गोरखनाथ मंदिर के समीप जिनके रहने से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सुरक्षा खतरे में है, वे अब सीएम से करेंगे फ़रियाद
लखनऊ, जून 9 || गोरखनाथ मंदिर परिसर स्थित मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आवास की सुरक्षा बढ़ाने को लेकर प्रशासन ने 11 अल्पसंख्यक परिवारों को यहां से हटाकर अन्य जगह बसाने की योजना बनाई है। कल तक इसको लेकर 9 परिवारों के सहमती जता देने का दावा करने वाला जिला प्रशासन अब खुद आरोपों से घिरा हुआ है। सैकड़ों वर्ष से रह रहे इन परिवारों ने डरा धमका कर सहमति पत्र पर जबरन हस्ताक्षर कराने का जिला प्रशासन पर आरोप लगाते हुए किसी अनहोनी की चिंता जताई है।
साथ ही ऐसे अधिकांश परिवारों को एक उम्मीद भी है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ उनकी सुरक्षा करेंगे। प्रशासन अगर जबरन कोई कार्यवाही करता है तो गोरखपुर आगमन पर सीएम से शिकायत की जाएगी। गंगा जमुनी संस्कृति व तहजीब गोरखनाथ मंदिर के इलाके में देखने को मिलती है। हिंदुओं के आस्था का केंद्र गोरक्ष पीठ की मंदिर से जहां हर पल घंटे घड़ियाल के बीच जयकारे की आवाज सुनाई पड़ती है, वहीं पास में बसे मुस्लिम बस्ती से तड़के अजान की आवाज हमारे मिश्रित संस्कृति को बयां करती हैं।
हिंदू मुस्लिम सैकड़ों वर्षों से एक दूसरे के तीज त्यौहार व रस्मों में हिस्सा लेते रहे हैं। मुख्यमंत्री के रूप में योगी आदित्यनाथ की जब ताजपोशी हुई थी, उस दिन यहां के मुस्लिम बस्तियों में मिठाईयां बंटी थी। अतीत के गुजरे योगी आदित्यनाथ के 4 वर्ष के कार्यकाल के बाद अचानक कुछ परिवारों की खुशियां अब गुम हो चुकी है। इनके चेहरे पर बाप दादा की विरासत छीन जाने का हर पल डर बना हुआ है।
सोशल मीडिया पर 28 मई को एक सहमति पत्र वायरल हुआ जिसमें लिखा हुआ था कि ‘गोरखनाथ मंदिर परिक्षेत्र में सुरक्षा के दृष्टिगत पुलिस बल की तैनाती हेतु शासन के निर्णय के क्रम में गोरखनाथ मंदिर के दक्षिण पूर्वी कोने पर ग्राम पुराना गोरखपुर तप्पा कस्बा परगना हवेली तहसील सदर जनपद गोरखपुर स्थित हम निम्नांकित व्यक्ति अपनी भूमि व भवन को सरकार के पक्ष में हस्तान्तरित करने के लिए सहमत हैं। हम लोगों को कोई आपत्ति नहीं है। सहमति की दशा में हम लोगों के हस्ताक्षर निम्नांकित हैं।
इस कागज पर 11 परिवारों के 19 लोगों के नाम, उनकी वल्दियत और मोबाइल नंबर लिखा हुआ। आखिरी कॉलम में लोगों के दस्तखत और तारीख है। इस पेपर पर दो परिवारों के छह लोगों- इकबाल अहमद व अनवर अहमद पुत्र स्व. इमादुल हसन, मो. अकमल, मो. शाहिल, मो. सरजिल और मो. इसराइल के दस्तखत नहीं हैं और न उनके मोबाइल नंबर अंकित हैं। इस कागज पर न किसी अधिकारी का नाम है और न कोई मुहर है। सोशल मीडिया पर सहमति पत्र वायरल होने के बाद जिला प्रशासन की इस कार्रवाई पर सवाल उठाए जाने लगे।
इसकी तहकीकात करने पर पता चला कि 27 मई को पुलिस के साथ सदर तहसील के लेखपाल व अन्य कर्मचारियों ने गोरखनाथ मंदिर के मुख्य द्वार के पास बैंक व पोस्ट आफिस के निकट स्थित घरों की नापजोख की थी। अगले दिन लेखपाल व कर्मचारियों ने इन घरों में रहने वालों से बातचीत कर सुरक्षा कारणों से इस स्थान पर पुलिस बल की तैनाती का जिक्र किया और कहा कि घर और जमीन इस हेतु ली जाएगी। इसके बदले सर्किट रेट से दो गुना मुआवजा दिया जाएगा। इसी दौरान एक कागज पर दस्तखत कराए गए।
सदर तहसील के राजस्व कर्मी मंदिर के ठीक पीछे चहारदीवार के पास स्थित तीन और घरों के लोगों से भी मिले और इस बारे में बातचीत की हालाँकि इन लोगों से किसी कागज पर दस्तखत करने की बात नहीं आई है। इसके बाद से ही चर्चा ने जोर पकड़ लिया कि इन घरों को सुरक्षा कारणों से खाली कराया जाएगा
इसके बाद से ‘कथित सहमति पत्र’ पर दस्तखत करने वाले लोग डरे हुए हैं। अधिकतर अपना फोन बंद किए हुए हैं या उठा नहीं रहे है। इन परिवारों ने कहा कि उनसे सहमति पत्र पर दस्तखत लिए गए हैं। तहसील से आए लेखपाल और कानूनगो ने उनके घर की नाप-जोख भी की। राजस्व कर्मियों ने मकान को अधिग्रहीत किए जाने के बारे में बातचीत की, लेकिन उन्होंने कहा कि जब तक उन्हें लिखित रूप से कोई नोटिस आदि मिलेगा, तभी वे जवाब दे पाएंगे।
कथित सहमति पत्र पर मो. फैजान व मो. इमरान, मो. सलमान पुत्र स्व.फजरुल रहमान, मो. जाहिद, मो. तारिक व मो. आशिक पुत्र स्व. साजिद हुसैन, मो. शाहिद हुसैन मो. शाहिर हुसैन, खुर्शीद आलम, मो. जमशेद आलम पुत्र स्व. अब्दुल रहमान, मुशीर अहमद पुत्र स्व. नाजिर अहमद, नूर मोहम्मद पुत्र स्व. दीन मोहम्मद के दस्तखत हैं।
प्रभावित हो रहे लोगों में से 45 वर्षीय नूर मोहम्मद अपने पांच भाइयों के परिवार के साथ यहां रहते हैं। मकान में ही इनकी टीवी मरम्मत करने की दुकान भी है। इसके अलावा किराना की एक दुकान है.वे बताते हैं, ‘दो-तीन दिन लगातार लेखपाल कानूनगो आए। उन्होंने कहा कि सुरक्षा कारणों से आप लोगों का मकान लिया जाना है।. घर के बदले सर्किल रेट से दो गुना मुआवजा देंगे। नूर मोहम्मद का कहना है, ‘हम लोगों की रोजी रोटी इसी घर से चलती है। मेरे दादा के दादा के यहां रहे हैं। इसे छोड़कर हम कहां जाएंगे। सरकार मुआवजा तो दे सकती है लेकिन रोजी-रोटी कैसे मिलेगी?
नूर मोहम्मद कहते हैं कि वे ज्यादा लिखे-पढ़े नहीं हैं। वह इस मामले को ठीक से नहीं समझ पा रहे हैं। आपस में बातचीत हुई है,जैसा सब लोग करेंगे, वैसा मैं भी करूंगा।’उनका कहना है कि उन्हें दस्तखत करने के लिए डराया नहीं गया । ‘बाबा (योगी आदित्यनाथ) गोरखपुर आने वाले हैं। हम लोग उनसे मिलकर बात करेंगे।.सहमति पत्र पर दस्तखत करने वाले रिटायर्ड रेलवे कर्मचारी 71 वर्षीय जावेद अख्तर कहते हैं कि उन्होंने दबाव में दस्तखत किया।
उन्हें एक तरह से धमकी दी गई। घर आए लेखपाल -कानूनगो ने कहा कि आप दस्तखत नहीं करेंगे तो हमें दूसरा रास्ता आता है। जिन लोगों ने दस्तखत किया है, वे भी अपना घर देने को राजी नहीं है। दबाव में कुछ लोग सहमत होना बता रहे हैं।.जावेद अख्तर ने कहा मुख्यमंत्री के गोरखपुर आने पर उनसे मिलकर अपनी बात कहेंगे। हमारे बाप दादा यहां वर्षों से रहते आ रहे हैं। मैं जब छोटा था तो तत्कालीन महंत दिग्विजय नाथ जी के पास हम लोग अक्सर जाते थे।
हम लोगों को देख वह हमारी मनसा समझ जाते थे तथा हम सबको लड्डू खिलाते थे। इसके बाद भी जब संकट आया महंत जी ने मदद की है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के यहां आने पर हम लोग फरियाद करेंगे। हम लोगों को अवश्य न्याय मिलेगा, उनकी आशा है ।
जावेद कहते हैं कि उनके घर में उनकी जनरल मर्चेंट की दुकान और भाई की आटा चक्की है। उनके पास इसके अलावा और कहीं घर व जमीन नहीं है। इसलिए हमें यहां से न हटाया जाए। यह पूछे जाने पर कि यदि उनका घर लिया जाएगा तो वे क्या करेंगे, जावेद बोले, ‘हम लड़ेंगे। इसी तरह की बात 70 वर्षीय मुशीर अहमद ,फिरोज अहमद, इंतजार हुसैन, अफजाल अहमद , वसी अहमद , इंतजार हुसैन आदि ने भी कही।
रिपोर्ट प्रकाशित करने पर डीएम के तरफ से मिली धमकी
समाचार पोर्टल इंडिया टुमारो ने पूर्व में इस प्रकरण पर खबर प्रकाशित की थी। इंडिया टुमारो डॉट इन पर खबर लिखने वाले रिपोर्टर मसिहुज्जमा अंसारी ने आरोप लगाया कि इस खबर के लिए जब उन्होंने डीएम का पक्ष जानने की कोशिश की कि तो डीएम के विजयेंद्र पांडियन ने उन पर रासुका लगाने की धमकी दी।
अंसारी ने ट्वीट कर कहा, ‘गोरखपुर में गोरखनाथ मंदिर से लगे मुस्लिम घरों को खाली करने की नोटिस दिए जाने के मामले में डीएम से बात करने पर मेरे साथ अभद्रता की गई और अफवाह फैलाने का आरोप लगाते हुए एनएसए लगाने की धमकी दी गई जिसकी शिकायत मैने एनएचआरसी में दर्ज कराई है।
जिला प्रशासन के खिलाफ राजनीतिक दलों ने जताया आक्रोश
कांग्रेस के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष शाहनवाज आलम ने पत्रकार और गोरखपुर के डीएम से बातचीत का ऑडियो जारी किया है। उन्होंने अपने बयान में कहा, ‘गोरखनाथ मठ के दक्षिण पूर्वी कोने पर स्थित एक सौ पच्चीस सालों से बसे मुस्लिम परिवारों से जमीन खाली करने की सहमति पत्र पर प्रशासन ने जबरन हस्ताक्षर करवा लिया है। उन्होंने कहा कि कई पत्रकारों से प्रभावित लोगों ने ऑन रिकॉर्ड इस बात को कहा है।
इस बारे में मीडिया में खबरें भी चल रही हैं लेकिन लोगों को न्याय दिलाने के बजाए डीएम विजयेंद्र पांडियन न सिर्फ जबरन हस्ताक्षर कराने की बात को नकार रहे हैं बल्कि खबर चलाने वाले पत्रकारों पर ही उल्टे एनएसए लगाने की बात कर रहे हैं। आलम ने गोरखपुर डीएम को तत्काल निलंबित करने और पूरे प्रकरण की न्यायिक जांच कराने की मांग की है। उन्होंने यह भी कहा, ‘मुख्यमंत्री जी को अपने पद और महान संत गोरखनाथ जी की गरिमा का खयाल रखते हुए ऐसे अनैतिक और लोकतंत्र विरोधी काम नहीं करना चाहिए।
कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष विश्वविजय सिंह ने प्रभावित परिवारों से मिलकर आश्वस्त किया कि उनके साथ अन्याय नहीं होने दिया जाएगा और पूरी पार्टी उनके साथ खड़ी है। सिंह ने कहा कि प्रशासन की कार्रवाई जोर जबरदस्ती वाली और अवैधानिक है। प्रभावित परिवारों को पूरी जानकारी दिए बिना सादे कागज दस्तखत कराना उसकी गलत नीयत को दर्शाता है।
प्रशासन को स्पष्ट करना चाहिए कि वहां किस उद्देश्य व कार्य के लिए जमीन और घर की जरूरत है। उन्होंने चेतावनी दी कि विकास और सुरक्षा के नाम पर गरीब लोगों को बेघर और विस्थापित करने की कार्रवाई बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने आश्चर्य जताया कि मुख्यमंत्री जो कि गोरखनाथ मंदिर के महंत भी है, इस मुद्दे पर चुप क्यों हैं ?
तहसीलदार सदर संजीव दीक्षित ने कहा, ‘आधिकारिक रूप से कोई कार्रवाई नहीं हुई है न ही किसी को नोटिस दिया गया है। तहसील स्तर पर कोई पैमाइश भी नहीं की गई है। कोई पेपर भी साइन नहीं हुआ है। यह योजना अभी आरंभिक चरण की है। जब कोई योजना आएगी तो नियमानुसार कार्रवाई होगी। अभी केवल सहमति और असहमति जानी गई है।
(लेखक देवरिया स्थित पत्रकार हैं, विचार उनके निजी हैं)