वारिस पाक : देवा शरीफ़ का वो फ़क़ीर, जिसकी है दुनिया मुरीद
आपका पूर्ण नाम वारिस अली शाह है। आप जन्मजात ईश्वर अनुरागी थे अतः आपका जीवन ईश्वर अनुराग से आरंभ होकर ईश अनुराग में ही विलीन हो गया। आपका वारिस नाम ही अपनी भरपूर विशेषताओं के साथ जनप्रिय और प्रसिद्ध है।
ये भी विदित है की प्रारम्भ से ही आपने 'मूतू मिन कबले अन तमूतू' (मृत्यु के पूर्व ही मर जाओ) अर्थात् मृत्यु से पूर्व ही मृतक जैसा हो जाने का गंतव्य स्थान आपको प्राप्त था। अपने शिष्यों को भी आप यह उपदेश देते रहे। तात्पर्य ये है की सरकार वारिस पाक को मोकामे बका अर्थात् अमरत्व प्राप्त है ।
जो शब्द वारिस पाक के लिए सार्थक हैं, जिसने भी आपके दर्शन किए तत्काल ही बोल उठे :
इस तरह भेस में आशिक़ के चुप है माशूक़, जिस तरह आँख की पुतली नज़र होती है
आपका सुप्रसिद्ध नाम हाजी हाफ़िज़ सय्यद वारिस अली शाह रहमत उल्लाह है। आपके नाम को यदि ख़ानदानी नसब के अनुसार देखा जाए तो वो अति सार्थक है।
आप मोहम्मद साहेब के ख़ानदान के दीपक हैं और आपको मुहम्मद साहेब से हाई विरासतन आंतरिक ज्ञान तथा अध्यात्म प्राप्त हुआ है। साथ ही आप अली की औलाद हैं अतः अली मुर्तज़ा के आंतरिक ज्ञान के वारिस हैं।
क्रमशः
(लेख मनीष मेहरोत्रा, बाराबंकी, उत्तर प्रदेश के निवासी की पुस्तक जीवनी दाता वारिस पाक - परिचय एवं उपदेश से ली गयी हैं। इसको अगले सप्ताह गुरुवार को आगे बढ़ाया जाएगा)