नीब करोली बाबा की अनंत कथाएँ : वह सब कुछ दे सकता है
श्री श्रवण नाथ संग, प्रिन्सिपल बिडला मन्दिर, नैनीताल कहते थे कि उनका जन्म किसी संत के आशीर्वाद से हुआ था पर वे फिर भी सन्त महात्माओं से हमेशा दूर रहे । १९५४ में एक बार आपके विद्यालय के शिक्षक किशन चन्द्र तिवारी जी बाबा को अपने घर ले जा रहे थे, रास्ते में श्रवण नाथ जी से मुलाक़ात हो गयी ।
बाबा बोल उठे, "हमारा प्रिन्सिपल आ गया" पर संग जी कुछ न बोले । उस क्षणिक से दर्शन से आपके अन्दर जो प्रतिक्रिया हुई उससे उनमें बाबा के दर्शन की इच्छा बढ़ती गयी । फिर बाबा ने उन्हें अपनी कोठरी में अकेले दर्शन दिये, बीस मिनट तक उनसे वार्ता की ।
कुछ समय बाद आप भूटान गये, वहाँ के राजा जिग्मी डोरजी चोग्याल ने आपको आमंत्रित किया । वे आपको अपने राजगुरू लामा के दर्शन कराने ले गये । लामा इतने वृद्ध थे कि वे अपनी पलक उठा कर देख भी नहीं पाते थे । उनकी आयु १५० वर्ष से अधिक थी । उन्होंने अपनी ऊँगलियों के सहारे अपनी पलकें उठायी और आपको देखते हूये बोले," यहाँ क्यूँ आया ?" वे बोले," आपके दर्शन और आशीर्वाद लेने ।"
इस पर लामा बोले," तेरे पास तो महान सन्त है, वे तुझे सब कुछ दे सकते है ।" ऐसा कह कर वे नीम करौली बाबा के आकार और वेश भूषा का वर्णन करने लगे । अब आप बाबा को भगवान का रूप मानने लगे । बाबा की भी इन पर विशेष कृपा रही ।
जय गुरूदेव
अलौकिक यथार्थ
-- Pooja Vohra/New Delhi