नीब करोली महाराज की अनंत गाथाएँ : भक्त के लिए वृंदावन में समाधि स्थल पर प्रकट होना!
वृन्दावन मे बाबा जी का मन्दिर नही बना था तब केवल एक चबूतरा नुमा समाधि स्थल बना था कलश के उपर ! वही सुबह शाम आरती - पूजन होता था बाबा जी का ! हेमदा की पत्नी अपनी और से आरती - पूजन अलग से स्वंय भी करती थी !
एक दिन इस आरती-पूजन के मध्य उन्होंने एकाएक बाबा जी को स-शरीर चबूतरे पर खडा देखा !! उन्हें देखकर वे भावावेश में कंपित गात लिये और भी तन्मय हो उठी तथा अपने भाव मे उन्होंने रोली उँगली पर लगा समाधि चबूतरे पर राम राम लिख दिया ! बाबा अदृश्य हुए तो उन्होंने आकर श्री माँ से रोमांचित हो सब कथा कही !
अपने भक्त की इस भाव की कि "बाबा कही नही गये है " स्वंय प्रगट होकर महाराजजी ने पुष्टि कर दी ! और फिर एक खेल और रच दिया ! नित्य उस चबूतरे की धुलाई-पुछाई होती रही परन्तु वह राम राम लेखन जस का तस बना रहा ! तभी मिट सका जब मंदिर निर्माण के मध्य चबूतरा ही हट गया !
जय गुरूदेव
अनंत कथामृत
-- पूजा वोहरा/नयी दिल्ली