आशा भोसले की खनकती और भूपेन हजारिका की मधुर-सौम्य आवाज ने करोड़ो प्रशंसकों को दीवाना बनाया

आशा भोसले की खनकती और भूपेन हजारिका की मधुर-सौम्य आवाज ने करोड़ो प्रशंसकों को दीवाना बनाया

आज 8 सितंबर है । इस दिन देश और फिल्म नगरी के दो महान फनकारों (गायकों) का जन्मदिन पड़ता है । दोनों ने अपने सुरों से करोड़ों दिलों पर राज किया । एक की मखमली और खनकती आवाज जब प्रशंसकों के कानों में गूंजती थी तो वह ठहर जातेे थे । वहींं दूसरी आवाज में इतनी मधुर और सौम्यता थी कि 'मां गंगा भी कलकल' करने लगती थी । हम बात करेंगे महान सिंगर आशा भोसले और भूपेन हजारिका की । आशा जी ने लगभग 12000 हजार से अधिक फिल्मों के गाने गए जबकि भूपेन हजारिका जी के गीतों ने आम और खास सभी को दीवाना बना दिया था । दोनों ही गायक सुरों की गहराइयों तक ले गए ।

आइए आज आपको बताते हैं इन गायकों के बारे में । पहले बात करेंगे भूपेन हजारिका की । मशहूर संगीतकार और गायक रह चुके भूपेन हजारिका का जन्म असम के तिनसुकिया जिले के सदिया कस्बे में 8 सितंबर 1926 को हुआ था। बचपन से ही उन्हें पढ़ाई के अलावा म्यूजिक और साहित्य का शौक था। उन्होंने 11 वर्ष की उम्र में असम मे ऑल इंडिया रेडियो के लिए पहली बार गाना गाया था। उसके कुछ ही समय बाद असमिया फिल्म इन्द्रमालती में बाल कलाकार के रूप में अभिनय किया और गीत भी गाया।

भूपेन हाजरिका असम से एक बहुमुखी प्रतिभा के गीतकार, संगीतकार और गायक थे। इसके अलावा वे असमिया भाषा के कवि, फिल्म निर्माता, लेखक और असम की संस्कृति और संगीत के अच्छे जानकार भी रहे थे। वे भारत के ऐसे कलाकार थे जो अपने गीत खुद लिखते थे, संगीतबद्ध करते थे और गाते थे।

'ओ गंगा बहती हो क्यों' गाने ने भूपेन हजारिका को विश्व भर में पहचान दिला दी

भूपेन हजारिका की कलम की धार ऐसी थी कि फिल्म रुदाली का 'दिल हूम हूम' करे और संगीत की तान ऐसी कि कहीं दूर उठती लहरों की गूंज सरसराती हुई कानों के पास से निकल जाए। उसके बाद भूपेन हजारिका ने 'हे डोला' 'ओ गंगा बहती हो क्यों', 'एक कली दो पत्तियां' जैसे मशहूर गानों को संगीत दिया था। हजारिका का सबसे प्रसिद्ध गाया हुआ गाना, गंगा तुम बहती हो क्यों, हुआ था । इस गाने ने उनको भारत ही नहीं बल्कि विश्व भर में पहचान दिला दी थी । हजारिका का वैवाहिक जीवन सफल नहीं रहा । उन्होंने प्रियंवदा पटेल से 1950 में विवाह किया। उसके बाद भूपेन के पुत्र का जन्म हुआ ।

कुछ वर्षों बाद ही हजारिका का पत्नी के साथ अलगाव हो गया और वह पूरी तरह से साहित्य और संगीत के हो गए। वह भाजपा के सांसद भी थे । हम आपको बता दें कि भूपेन की लव स्टोरी अनोखी थी। बॉलीवुड फिल्म डायरेक्टर कल्पना लाजमी उनके प्यार में पागल थी। वह मरते दम तक नहीं भूल पाई। खुद कल्पना ने अपनी किताब ‘में लिखा था, मुझे उन्हें देखते ही प्यार हो गया था। और यह प्यार ऐसा था कि मैं इसे 40 साल तक अपने आंखों में बसा कर रखा। फिल्मकार के रूप में भी उनका सफर बेहतरीन रहा और उन्हें कई राष्ट्रीय पुरस्कारों के अलावा 'दादा साहब फालकेे' पुरस्कार से भी नवाजा गया।

5 नवंबर 2011 में उनका निधन हो गया। 2019 में केंद्र की मोदी सरकार ने उन्हें ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया । भूपेन हजारिका की लेखनी और आवाज देश की ऐसी धरोहर है, जो गंगा की धारा की तरह सदा अविरल रहेगी। अब बात करेंगे सिंगर आशा भोसले की ।

छह दशक तक आशा भोसले ने गायकी में अपना साम्राज्य बरकरार रखा

महान गायिका लता मंगेशकर की छोटी बहन आशा भोसले का जन्म 8 सितंबर 1933 को महाराष्ट्र में हुआ था। अपने छह दशक से भी लंबे गायकी के करियर में उन्होंने एक से बढ़कर एक गाने गए। महज 10 साल की उम्र से ही वह प्रोफेशनल सिंगर बन गई। आशा जी ने मन्ना डे, हेमंत कुमार, मोहम्मद रफी, मुकेश, किशोर कुमार सभी बड़े गायक कलाकारों के साथ अपनी आवाज दी । उन्होंने तमाम बड़े संगीत निर्देशकों के साथ काम किया है। आशा की निजी जिंदगी की बात करें तो उन्होंने दो शादियां कीं ।

16 साल की उम्र में उन्हें अपनी बड़ी बहन लता मंगेश्कर के सेक्रेटरी गणपतराव से प्यार हो गया था। घर वाले दोनों की शादी के लिए राजी नहीं थे। ऐसे में आशा और गणपतराव ने भागकर शादी कर ली थी। मगर ये शादी ज्यादा दिन नहीं चल पाई । उसके बाद आशा भोसले ने महान संगीतकार आर डी बर्मन से शादी की । एक समय ऐसा था जब आशा सिर्फ पंचम दा के लिए गाने गाती थीं। उनकी रिकॉर्डिंग के समय फिर वो किसी और को समय नहीं देती थीं। वर्ष 1994 में संगीतकार आर डी बर्मन ने दुनिया को अलविदा कह दिया । मौजूदा समय में बढ़ती उम्र के चलते आशा जी अब सक्रिय गायकी से दूर हैं ।

आशा भोसले के प्रसिद्ध गाए गीत जिसे प्रशंसक आज भी गुनगुनाते हैं

वर्ष 1957 में रिलीज फिल्म 'नया दौर' में आशा भोसले को पहचान मिली । नया दौर में आशा ने मोहम्मद रफी के साथ मांग के साथ तुम्हारा, साथी हाथ बढ़ाना, उड़े जब-जब जुल्फें तेरी, गाए गाने सुपरहिट रहे और आज भी सुने जाते हैं। फिल्म भी हिट रही और आशा को वो पहचान मिली जिसकी उन्हें तलाश थी। इसमें संगीतकार ओपी नैयर का अहम हाथ था। बता दें कि आशा भोसले के 'कैबरे सांग' दर्शकों ने बहुत सराहे । यह गाने अभिनेत्री और डांसर हेलन पर फिल्माए गए ।

इसके अलावा फिल्म 'तीसरी मंजिल' का ओ मेरे सोना रे सोना, काफी हिट रहा था । 'पिया तू अब तो आजा' आज भी युवा पीढ़ी इस गाने को गाती हुई मिल जाएगी । 80 के दशक में निर्देशित मुजफ्फर अली की फिल्म 'उमराव जान' में आशा की गायकी ने पूरे देश भर में धूम मचा दी थी । दिल चीज क्या है, इन आंखों की मस्ती, ये क्या जगह है दोस्तों और जुस्तजु जिसकी थी, संगीत प्रेमी नहीं भूल पाए हैं । इसी तरह 1987 में रिलीज हुई 'इजाजत' फिल्म का संगीत सुपरहिट रहा।

'मेरा कुछ सामान', 'खाली हाथ शाम आई' और 'कतरा-कतरा मिलती है' में आशा ने गायकी के नए आयाम दिए । ऐसे ही जैकी श्रॉफ, आमिर खान और उर्मिला मातोंडकर की फिल्म 'रंगीला' के गाए गानों ने आशा को युवा पीढ़ी में लोकप्रिय बना दिया । आशा भोसले को राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार, फिल्म फेयर अवार्ड इसके अलावा लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड भी दिया गया ।

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