जागरुकता उचित है, जागरूक होना ही चाहिए सभी को…

जागरुकता उचित है, जागरूक होना ही चाहिए सभी को…

जागरुकता उचित है। जागरूक होना ही चाहिए सभी को। जागरूक होना ही पड़ेगा। अन्य कोई विकल्प नहीं है। विकल्प इलाज का हो सकता है मृत्यु का नहीं। जब सद्बुद्धि आ जाए स्वयं को जानने का प्रयास शुरू करें। स्व+अयं= स्वयं= मैं हूं। अब सवाल उठता है क्या हूं? इस पृथ्वी पर व्याप्त जीवन का एक हिस्सा। जीवन क्या है? शरीर के अंदर और बाहर जो भी चल रहा है अथवा घटित अथवा स्पंदित हो रहा है वह जीवन ही है। इस जीवन को ही समझना है कि हम चाहें या न चाहें ये घटित हो रहा है। अपने हिसाब से। जितनी जल्दी इसे समझ कर इसमें शामिल हो जाएंगे आनंद रहेगा। अन्यथा परेशान रहेंगे।

जैसे मां के शरीर से दो तीन किलो का पिंड बाहर निकलता है एक नये जीवन के रूप में। समय के साथ यह शरीर अपने आसपास के प्राकृतिक जीवन से जो भी ग्रहण करता है वह उसके शरीर का हिस्सा बन जाता है। अब वह शरीर ७५-८० किलो का हो चुका है। किसी किसी का तो सौ दो सौ किलोग्राम भी हो जाता है| बहरहाल शरीर एक सिस्टम है व्यवस्था है जीवन चलने का। इसका भी बढ़ने घटने का एक क्रम है। हमारा स्वास्थ्य कैसा रहेगा ये इस बात पर निर्भर करेगा कि हमने क्या किस रूप में शरीर में ग्रहण किया।

हर शरीर का डीएनए भिन्न है तो जाहिर सी बात है कि इसका इनटेक भी दूसरों से कुछ तो भिन्न ही होगा। मसलन मुझे दूध फायदा करता है लेकिन हो सकता है ये मेरे किसी भाई बंधू को नुक्सान करे। लेकिन जागरूकता न होने के क्रम में अस्वस्थ कमजोर शरीर को ताकत देने के लिए देखा-देखी अगले ने दूध ही दूध पी लिया तो वह उसे और बीमार कर देगा।

कहने को बहुत है दिन छोटा पड़ेगा। तात्पर्य यह है कि ये कोई दिव्य अनूठा ज्ञान नहीं है। सबके लिए उतना ही आसान ही है जितना मेरे या अन्य जागरुक लोगों के लिए जिन्होंने समझने की कोशिश की। मगर समस्या ये है कि लोग जानते बूझते हुए भी समझना नहीं चाहते, समझने की कोशिश भी नहीं करते हैं। अंग्रेजी दवाइयों के बाजारीकरण ने इतना भ्रमित कर दिया है। इतना आसान इलाज बता कर बीते पचास सालों में पहले इसका आदि बनाया गया और अब डर का व्यवसाय जोरों पर है क्योंकि पीढ़ियां सुविधाओं की इतनी आदि हो गई हैं कि कौन मेहनत करे। एक गोली लो काम पर चलो।

अंत इसके साथ कि स्वस्थ होने का अर्थ है स्व में स्थित हो जाना। स्व+स्थ= स्वस्थ। अपने आत्मस्वरुप में स्थित हो जाएं हमेशा स्वस्थ रहेंगे। आनंदमय जीवन रहेगा।

— राजीव तिवारी ‘बाबा’

Related Stories

No stories found.
logo
The News Agency
www.thenewsagency.in