उत्तर प्रदेश में सियासी दलों ने सत्ता पर काबिज होने के लिए ब्राह्मणों को बनाया 'जजमान'

उत्तर प्रदेश में सियासी दलों ने सत्ता पर काबिज होने के लिए ब्राह्मणों को बनाया 'जजमान'

कोई भगवान परशुराम के नाम पर मूर्तियां बनवाने की बात कर रहा है तो कोई परशुराम के नाम पर अस्पताल
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प्रदेश में अभी विधानसभा चुनाव होने में डेढ़ वर्ष बचे हैं लेकिन सपा, बसपा, भाजपा और कांग्रेस ने ब्राह्मणों का गुणगान करना शुरू कर दिया है । प्रदेश की राजनीति में इन दिनों हर तरफ ब्राह्मणों की चर्चा है। हर पार्टी ब्राह्मण नाम की माला जप रही है। कोई भगवान परशुराम के नाम पर मूर्तियां बनवाने की बात कर रहा है तो कोई परशुराम के नाम पर अस्पताल और रैन बसेरे। इन सबसे आगे बढ़कर भाजपा ने भी नया दांव चलते हुए ब्राह्मणों के लिए जीवन बीमा और हेल्थ इंश्योरेंस कराने की घोषणा कर दी है।

सपा ने बीजेपी को जुमला पार्टी कहते हुए कहा है कि वह जो कहती है वह करती नहीं है। उत्तर प्रदेश में वर्ष 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए सभी दलों ने ब्राह्मणों को अपना-अपना 'जजमान' बना रखा है । यानी सत्ता पर काबिज होने के लिए सियासी दलों में ब्राह्मणों को अपने पक्ष में करने के लिए हर हथकंडे अपनाए जा रहे हैं । दूसरी ओर विपक्षी दलों ने योगी सरकार में लगातार ब्राह्मण वर्ग पर हो रहे हमले को अब भाजपा सरकार के खिलाफ एक मजबूत हथियार बना लिया है ।

पिछले दिनों ब्राह्मण वोट भुनाते हुए समाजवादी पार्टी ने सूबे में परशुराम की मूर्ति लगाने का वादा किया। तो मायावती कैसे पीछे रहने वाली थीं। मौके का फायदा उठाते हुए बसपा प्रमुख ने जोर शोर से प्रचार करते हुए भगवान परशुराम की मूर्ति पूरे प्रदेश भर में लगाने का एलान कर डाला । यही नहीं उत्तर प्रदेश में सभी राजनीतिक दलों की तरफ से ब्राह्मण वोट बैंक को ध्यान में रखकर एक से एक वादे किए जा रहे हैं ।

ब्राह्मणों पर कार्रवाई को लेकर विपक्ष के साथ भाजपा विधायक के भी योगी से सवाल

उत्तर प्रदेश में ब्राह्मणों को रिझाने की कोशिश अपने अपने चरम पर है । सबको लग रहा है कि ब्राह्मण उसके साथ आ जाए तो बात बन जाए । यूपी की राजनीति में अब तक विपक्षी दल ही अपने अपने तरीके से ब्राह्मणों को लुभाने की कोशिश कर रहे थे लेकिन अब भाजपा विधायक भी सरकार से जवाब मांगने की कोशिश करने लगे हैं । सुलतानपुर जिले की लम्भुआ सीट से भारतीय जनता पार्टी के विधायक देवमणि द्विवेदी ने अपने ही योगी सरकार से सवाल जवाब किए हैं ।

देवमणि द्विवेदी ने अपने सवाल में पूछा है कि बीते तीन वर्ष में कितने ब्राह्मणों की हत्या हुई है । भाजपा में विधायक द्विवेदी ने इसका जवाब प्रदेश के गृहमंत्री से मांगा है । हम आपको बता देंगे ब्राह्मण यूपी का एक प्रभावशाली समाज है । बीजेपी सीधे सीधे हिंदुत्व कार्ड खेल रही है । भाजपा के पास भगवान राम के मंदिर का मुद्दा है, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का चेहरा है और योगी जैसा भगवाधारी संत है । इसी को लेकर विपक्ष योगी के खिलाफ गोलबंदी करने में जुटा है ।

विकास दुबे एनकाउंटर और उसके बाद कई ऐसे अपराधी, जो ब्राह्मण समाज से आते हैं, उन पर हुई कार्रवाई को आधार बनाकर यूपी में सपा बसपा और कांग्रेस की कोशिश हो रही है कि ये साबित किया जाए कि योगी सरकार ब्राह्मणों के खिलाफ है। इसी मौके को देखते हुए सबसे पहले सपा ने और फिर बसपा ने परशुराम के बहाने ब्राह्मणों को अपनी तरफ जोड़ने की कोशिश की है ।

वहीं पिछले महीने विकास दुबे एनकाउंटर ने आग में घी डालने का काम किया। ब्राह्मणों की नाराजगी को विपक्षी दल भी भुनाने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते। यूपी में सभी मुख्य विपक्षी दल योगी सरकार पर ब्राह्मणों की अनदेखी का आरोप लगाते हुए निशाना साध रहे हैं। वहीं अब ब्राह्मणों की आस्था के प्रतीक परशुराम के जरिए समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी में घमासान मचा हुआ है । कांग्रेस भी ब्राह्मण चेतना संवाद के जरिए वोट बैंक को साधने में जुटी है।

आम आदमी पार्टी ने भी ब्राह्मण पॉलिटिक्स में अपनी एंट्री करते हुए योगी सरकार पर निशाना साधा है । पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने यूपी में ब्राह्मणों पर हो रहे अत्याचारों पर भाजपा सरकार को आड़े हाथों लिया था । गौरतलब है कि पिछले साल (2019) लोकसभा चुनाव लड़ने वाले एसपी और बीएसपी ब्राह्मण वोट साधने के लिए इस बार एक दूसरे हमले कर रहे हैं ।

यूपी में भाजपा सरकार ब्राह्मणों को सुरक्षा और सम्मान दें : मायावती

भाजपा विधायक के योगी सरकार से ब्राह्मणों की कार्रवाई को लेकर पूछे गए सवाल के बाद बसपा प्रमुख मायावती भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर हमलावर हो गई हैं । बसपा सुप्रीमो ने राज्य सरकार द्वारा गरीब ब्राह्मणों को बीमा देने संबंधी बयान आने पर कहा है कि पहले उनके सम्मान और सुरक्षा की गारंटी दी जाए।

उन्होंने कहा है कि प्रदेश की भाजपा सरकार द्वारा गरीब ब्राह्मणों का बीमा कराने की बात इस वर्ग के प्रति केवल अपनी कमियों पर पर्दा डालने के लिए ही लगता है, जबकि ब्राह्मण समाज को वास्तव में बीमा से पहले उन्हें सरकार से अपने मान-सम्मान व पूरी सुरक्षा की गारंटी चाहिए। मायावती इन दिनों ब्राह्मणों को लेकर सरकार को घेर रही हैं।

बसपा सुप्रीमो ने इसके पहले कहा था कि प्रदेश में उनकी सरकार बनने पर भगवान परशुराम की प्रतिमा लगवाने के साथ ही जयंती पर अवकाश घोषित करने का वादा पहले की कर चुकी हैं। इन दिनों ब्राह्मण समाज कि बसपा में बहुत सम्मान किया जा रहा है । जिले से लेकर बूथ स्तर तक बनने वाले कमेटियों में ब्राह्मणों को स्थान दिया जा रहा है।

आप पार्टी ने भी उत्तर प्रदेश में ब्राह्मण पॉलिटिक्स में की एंट्री

आम आदमी पार्टी भी उत्तर प्रदेश में हो रही ब्राह्मण पॉलिटिक्स में कूद गई है । पिछले दिनों पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने उत्तर प्रदेश की योगी सरकार पर ब्राह्मणों पर लगातार हो रहे हमले की तीखी आलोचना की थी । उन्होंने कहा है प्रदेश के लोगों को चुन-चुन कर मारा जा रहा है। ब्राह्मणों पर अत्याचार हो रहा है। भाजपा के 58 विधायक ब्राम्हण है। उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री डॉ दिनेश शर्मा ब्राह्मणों की आवाज नहीं उठा रहे हैं। संजय सिंह ने कहा कि बीजेपी सरकार में 58 विधायक ब्राह्मण हैं और वो भी बहुत गुस्से में हैं।

उप मुख्यमंत्री डॉ दिनेश शर्मा भी ब्राह्मण हैं लेकिन वह आवाज नहीं उठाते। राष्ट्रपति दलित हैं, उन्हें भी राम मंदिर शिलान्यास में नहीं बुलाया गया। केवल ठाकुरों का काम हो रहा है। संजय सिंह के बयान के बाद उत्तर प्रदेश एक व्यक्ति की शिकायत पर जाति धर्म के आधार पर समाज में विद्वेष फैलाने एवं सामाजिक समरसता तथा सद्भावना को नष्ट करने का प्रयास के तहत मुकदमा दर्ज कराया है। संजय सिंह पर आरोप लगा है कि उन्होंने अपनी घटिया बयानबाजी के दौरान राष्ट्रपति, मुख्यमंत्री और विधायकों को भी नहीं बख्शा।

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