आईआईटी कानपुर का कमाल: अब मोबाइल ऐप से मिलेगी बाढ़ की पहले से चेतावनी, किसानों की फसलें बचेंगी, जान-माल का नुकसान रुकेगा

आईआईटी कानपुर का कमाल: अब मोबाइल ऐप से मिलेगी बाढ़ की पहले से चेतावनी, किसानों की फसलें बचेंगी, जान-माल का नुकसान रुकेगा

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कानपुर, मई 4 (TNA) उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर से एक बेहद प्रेरणादायक और टेक्नोलॉजी से भरपूर खबर सामने आई है। आईआईटी कानपुर के स्टार्टअप इनक्यूबेशन एंड इनोवेशन सेंटर (SIIC) से जुड़े स्टार्टअप टेराएक्वा यूएवी सोल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड ने ऐसा डिजिटल समाधान तैयार किया है जो बाढ़ की विनाशलीला को रोकने में बेहद कारगर साबित हो सकता है।

इस स्टार्टअप ने "फ्लड डिजास्टर रिस्पॉन्स सिस्टम" नाम से एक स्मार्ट एप्लिकेशन और वेब-जीआईएस प्लेटफॉर्म लॉन्च किया है, जो रियल टाइम में बाढ़ की स्थिति का पूर्वानुमान देने में सक्षम है। यह प्रणाली नदियों के जलस्तर, वर्षा की मात्रा और जमीन की स्थितियों का विश्लेषण कर यह बता सकती है कि कहां-कहां बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है। इसे एनटीटी डेटा जैसी ग्लोबल डिजिटल आईटी कंपनी ने अपने CSR प्रोग्राम के तहत सहयोग प्रदान किया है।

ड्रोन और सैटेलाइट से मिलेगा बाढ़ से पहले अलर्ट

इस प्रोजेक्ट में अत्याधुनिक ड्रोन सर्वे और सैटेलाइट रिमोट सेंसिंग तकनीकों का इस्तेमाल किया गया है। बाढ़ की सटीक भविष्यवाणी और जमीन के हालात को देखते हुए यह सिस्टम प्रशासन को पहले ही अलर्ट कर देगा। इससे समय रहते इलाके खाली कराए जा सकेंगे और किसानों को भी अपनी फसलें बचाने का मौका मिलेगा।इस तकनीक का पायलट प्रोजेक्ट कानपुर के गंगा बैराज के पास के 24 गांवों में शुरू किया गया है, जो हर साल बाढ़ की चपेट में आते हैं। इससे हजारों लोगों की जिंदगी और लाखों की फसलें बच सकती हैं।

प्रशासनिक और वैज्ञानिकों की सराहना

लॉन्च कार्यक्रम में मौजूद कानपुर के मंडलायुक्त के. विजयेन्द्र पांडियन ने कहा कि यह प्रोजेक्ट यूपी के लिए एक गेमचेंजर साबित हो सकता है। उन्होंने सुझाव दिया कि आने वाले समय में इसे पूरे राज्य में लागू किया जाना चाहिए। वहीं, SIIC के सीईओ अनुराग सिंह ने कहा कि आईआईटी कानपुर ऐसे स्टार्टअप्स को लगातार सहयोग करता रहेगा जो समाज के लिए टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करते हैं। एनटीटी डेटा की CSR ग्लोबल सीनियर डायरेक्टर गौरी बाहुलकर ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के चलते अब शहरों में भी बाढ़ का खतरा बढ़ गया है और ऐसे टेक-सॉल्यूशंस समय की मांग हैं।

भविष्य का बाढ़ मैनेजमेंट यहीं से शुरू

टेराएक्वा यूएवी के फाउंडर और आईआईटी प्रोफेसर राजीव सिंह ने बताया कि यह प्लेटफॉर्म प्रशासन, नगर निगम और डिजास्टर मैनेजमेंट एजेंसियों को एक साथ जोड़कर एकीकृत समाधान देता है। इससे स्मार्ट सिटी प्लानिंग को भी नई दिशा मिलेगी। जियोस्पेशियल डैशबोर्ड जैसे फीचर्स से यह तकनीक पूरी तरह डेटा-ड्रिवन है, जिससे निर्णय तेज और सटीक होंगे। इस तकनीक से भारत ही नहीं, पूरी दुनिया के बाढ़ प्रभावित इलाकों में नया समाधान मिल सकता है।

— अवनीश कुमार

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