नीब करोली बाबा और उनके शरीर से आने वाली सुगंध
भक्तों को हमेशा बाबा जी के शरीर से प्रस्फुटित सुगंध की सुवास प्राप्त होती रहती थी । ऐसी सुगंध जिसकी कोई समता नही । न चन्दन, न हिना, न खस की न गुलाब, चम्पा चमेली की न जाने कैसी अलौकिक सुगंध थी वो ।
यही सुगंध लखनऊ की भक्त शान्ता पाण्डे और उनके पति ललित को प्रथम को घर आते ही प्राप्त हो गयी थी । और सुबह ४ बजे जब बाबा उनके घर से विदा हो रहे थे । तब उन दोनो को उस सुगंध की अनुभूति हुई । न जाने कैसी मोहिनी सी सुगंध थी ।
एक बार शान्ता जी मन्दिर आई वहाँ बाबा जी को याद करने लगी कि बाबा के दर्शन हो जाते तो आनंद हो जाता । और तभी उनकी इच्छा के फलस्वरूप सुगंध का आनंद दे दिया बाबा जी ने और पुनः पास की एक निर्जन गुफा के द्वार पर श्वेत वस्त्रों में लिपटे एक लम्बे तगड़े साधु के वेश में एकाएक प्रगट होकर दर्शन भी दे दिये । जबकि उस गुफा में कोई नहीं रहता था । दोनों ने नमन किया उन साधु महाराज को और वे एकदम लोप हो गये। शीघ्र ही।
ऐसी ही शान्ता जी एक बार बाबा से ज़िद करने लगी कि बाबा कुछ दिखाईये । तब बाबा ने अपने अँगूठे को हथेली से रगड़कर इसी सुगंध से उन्हें सरोकार कर दिया ।
जय गुरूदेव
-- पूजा वोहरा/नयी दिल्ली