, वक्तव्य पर, विशेषाधिकार हनन की कार्यवाही शुरू कर सकते हैं. उनके ऐसा करने से संसद में सांसदों के अमर्यादित आचरण पर अंकुश लगेगा और कोई भी सांसद, विधायक अमर्यादित टिप्पणी करने के पहले पांच बार सोचेगा.

— राजेंद्र कुमार

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