जब नीब करोली बाबा ने मैनपुरी के अपने वकील भक्त के दामाद का 'जल संकट' किया ख़त्म
मैनपुरी के वक़ील रामरतन जी बाबा के परम भक्तों में से थे ।उनकी पु्त्री शान्ति जब विवाह योग्य हुई तो महाराज ने उसका विवाह वीरेन्द्र वर्मा जी से करा दिया । शान्ति मंगली थी, उनका विवाह मंगली से होना चाहिये था । वीरेन्द्र मंगली नही थे, विवाह बाबा ने कराया था । वीरेन्द्र जी की पत्री में जल में डूबने से मृत्यु का योग था । इसलिये उन्हें कहीं नदी में स्नान नहीं करने दिया जाता था । दोनों परिवार चिन्तित रहते थे ।
बाबा जानी जान थे । कुछ समय बाद बाबा आये और वीरेन्द्र और उनकी बुआ को नदी स्नान हेतु उठा कर ले गये । वीरेन्द्र पहले तो किनारे पर ही खड़े रहे । बाद में बाबा जी के कहने पर किनारे पर ही स्नान करने लगे । तभी बाबा ने पीछे से आकर गहरे पानी में वीरेन्द्र जी को धक्का दे दिया ।
वे तैरना नहीं जानते थे । बह चले - हा हा कार मंच गया । तब बाबा जी स्वंय नदी में कूद पड़े और काफ़ी देर बाद वीरेन्द्र को पानी से बाहर ले आये । उनके पेट से पानी निकाल कर उन्हें पुनः सचेत कर स्वस्थ कर दिया । और उनके परिवार वालों से बोले," लो इसका जल संकट समाप्त हो गया हमेशा के लिये । अब इसे कुछ नहीं होगा ।"
जय गुरूदेव
अंनत कथामृत
-- पूजा वोहरा/नयी दिल्ली