नीब करोली बाबा की अनंत कथाएँ: सन्यासियों का मतिभ्रम और महाराज जी की सर्व्वयापकता
इसे बाबा की मौज ही समझिये कि वह अपने को कही भी प्रकट कर देते थे ! वे इस कार्य को ऐसे कौशल से करते कि यह एक सामान्य आश्चर्य की बात बनकर रह जाती ! साधारण लोग इससे भ्रमित होते ही थे , साधु - सन्यासियों को भी मतिभ्रम हो जाता था !
प्रयाग मे कुम्भ का मेला चल रहा था ! वहाँ किसी आश्रम के सन्यासी गंगा के किनारे एक रात विभिन्न विषयों पर वार्ता कर रहे थे ! इस प्रकार बाबा नीब करोली पर वार्ता होने लगी ! एक साधु ने कहा कि बाबा सर्वत्र है, उनमें ऐसी शक्ति है कि वे कहीं बुलाते ही प्रगट हो जाते है !
इसमें बडा वाद- विवाद खडा हो गया ! लोग इस सत्य को मानने के लिये तैयार नही थे, उनका कहना था कि जिसने भी शरीर धारण कर रखा हो उसे एक स्थान से दुसरे स्थान तक पहुँचने में समय चाहिये ! इस विवाद को व्यर्थ बताते हुए एक साधु ने कहा कि यदि बाबा पुकार पर उपस्थित हो जाते हैं तो बात सत्य है, अन्यथा झूठ !
इस पर एक साधु ने जोर से आवाज देकर बाबा को पुकारा ! जब वे चार बार आवाज लगा चुका तो उसे यह देखकर आश्चर्य हुआ कि बाबा उसके पास खडे हुए, किसी से बात कर रहे है ! साधु की आँखें यह देखकर फटी रह गयी और अपनी भूल को समझ गया व बाबा के चरणों मे गिर पड़ा !
जय गुरूदेव, आलौकिक यथार्थ